फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ का बस्तर घने जंगलों और पहाड़ों का इलाका है. इन इलाकों में नक्सलियों का बड़ा प्रभाव भी है. ऐसे में सरकार के लिए जो सबसे बड़ी चुनौती है वह है पहुँच विहीन गाँवों तक पहुँचने की. गाँव के लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुँचाने की. लेकिन कहते हैं न डर के आगे जीत है. चुनौतियों को पार करने के बाद ही सफलता है. मौजूदा भूपेश सरकार में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है. सरकार एक के बाद एक तमाम बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही है. हर चुनौतियों से लड़ते हुए सफलता हासिल कर रही है. बस्तर जैसे अति संवेदशील और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार अंतिम छोर के लोगों तक स्वास्थ्य सेवा को पहुँचा रही है.

सरकार ये जानती है कि पहाड़ों से उतकर, घने जंगलों को पार कर, नक्सलियों से बचकर स्थानीय आदिवासियों का कोसो-कोस पैदल चलकर अस्पताल तक पहुँचना आसान नहीं है. इसलिए इसे आसान बनाने भूपेश सरकार ने एक शानदार पहल की. सरकार ने एक बेहतरीन योजना बनाई. योजना का नाम रखा ‘हाट-बाजार क्लिनीक योजना’. योजना तो पहले बस्तर इलाके लिए थी, लेकिन योजना की सफलता को देखते हुए सरकार ने इस समूचे छत्तीसगढ़ में लागू कर दिया है. लेकिन हम यहां समूचे छत्तीसगढ़ की नहीं, बल्कि बस्तर संभाग में घोर नक्सल प्रभावित इलाके बीजापुर की रिपोर्ट बताने जा रहे हैं.

बीजापुर जैसे अति नक्सल प्रभावित इलाके में भी आज यह योजना सफल है. हाट-बाजारों में लगातार शिविरों का आयोजन हो रहा है. परिणाम है यह कि लाख से ऊपर स्थानीय लोग इससे लाभांवित हो चुके हैं.

बीजापुर… राजधानी रायपुर से तकरीबन करीब 500 किलोमीटर दूर वह इलाका है, जो घोर नक्सल प्रभावित है. इस इलाके के लोगों तक सरकार की योजनाओं को पहुँचाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. लेकिन सरकार ने इस चुनौती को स्वीकार किया और यहाँ धीरे-धीरे अब सभी तरह की सुविधाएं पहुँच रही है. स्वास्थ्य जैसी महती सुविधा को भी सरकार ने हाट-बाजार क्लिनीक योजना के जरिए ग्रामीणों तक पहुँचाने का काम किया है. इसे आज बीजापुर में देखा जा सकता है. जैसे आप इन तस्वीरों को देखकर समझ सकते हैं.

तस्वीरों में जो ये शिविर, ये लोगों की भीड़, ये डॉक्टरों की टीम, ये जाँच, ये दवाइयाँ देख रहे हैं ये सब हाट-बाजार क्लिनीक योजना के तहत है. ये तस्वीर बीजापुर जिले में नैमेड़ की है. नैमेड़ जैसी दर्जनों जगह जहाँ हाट-बाजार क्लीनिक शिविर का आयोजन लगातार किया जा रहा है.

आइये आपको योजना की शुरुआत से लेकर अब तक की स्थिति क्या रही है ?
योजना का नाम- हाट-बाजार क्लीनिक योजना
योजना का शुभारंभ- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दंतेवाड़ा से वर्ष-2019 में किया था.
योजना का विस्तार- शुभारंभ के दौरान योजना का मुख्य क्षेत्र बस्तर ही था, लेकिन आज समूचे छत्तीसगढ़ में हो चुका है.
योजना का उद्देश्य- बाजार में आने वाले ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना. खास तौर पर उन्हें जो अस्पताल नहीं पहुँच पाते या जहाँ तक चिकित्सा टीम नहीं पहुँच पाती.
योजना के तहत सभी तरह की बीमारियों की जाँच की जाती है, निशुल्क दवाइयाँ दी जाती है.
योजना से अब तक 16 सौ से अधिक शिविरों में 11 लाख से अधिक मरीज लाभांवित हो चुके हैं.

नैमेड़ में आयोजित शिविर में बड़ी संख्या में स्थानीय आदिवासियों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया और दवाइयाँ ली. शिविर में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, प्रभारी और मितानिन दीदी होती हैं. मितानिन स्थानीय भाषा में दवाइयों और उपचार के जानकारी लोगों को देती हैं.

नैमेड़ के बाजार में बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोगों पहुँचे थे. जंगल के अंदर ऐसी जगहों से पहुंचे थे जहाँ स्वास्थ्य अमला को नहीं पहुँचाया जा सकता. ऐसे में नैमेड़ के इस बाजार में स्वास्थ्य अमला ने अपना शिविर आयोजित किया. इस शिविर में वे लोग पहुँचे जो कि बाजार करने आए हुए थे. बाजार में दुकान करने और खरीदकारी करने के साथ निशुल्क उन्हें स्वास्थ्य सुविधा भी मिल रहा है.

शिविर में स्वास्थ्य परीक्षण कराने वाले लोग सरकार की इस पहल से बेहद खुश हैं. क्योंकि दुरस्त अँचलों में उन्हें इलाज तो दूर दवाइयाँ भी उपलब्ध नहीं हो पाती थी. लेकिन अब यह पूरी तरह से निशुल्क उन्हें मिल रहा है.

योजना का लाभ लेने वाले ग्रामीण अपनी बात को अच्छे से बता तो नहीं पाते, लेकिन वे इतना समझ ही गए हैं कि यह योजना उनके लिए कितना हितकारी है. बीजापुर जैसे घोर नक्सल प्रभावित इलाके में योजना का कितना बेहतर क्रियान्वयन हुआ और यह कितना उपयोगी सिद्ध स्थानीय आदिवासियों के लिए साबित हो रहा है यह देखते ही जान पड़ता है.

आँकड़ों के साथ कलेक्टर रितेश अग्रवाल इसे और बखूबी समझाते हैं. वे बताते हैं कि जिले में 27 शिविरों का आयोजन हाट-बाजार क्लीनिक योजना के तहत किया जा रहा है. योजना से अब तक जिले में 1 लाख से अधिक लोग लाभांवित हो चुके हैं. इस योजना का क्रियान्वयन जिले में बेहतर से बेहतर तरीके से इस पर काम किया जा रहा है. अधिकारी भी समय-समय पर योजनाओं का जायजा लेते रहते हैं.

वास्तव में हाट-बाजार क्लीनिक योजना भूपेश सरकार की सबसे सफल योजनाओं में से एक है. स्वास्थ्य सुविधाओं को निःशुल्क रूप में आम लोगों तक पहुँचाने की यह कोशिश बीते 2 साल में बेहद कारगर रही है. खास तौर पर यह योजना पहुँचविहीन क्षेत्रों के लोगों के लिए वाकई में किसी वरदान से कम नहीं है. बस्तर में तो इस योजना का परिणाम निकलकर आया वह है बेहद ही सुखद रहा है. योजना से न सिर्फ आदिवासी और स्थानीय ग्रामीणों में बीमारियों का पता चला, बल्कि उपचार हुआ और हजारों की जान स्वास्थ्यगत कारणों से जाने से बचा ली गई. ऐसी योजनाएं ही सरकार की सही नीति, नीयत, दिशा और दशा के साथ लोगों के प्रति सेवा भाव और ईमानदारी को बताती है.