नई दिल्ली. कोहरे का असर ट्रेनों के संचालन पर पड़ना शुरू हो गया है. ऐसे में ट्रेनों का संचालन सुरक्षित हो, इसको लेकर उत्तर रेलवे ने तैयारियां शुरु कर दी हैं. ट्रेनों के इंजन में फॉगसेफ डिवाइस लगाई जा रही है, ताकि लोको पायलट को सिग्नल की जानकारी आसानी से मिल सके.

 इसके अलावा ट्रैक पेट्रोलिंग और पटरियों की निगरानी बढ़ा दी गई है. पटरियों पर पत्थरों को सफेद रंग में रंगा गया है, इससे कोहरे में लोको पायलट नजर रख सके. उत्तर रेलवे की 1500 से अधिक ट्रेनों में फॉगसेफ डिवाइस लगाया जाएगा. कर्मियों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. रेलवे अधिकारी ने बताया कि रात में रेलवे ट्रैक में किसी समस्या की पहचान करने के लिए रेल लाइनों की कोल्ड वेदर पेट्रोलिंग की जा रही है. पेट्रोलमैन को आसानी से ट्रैक के कुशल निरीक्षण के लिए सभी व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों और हल्के वजन के अनुरक्षण भी संभावित उपकरणों से लैस किया गया है.

रेल लाइन पर गश्त करने वाले कर्मचारियों को जीपीएस आधारित हैंड-हैल्ड उपकरण प्रदान किए गए हैं ताकि किसी भी आकस्मिक घटना की सूचना वे दोनों ओर के निकटवर्ती स्टेशनों तक तुरंत पहुंचा सकें. स्टेशन और उसके आसपास के क्षेत्रों में कोहरे की स्थिति को जांचने के लिए स्टेशन मास्टरों द्वारा विजिबिलिटी टेस्ट की व्यवस्था भी की गई है. कम विजिबिलिटी संबंधी मामलों से निपटने के लिए लोको पायलटों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. वे रेल लाइनों पर परिस्थिति के अनुसार ट्रेनों की गति सीमा को अपने विवेक और सूझ-बूझ के साथ नियंत्रित करेंगें. लोको पायलट को सर्दियों में कैब रूम में हीटर, एसएलआर पर उचित रेट्रो रिफ्लेक्टिव एक्स मार्क, फ्लैशिंग लाइट आदि की उपलब्धता का विशेष रूप ध्यान दिया गया है.