फीचर स्टोरी. छत्तीसगढ़ प्राकृतिक रूप से एक समृद्ध राज्य है. राज्य की प्राचीन संस्कृति और विरासत अतुल्यनीय है. नदी, पहाड़, जंगल से परिपूर्ण यह प्रदेश ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व का भी है. पाषाण युग की निशानियाँ भी यहाँ पर मिलती हैं. अनेक कालखंडों में छत्तीसगढ़ कई नामों से जाना जाता है. दक्षिण कोसल से लेकर महाकोसल, दण्डकारण्य और छत्तीसगढ़ के रूप में यह प्रदेश धार्मिक-पौराणिक गाथाओं का भी प्रदेश है.

यहां सनातन प्राचीन संस्कृति के साथ-साथ जनजातियों की आदिम संस्कृति, बौद्ध संस्कृति, जैन संस्कृति, सिख संस्कृति, सतनाम पंथ, कबीरपंथ की संस्कृतियों का समावेश मिलता है. इस दृष्टि से यह प्रदेश धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन का एक विश्वयापी केंद्र है. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ पर्यटन के मानचित्र में अन्य राज्यों के मुकाबले देश और दुनिया में अभी काफी पीछे है, लेकिन अब छत्तीसगढ़ पीछे नहीं रहेगा, क्योंकि बीते 4 सालों में जिस तरह से भूपेश सरकार ने तमाम क्षेत्रों में प्राथमिकता से काम किया है, उसी तरह से पर्यटन को भी प्राथमिकता में रखा है.

पर्यटन को गति देने में सरकार किसी भी दृष्टि से पीछे नहीं रही है. छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार विकास के अनेक कार्य कर रही है. यही वजह है कि कोरोना काल के बाद तेजी से छत्तीसगढ़ में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. सरकारी आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 में भारतीय और विदेशी मिलाकर 1 करोड़ 15 लाख 32 हजार सैलानियों ने छत्तीसगढ़ का भ्रमण किया है.

छत्तीसगढ़ सरकार वर्तमान में उत्तर से दक्षिण तक धार्मिक पर्यटन पर जोर-शोर से काम कर रही है. दरअसल छत्तीसगढ़ को माता कौशल्या की जन्मभूमि और राम का ननिहाल भी कहा जाता है. राम नाम की महिमा यहाँ पग-पग में है. भगवान राम से जुड़ी अनेक निशानियाँ यहाँ मिलती है. माता कौशल्या का एक मात्र मंदिर पूरी दुनिया में सिर्फ छत्तीसगढ़ में है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नजदीक चंदखुऱी को माता कौशल्या का जन्म स्थान माना जाता है. चंदखुरी में ही प्राचीन मंदिर को माता कौशल्या का मंदिर के रूप में पहचाना जाता है. चंदखुरी को पूरी दुनिया में पहचान दिलाने सरकार शिद्दत से काम कर रही है.

दरअसल रामवनगमन पथ के साथ सरकार उन क्षेत्रों को पर्यटकों के लिहाज से सर्व सुविधा के साथ विकसित कर रही, जहाँ प्रभु श्रीराम के चरण पड़े हैं. सरकार ने ऐसे 75 स्थानों का चयन किया है. प्रथम चरण में 9 स्थलों सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) को विकसित किया जा रहा है. राम वन गमन पर्यटन परिपथ लम्बाई लगभग 2260 किलोमीटर है, जिसका निर्माण, चौड़ीकरण एवं मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. यहां पर्यटकों के ठहरने, भोजन, पानी, पार्किंग आदि की व्यवस्था के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा कार्य किया जा रहा है.

