फीचर स्टोरी । छत्तीसगढ़ सरकार का एक चर्चित नारा है- छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा-गरवा, घुरवा-बारी, येला बचाना हे संगवारी. इस नारे के साथ छत्तीसगढ़ को नवा स्वरूप में गढ़ा जा रहा है. छत्तीसगढ़ राज्य को जैविक राज्य बनाने की दिशा में भी सरकार इस नारे के साथ काम कर रही है. जैविक राज्य के लिए जरूरी है कि हम गोबर खाद पर ध्यान दें. लिहाजा इसमें गरवा, घुरवा और बारी की अहमियत बढ़ जाती है. लिहाजा इसे बचाने के साथ-साथ इसे विकसित भी करना होगा. सरकार इसी ओर काम कर रही है. लेकिन इन सबके लिए जरूरी है जल. जल के बिना बाकी सब बेकार है. इसलिए सरकार ने नरवा(नाला) विकास पर जोर दिया है.
दरअसल छत्तीसगढ़ नदी-नालों का भी गढ़ है. राज्य में छोटी-बड़ी अनेक नदी और नाले हैं. हालांकि इनमें से ज्यादातर बरसाती हैं. ऐसे में बरसात का पानी बहकर बड़ी नदियों में चला जाता है. लिहाजा बारिश के पानी को सहजेने के लिए सरकार ने नरवा विकास पर गंभीरता से और तेजी से काम किया है. यहाँ यह भी बताना लाजिमी है कि नदी और नालों का उद्गम स्थल जंगल और पहाड़ से होता है. ऐसे में सरकार ने वनांचल में स्थित नालों के विकास के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई और इसी का परिणाम है कि आज 8 लाख हेक्टेयर से अधिक वन भूमि को उपचारित करने में मदद मिल रही है.
वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक राज्य के वन क्षेत्रों में भू-जल संरक्षण तथा संवर्धन के लिए बड़े तादाद में जल स्रोतों, नदी-नालों और तालाबों को पुनर्जीवित करने का कार्य लिया गया है. इसके लिए नरवा विकास योजना के तहत कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 में 392 करोड़ रूपाए से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है. इसमें 01 हजार 962 नालों के 8.17 लाख हेक्टेयर जल ग्रहण क्षेत्र में 37 लाख 99 हजार भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है.
वन मंत्री मो. अकबर बताते हैं कि प्रदेश के दो राष्ट्रीय उद्यान, दो टाईगर रिजर्व, 01 सामाजिक वानिकी तथा 01 एलीफेंट रिजर्व सहित 30 वन मंडलों के नालों में भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाएं निर्मित की जा रही है. छत्तीसगढ़ राज्य प्रतिकरात्मक वनरोपण, निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) मद से बनने वाली इन जल संग्रहण संरचनाओं से वनांचल में रहने वाले लोगों और वन्य प्राणियों के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी. साथ ही नाले में पानी का भराव रहने से आस-पास की भूमि में नमी बनी रहेगी. इससे खेती-किसानी में सुविधा के साथ-साथ आय के स्रोत और हरियाली में भी वृद्धि होगी.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने के मुताबिक नरवा विकास योजना के तहत कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 के अंतर्गत गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान सरगुजा के 50 नालों में 96 हजार 850 तथा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान जगदलपुर के 7 नालों में 13 हजार 559 संरचनाओं का निर्माण किया किया जा रहा है. इसी तरह इन्द्रावती टायगर रिजर्व बीजापुर के 93 नालों में एक लाख 80 हजार 847 तथा अचानक मार्ग टायगर रिजर्व लोरमी के 52 नालों में एक लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण हो रहा है. इसके अलावा एलीफेंट रिजर्व सरगुजा के 64 नालों में एक लाख 23 हजार 580 तथा अनुसंधान एवं विस्तार जगदलपुर के अंतर्गत 33 नालों में 63 हजार से अधिक संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है.
इसी तरह वन मंडलवार खैरागढ़ के 33 नालों में 64 हजार 775, बालोद के 20 नालों में 38 हजार 678, राजनांदगांव के 80 नालों में एक लाख 54 हजार 475 तथा कवर्धा के 75 नालों में एक लाख 35 हजार 275 संरचनाओं का निर्माण हो रहा है. बिलासपुर के 50 नालों में 96 हजार 850, मरवाही के 128 नालों में 2 लाख 48 हजार 516, कोरबा के 83 नालों में एक लाख 59 हजार 802 तथा कटघोरा के 50 नालों में 96 हजार 850 संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है. रायगढ़ के 19 नालों में 36 हजार 415, धरमजयगढ़ के 86 नालों में एक लाख 65 हजार 613, जांजगीर-चांपा के 5 नालों में 9 हजार 685 तथा मुंगेली के 35 नालों में 68 हजार 614 संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है.
रायपुर के छह नालों में 12 हजार, बलौदाबाजार के 97 नालों में एक लाख 87 हजार 970, धमतरी के 10 नालों में 19 हजार 757, सुकमा के 65 नालों में एक लाख 24 हजार 936, बीजापुर के 28 नालों में 53 हजार 752 तथा दंतेवाड़ा के 5 नालों में 10 हजार 575 संरचनाओं का निर्माण हो रहा है. जशपुर के 50 नालों में 96 हजार 850, सरगुजा के 49 नालों में 94 हजार 913, सूरजपुर के 35 नालों में 68 हजार 279, बलरामपुर के 136 नालों में 2 लाख 64 हजार 987 संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है. कोरिया के 123 नालों में 2 लाख 37 हजार 669, मनेन्द्रगढ़ के 85 नालों में एक लाख 63 हजार 676, कांकेर के 74 नालों में एक लाख 43 हजार 904 तथा पूर्व भानुप्रतापपुर के 25 नालों में 48 हजार 426 संरचनाओं का निर्माण हो रहा है. वन मंडलवार केशकाल के 33 नालों में 64 हजार 260, पश्चिम भानुप्रतापपुर के 43 नालों में 82 हजार 710, दक्षिण कोण्डागांव के 75 नालों में एक लाख 44 हजार 451 तथा नारायणपुर के 60 नालों में एक लाख 16 हजार 220 संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है.
इन आँकड़ों से यह जाहिर होता है कि वन विभाग की ओर से किस तरह से जंगलों में वन संचयन का काम किया गया है. सरकार ने जिस उद्देश्य से नरवा विकास योजना शुरू किया था, वह योजना सफल होता दिखाई दे रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि नरवा से न सिर्फ वन भूमि को लाभ हो रहा है, बल्कि वनों में रहने वाले आदिवासियों को भी फायदा हो रहा है. और सबसे बड़ा फायदा उन वन्यप्राणियों को हो रहा, जो गर्मियों के दिनों जल संकट से जूझते हैं.
वास्तव में नरवा विकास योजना छत्तीसगढ़ का समृद्ध वन और समृद्ध हो रहा है. जंगल में जल है, तो हम सबके लिए सुनहरा कल है. जितना जल होगा उतना ही बेहतर कल होगा. नरवा विकास इसी ओर इशारा कर रहा है. सरकार के इस योजना को अभी और बेहतर से बेहतर किया जाना है. इस दिशा में वन विभाग सतत काम भी कर रहा है.