फीचर स्टोरी। खट्टी इमली का कारोबार कितना मीठा हो सकता है यह जानना हो तो आपको बस्तर की यात्रा जरूर करनी चाहिए. उन वनवासियों से मिलना चाहिए जिनके हिस्से अब भरपूर रोजगार भी है और अच्छी आमदनी भी. यह सिर्फ कहने की बात नहीं है, बल्कि अपनी आँखों से जाकर देखने और वनवासियों से खट्टी इमली का मीठा स्वाद लेकर इसे बखूबी जानने की बात है.
सरकार ने खट्टी इमली के इस मीठे कारोबार को गति दी. इमली प्रसंस्करण के कार्य को आगे बढ़ाया. वनवासियों को रोजगार मुहैय्या कराया. खरीदी व्यवस्था को बेहतर किया. परिणाम यह हुआ कि 52 लघु वनोपज से में से एक इमली अच्छी पैदावार, समर्थन मूल्य पर खरीदी से ढाई करोड़ की आमदनी हुई.
दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा है कि लघु वनोपज का संग्रहण करने वाले वनवासियों को उनके वनपोज का पूरा दाम मिले, उन्हें भरपूर काम मिले. मुख्यमंत्री के इस मंशा के अनुरूप ही आदिवासियों के हितों में यह निर्णय लिया गया कि आटी इमली से फूल इमली के प्रसंस्करण कार्य को बेहतर से बेहतर तरीके क्रियान्वयित किया गया. इसी का परिणाम है कि कोरोना संक्रण वाले वर्ष में भी आदिवासियों को 10 हजार से अधिक मानव दिवस का कार्य मुहैय्या कराया गया.
वनवासियों में समृद्धि लेकर आया आटी इमली से फूल इमली का प्रसंस्करण
आटी इमली का फूल इमली में प्रसंस्करण छत्तीसगढ़ के वनवासियों के लिए समृद्धि लेकर आया है. बता दें कि राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य अंतर्गत क्रय की गई इमली को स्थापित वन धन विकास केन्द्रों के माध्यम से प्रसंस्करण किया जा रहा है. वर्ष 2020-21 में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा क्रय की गई इमली को वन धन विकास केन्द्रों में आटी इमली से फूल इमली बनाने का कार्य किया गया.
10 हजार 174 मानव दिवस का कार्य
देश के अन्य राज्यों की तरह ही छत्तीसगढ़ भी कोरोना संक्रमण से लड़ रहा है. यहाँ भी परिस्तिथियाँ विकट रही है. बावजूद इसके सरकार ने आदिवासी और गरीब तबके के लोगों को आर्थिक संकट से उबारने मजबूती से काम किया है. खास तौर पर वनांचल में आदिवासियों के आजाविका का जो मुख्य साधन है लघु वनोपज उसकी खरीदी-बिक्री को जारी रखा, जिससे के वनवासियों को आर्थिक मदद पहुँचती रहे. और परिणाम ये रहा है कि कोरोना संकट की विषम परिस्थिति में भी केवल इमली के प्रसंस्करण कार्य से ही वनवासियों को 10 हजार 174 मानव दिवस का रोजगार मिला.
2.48 करोड़ की आमदनी
कोरोना संकट में भी हजारों कार्य दिवस के रोजगार मिलने से वनवासियों को आर्थिक कठिनाइयाँ झेलनी नहीं पड़ी. वनवासियों को आटी इमली से फूल इमली के प्रसंस्करण कार्य में 2 करोड़ 48 लाख रुपये के आमदनी हुई.
अब तक 39 हजार 389 क्विंटल आटी इमली का प्रसंस्करण
आँकड़ों के मुताबिक 31 जनवरी 2021 तक कुल 39 हजार 389 क्विंटल आटी इमली का प्रसंस्करण किया गया, जिससे 4555 क्विंटल फूल इमली और 3134 क्विंटल इमली बीज प्राप्त किया गया. उक्त प्रसंस्करण कार्य में हितग्राहियों को लगभग 10 हजार 174 मानव दिवस का कार्य प्रदाय करते हुए अब तक 2 करोड़ 30 लाख रूपए का भुगतान कर दिया गया है. इनमें जगदलपुर, नारायणपुर, धरमजयगढ़, कटघोरा, पूर्व भानूप्रतापुर तथा दक्षिण कोण्डागांव वनमंडल के अंतर्गत आटी इमली से फूल इमली का प्रसंस्करण से लाभान्वित वनवासी संग्राहक शामिल हैं.
वन मंत्री की निगरानी
वन मंत्री मो. अकबर वनवासियों को मुहैय्या कराए जा रहे साधनों और संचालित योजनाओं पर पूरी निगरानी रख रहे हैं. मंत्री अकबर के मार्गदर्शन में विभाग द्वारा शासन की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन कर वनवासियों के जीवन-स्तर को ऊंचा उठाया जा रहा है. इस कड़ी में राज्य में वनवासियों को लघु वनोपजों के संग्रहण से लेकर प्रसंस्करण का लाभ दिलाया जा रहा है. इनमें वनवासी संग्राहक राज्य में आटी इमली के संग्रहण तथा आटी इमली के प्रसंस्करण से फूल इमली और इमली बीज की बिक्री कर वर्ष भर अधिकाधिक आय के सृजन में जुटे हुए हैं.
आदिवासी हितों का ध्यान, सरकार की ओऱ से पूरी मदद- संजय शुक्ला
लघु वनोपज विभाग के प्रबंध संचालक संयज शुक्ला ने बताया कि राज्य में वनवासी संग्राहकों को हर स्तर पर सरकारी मदद पहुँचाई जा रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वन मंत्री मो. अकबर के मंशा अनुरूप उनके सभी हितों का ध्यान रख रहे हैं. वनवासी संग्राहकों को केवल एक इमली के वनोपज से ही तीन अलग-अलग रूपों में उसके संग्रहण, प्रसंस्करण और बीज के विक्रय का भरपूर मुनाफा अब मिल रहा है. वर्तमान में एम.एस.पी. पर 52 लघु वनोपजों की खरीदी की जा रही है, इनमें लघु वनोपज इमली भी शामिल है.