फीचर स्टोरी. नवा छत्तीसगढ़ को न्याय के छत्तीसगढ़ के रूप में गढ़ा जा रहा है. भूपेश सरकार राज्य के हर वर्ग के साथ न्याय करना चाहती है. इसी कड़ी में सरकार ने बीते साढ़े तीन साल में न्याय आधारित कई योजनाओं की शुरुआत भी की. न्याय आधारित योजनाओं के साथ सरकार प्राथमिकता से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में लगी है. इसका सकारात्मक परिणाम भी आज गाँवों में, ग्रामीणों में दिख रहा है.
दरअसल, भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री के रूप में दिसंबर 2018 में जब सत्ता की कमान संभाली तो उन्होंने सबसे कृषि प्रधान राज्य छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ न्याय किया. कर्जा माफी, 2500 रुपये धान के साथ किसान न्याय योजना की शुरुआत की. किसान वर्ग के साथ न्याय के बाद उन्होंने पशुपालकों के साथ न्याय किया.
कृषि आधारित कार्यों से जुड़े लोगों के लिए मुख्यमंत्री गोधन न्याय योजना लेकर आए. इस योजना का व्यापक असर आज गांवों में, ग्रामीणों में स्पष्ट देखा जा सकता है. इसी के साथ-साथ राज्य में सुराजी(नरवा-गरवा, घुरवा-बारी) के माध्यम से राज्य के लाखों लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध करा न्याय करते चले गए.
किसान वर्ग, पशुपालक वर्ग, महिला-युवा वर्ग के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के उन लाखों खेतिहर मजदूरों के साथ न्याय किया, जो कि एक इंच जमीन के भी मालिक नहीं. जिन्हें भूमिहीन कहा जाता है. ऐसे भूमिहीन परिवारों के लिए मुख्यमंत्री लेकर भूमिहीन कृषक मजदूर न्याय योजना.
इस योजना के माध्यम से आज राज्य के लाखों वंचित परिवारों को 7 हजार रुपये प्रति वर्ष राशि दी जा रही है. योजना का शुभारंभ 3 फरवरी 2022 को राहुल गांधी ने रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान से किया था. तब साढ़े तीन लाख भूमिहीन परिवारों को पहली किश्त की राशि दो हजार अंतरित की गई थी.
योजना का उद्देश्य यह है कि, छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण क्षेत्र के भूमिहीन कृषि का काम करने वाले मजदूर नागरिकों को वित्तीय मदद राशि प्रदान की जाएगी. यह राशि लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाती है. आवेदक का बैंक खाता होना बहुत जरुरी है. योजना का लक्ष्य कृषि मजदूरों की आय में दोगुनी वृद्धि करना और उन्हें मजबूत व आत्मनिर्भर बनाना है जिससे कृषि मजदूर अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर पाए.
इस रिपोर्ट में आइये आपको मिलवाते हैं भूमिहीन कृषक मजदूर न्याय योजना से लाभांवित उन लोगों से जिन्होंने एक इंच जमीन नहीं होने के दर्द को झेला है और 7 हजार रुपये वार्षिक मदद से खुद सम्मानित महसूस कर रहे हैं.
कबीरधाम
खेतीहर मजदूरों के लिए एक बड़ा सम्मान- मनोज कुमार
ये हैं कबीरधाम निवासी मनोज कुमार. मनोज भूमिहीन खेतीहर मजदूर हैं. खेती-मजदूरी से उनका गुजारा चलता है. मजदूरी का जीवन कितना कठिन और आर्थिक तंगी से भरा होता है, यह कोई मजदूर ही समझ सकता है. उसमें भी वह खेती से जुड़ा हुआ मजदूर हो तो और. एक खेतीहर मजदूर के पास खेती नहीं होने की कमी क्या होती इसे मनोज कुमार बखूबी समझता है. ऐसे में 7 हज़ार रुपये की आर्थिक मदद भी उनके लिए बहुत बड़ी है. साल में तीन किश्तों में मिलने वाली यह राशि उनके लिए काफी तो नहीं, लेकिन बहुत कुछ है.