इसी तरह स्वदेश दर्शन योजना के तहत् छत्तीसगढ़ के 13 स्थानों पर ‘ट्राइबल टूरिज्म सर्किट’ विकसित की जा रही है. इस परियोजना के तहत् जशपुर ,कुनकुरी ,मैनपाट, कमलेश्वरपुर, महेशपुर, कुरदर, सरोधादादर, गंगरेल, नथियानवागांव, कोण्डागांव, जगदलपुर, चित्रकोट और तीरथगढ़ को विकसित किया जा रहा है. इनमें से कुरदर हिल ईको रिसॉर्ट कुरदर (बिलासपुर), बैगा एथनिक रिसॉर्ट सरोधादादर (कबीरधाम), धनकुल एथनिक रिसॉर्ट (कोण्डागांव), सरना एथनिक रिसॉर्ट बालाछापर (जशपुर), कोईनार हाइवे ट्रीट कुनकुरी (जशपुर), हिल मैना हाईवे ट्रीट नथियानवागांव (कांकेर), सतरेंगा बोट क्लब एंड रिसॉर्ट सतरेंगा (कोरबा) और वे साइड अमेनिटी महेशपुर (सरगुजा) में पर्यटन सुविधाएं विकसित की गई है.

वहीं राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित माँ बम्लेश्वरी मंदिर को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने प्रसाद योजना में शामिल किया है. इस योजना के तहत् डोंगरगढ़ को महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में व्यवस्थित विकास का काम हाथ में लिया गया है. यहां श्रद्धालुओं के लिए ‘‘श्रीयंत्र‘‘ के बनावट के अनुरूप पिलग्रिम एक्टिविटी सेंटर (श्रद्धालुओं के लिए सुविधा केन्द्र) का निर्माण किया जा रहा है.

इन सबके बीच राज्य सरकार की ओर से पर्यटकों को विभिन्न पर्यटन स्थलों में हर तरह की सुविधा देने के लिए सरकार करोड़ों रुपये का विकास कार्य करवा रही है. राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थानों पर एथनिक रिसॉर्ट, कॉटेज,वॉटर स्पोर्ट्स जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही है. छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों के बारे में पर्यटकों को सुलभ जानकारी उपलब्घ कराने तथा पर्यटन स्थलों के भ्रमण के लिए व्यक्तिगत एवं टूर पैकेज के अन्तर्गत आरक्षण की सुविधा प्रदान करने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल द्वारा नई दिल्ली, गुजरात मध्य प्रदेश के अतिरिक्त प्रदेश में 11 स्थानों पर पर्यटन सूचना केन्द्र स्थापित किया गया है.

पर्यटन के साथ जुड़ेगा राजीव युवा मितान क्लब

छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी अब राजीव युवा मितान क्लब की भी होगी. क्लब के युवा अब पर्यटन क्षेत्रों के विकास में अपनी भूमिका निभाएंगे. युवाओं को इसके लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा.

छत्तीसगढ़ पर्यटन का प्रतीक ‘चेंदरू और टेंबू’

छत्तीसगढ़ में पर्यटन का प्रतीक चेंदरू और टेंबू को बना दिया गया. 27 सितंबर विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चेंदरू और टेंबू की मूर्ति का अनावरण किया. राज्य के सभी पर्यटन स्थलों में टाइगर बॉय के नाम मशहूर रहे चेंदरू और उसके दोस्त टाइगर टेंबू की प्रतिमा स्थापित होगी.

IRCTC के साथ जुड़ा छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड

छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों का भ्रमण रेल्वे के माध्यम से भी लोग कर सकेंगे. राज्य सरकार की ओर से एक एमओयू आईआरसीटीसी ने किया है. एमओयू के अंतर्गत IRCTC अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थानों का प्रचार- प्रसार करेगा, जिससे भारत के सभी राज्यों के पर्यटक छत्तीसगढ़ की तरफ आकर्षित होंगे.

अब राज्य की पहचान कुछ और
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि एक समय था जब छत्तीसगढ़ का नाम लेते हुए लोगों के जेहन में सिर्फ खनिज संसाधन और नक्सलियों का ख्याल आता था, लंबे समय तक छत्तीसगढ़ का पर्यटन उपेक्षित रहा और नया राज्य बनने के बाद भी पूरा ध्यान सिर्फ नक्सल समस्या पर ही था, जबकि छत्तीसगढ़ में इतना सब कुछ है कि सिर्फ प्रकृति से मिले उपहारों को ही हम व्यवस्थित कर लें तो यह स्थान पर्यटकों की पहली पसंद बन जाएगा और हमारी सरकार इसी बात पर निरंतर काम कर रही है. अब छत्तीसगढ़ की पहचान देश-दुनिया में कुछ और है.