मनोज कहता है कि इससे बड़ी मदद मिली है. साल में हम कितने ही त्योहार मनाते हैं. कई बार त्योहार के मौके पर नगद पैसे ही नहीं होते. ऐसे में सरकार की ओर से चार महीने में 2 हज़ार रुपये जो दी जा रही है. यह जरूरत के समय में एक बड़ी मदद है. यह एक तरह से खेतीहर मजदूरों के लिए एक बड़ा सम्मान है. हमें भी यह लगता था कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना की तरह हम भूमहीन परिवारों के लिए भी कोई न्याय योजना होती. भूपेश सरकार हमारी ये मुराद पूरी कर दी है.
इससे पहले किसी सरकार भूमिहीनों के बारे में नहीं सोचा था- विजय चंद्रवंशी
मनोज की तरह ही विजय चंद्रवंशी उन हितग्राहियों में से एक है जिन्हें योजना का लाभ मिला है. विजय कहता है कि गरीबी और महंगाई के दौर में सरकार की ओर से दी जा रही है यह मदद बहुत ही महत्वपूर्ण है. अभी तक किसी सरकार ने भूमिहीनों के प्रति ऐसी किसी मदद के बारे में कोई पहल नहीं की थी. लेकिन भूपेश सरकार ने हमारे बारे में सोचा और योजना बनाकर हमें लाभ दिया है. वह निश्चित हमारा मान बढ़ाने वाला है.
धमतरी
बच्चों की पढ़ाई में मदद- टिकेश नवरंग
धमतरी जिले के छिपली गांव निवासी टिकेश नवरंग कहते हैं कि 7 हजार रुपये वार्षिक रकम बहुत ज्यादा तो नहीं, लेकिन फिर भी यह एक बड़ी मदद है. क्योंकि जिनके पास एक इंच जमीन न हो, उन्हें बिना कुछ किए इस तरह से सरकारी मदद से मिलने से निश्चित घर में एक हद आर्थिक या कहिए कि जरूरत के समय मिलने वाली मदद हो जाती है. 7 हजार रुपये वार्षिक को मैं अपने बच्चे की पढ़ाई में अब खर्च करूँगा, ताकि उन्हें और बेहतर शिक्षा मिल सके.
छिपली की रहने वाली शांति बाई मरकाम भी भूपेश सरकार की योजना से बेहद खुश हैं. इन पैसों के बल आप कहीं से कोई उधार लेकर उसे चुका भी सकते हो. वहीं ओमप्रकाश टंडन बताते हैं कि उन्हें योजना के तहत फरवरी और मार्च माह में दो किश्त मिली है. इससे उन्होंने घर की जरूरतों को पूरा किया है. साथ ही अपने बच्चों की पढ़ाई में भी इसका इस्तेमाल किया है.
इसी तरह से रूपेश निषाद बताते हैं कि फिलहाल वे अपने घर की मरम्मत में इस राशि का उपयोग कर रहे हैं. पवन कुमार सेन का कहना है कि उन्हें दो किश्तों में मिली अनुदान सहायता राशि मिली है. इस राशि का उपयोग अपनी बीमार माँ के इलाज में किया.
जशपुर के अनिल मांझी की कहानी
जशपुर जिले गम्हरिया पंचायत के रहने वाली अनिल मांझी भूमिहीन खेतिहर मजदूर हैं. परिवार में माता-पिता सहित कुल 7 सदस्य हैं. आर्थिक तंगी के बीच जिंदगी रोजी-मजदूरी के सहारे गुजर रही है. ऐसे में जहां से थोड़ी-बहुत आर्थिक मदद मिल जाती वह मांझी परिवार के लिए एक बड़ी राहत हो जाती है.
अनिल मांझी को पंचायत के माध्यम से भूमिहीन न्याय योजना की जानकारी हुई. पंचायत की ओर से बनाई गई भूमिहीन परिवारों की सूची में अनिल का नाम भी जुड़ गया. बस फिर क्या था अनिल के साथ भी प्रदेश के लाखों भूमिहीनों की तरह ही न्याय हुआ. भूपेश सरकार की योजना का लाभ अनिल मांझी को भी मिलने लगा. अनिल का कहना है कि योजना के तहत दूसरी किस्त की राशि भी मिल चुकी है. इस योजना से एक तरह उन्हें अतिरिक्त आय हो रही है और समय पर एक बड़ी मदद है.
वास्तव में जिनके लिए हर रुपया महत्वपूर्ण है, उनके लिए साल में मिलने वाला 6 हजार भी काफी अहम है. यही वजह कि सरकार ने भूमिहीन परिवारों के साथ न्याय करने के लिए यह योजना बनाई है.
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