फीचर स्टोरी. दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा की पहचान आज भी नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में ही अधिक है. बावजूद इसके दंतेवाड़ा में अब बदलाव की बयार है. नक्सल वारदातों और खौफ को चुनौती देते हुए विकास लगातार इलाके में जारी है. दंतेवाड़ा के अंदरुनी इलाकों तक सरकार की पहुँच होती जा रही है. सरकार की योजनाओं से ग्रामीण जुड़ते जा रहे हैं. स्थानीय आदिवासी महिलाओं तक स्वरोजगार पहुँचाया जा रहा है.

दरअसल भूपेश सरकार ने बीते साढ़े तीन साल में ग्रामीणों को स्वालंबी बनाने और विशेषकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा काफी काम किया है. इसी का परिणाम है कि आज नक्सल क्षेत्रों में भी सुराजी का सुराज दिख रहा है. नवा छत्तीसगढ़ अब गावों में से उग रहा है. इलाके में अब हर कोई यही कह रहा है, ‘भूपेश है तो भरोसा है’. भरोसे का प्रतीक दिखता भी है. सपने सच होते हैं, हर किसी के होते हैं, यह भी दिख रहा है. दिख रहा है कैसे जब दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो आप क्या कुछ नहीं कर सकते, बदल सकते.

दंतेवाड़ा में बदलाव की इसी बयार को भूपेश सरकार की दो योजनाओं से देखेंगे, समझेंगे और पढ़ेंगे.

दंतेवाड़ा तहसील में जिला मुख्यालय 8 किलोमीटर दूर एक गांव है, नाम है ‘भैरमबंद’. भैरमब ग्राम पंचायत बालपेट का आश्रित गांव है. बालपेट के आश्रित गांव भैरमबंद में बना है एक सुंदर गौठान. राज्य सरकार की सुराजी(नरवा-गरवा, घुरवा-बारी) योजना के तहत बना गौठान. गौठान आज सिर्फ गायों को रखने का ही स्थान नहीं रहा, बल्कि भूपेश सरकार ने गौठानों को आजीविका केंद्र के रूप में बदल दिया है. इससे कहीं ज्यादा गौठानों को औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है.

भैरमबंद के इस गौठान में 15 स्व-सहायता समूह में करीब 150 महिलाएं काम का कर रही हैं. अलग-अलग समूहों को अलग-अलग काम दिया गया गया है. वर्मी खाद निर्माण के साथ, सब्जी, मशरूम उत्पादन, मुर्गी, बकरी पालन, वनोपज संग्रहण, फिनाइल निर्माण, एक्यूरियम निर्माण, मछली पालन आदि. इन कार्यों के साथ महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराया गया है.

सब्जी-हल्दी उत्पादन कर 35 हजार की आय

गौठान में कार्यरत् दुर्गा महिला ग्राम संगठन की महिलाएं खाद निर्माण के साथ ही सब्जी की खेती भी करती हैं. सब्जी और हल्दी की खेती से महिलाएं आज आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं. महिलाओं ने कम समय में ही सब्जी और हल्दी से लगभग 35 हजार रुपये की आमदनी प्राप्त कर ली हैं.

एक्यूरियम निर्माण से डेढ़ लाख की आय

इसी तरह गौठान में एक समूह के पास एक्यूरियम निर्माण का काम है. जिला प्रशासन के सहयोग से समूह की महिलाएं नए काम में ज्यादा ही उत्साह और लगन से काम कर रही हैं. जिससे महिलाएं आज स्वालंबी बनने के साथ ही आर्थिक रूप से सक्षम होती जा रही हैं. एक्यूरियम निर्माण से अब तक महिलाएं डेढ़ लाख रुपये की आय प्राप्त कर चुकी हैं.

मछली पालन से अब तक 3 लाख की कमाई

गौठान में ही 10 एकड़ का विशाल तालाब बनाया गया है. इस तालाब में मछली पालन का काम किया जा रहा है. यह काम भी महिला समूह के पास. समूह की महिलाओं को मछली पालन के लिए मत्स्य विभाग की ओर से प्रशिक्षण और सहयोग दिया है. मछुआ समिति का गठन भी किया गया. समूह की महिलाओं ने एक साल में मछली पालन से 3 लाख रुपये की कमाई की है.

मुर्गी एवं बकरी पालन की शुरुआत

इसी तरह से दुर्गा महिला ग्राम संगठन की महिलाओं की ओर से ही मुर्गी पालन का काम किया जा रहा है. मुर्गी पालन के साथ बकरी पालन भी महिलाएं कर रही हैं. इससे महिलाएं समय के साथ अच्छी आमदनी प्राप्त करती जाएंगी.

मशरूम उत्पादन से शुरुआत में 10 हजार की आय

वहीं दुर्गा महिला संगठन में एक समूह के पास मशरूम उत्पादन का काम है. समूह की ओर से अभी शुरुआती काम में ही 10 हजार रुपये की आमदनी हो गई है. इस काम से महिलाएं बेहद उत्साहित हैं.

फिनाइल निर्माण में अब तक 60 हजार की आय

गौठान में ही एक महिला समूह की ओर से फिनाइल निर्माण का कार्य किया जा रहा है. गौठान में निर्मित फिनाइल को शासकीय कार्यालयों में भेजा जाता है. इसके साथ ही बाजार में भी समूहों की ओर निर्मित उत्पादों को बेचा जा रहा है. अब तक समूह की महिलाओं को इससे 60 हजार रुपये की आय प्राप्त हो चुकी है.

गोधन से बरस रहा धन

इसी तरह से राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना से धन बरस रहा है. गौठान में एक महिला समूह की ओर से वर्मी खाद का निर्माण किया जा रहा है. अबतक इस केंद्र में कुल 6,33,863 किग्रा. गोबर खरीदी किया गया है, जिसकी राशि 12,67,726 रूपये गोबर विक्रेता हितग्राहियों को प्रदान किया जा चुका है. गोठान में प्राप्त गोबर से केंचुआ खाद 1,21,505 किग्रा. को 12,10,030 रूपये व सुपर कम्पोस्ट मात्रा 20,000 किग्रा. राशि 1,20,000 रू0 में बेचा गया है.

सरकार ने उपलब्ध कराया ग्लोबल बाजार, इमली का बढ़ने लगा कारोबार

दंतेवाड़ा की पहचान देश ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया में आम-इमली के बेहतर उत्पादन के लिए भी है. दंतेवाड़ा की इमली की मांग विश्व बाजार में है. सरकार ने इमली उत्पादन के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कई कारगर कदम उठाएं हैं. इमली के कारोबार को ग्लोबल बाजार उपलब्ध कराने के साथ सरकार महिला समूहों के माध्यम से उत्पादन, संग्रहण के साथ ही इमली से कई अन्य समाग्रियों का निर्माण काम भी शुरू किया है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिला यूनियन अंतर्गत वर्ष 2021-22 में इमली के समर्थन मूल्य 33 रूपयें प्रति किलो की दर से महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 15421.53 क्विटल इमली की खरीदी गई. जिससे क्षेत्र के लगभग 12400 ग्रामीण परिवारों को राशि रू. 509.00 लाख पारिश्रमिक भुगतान किया गया. इमली संग्राहकों ने बताया कि समर्थन मूल्य पर इमली खरीदी से उनकी और परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है. इमली खरीदी में 78 महिला स्व-सहायता समूहों को रू. 8.31 लाख का आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ.

”प्रसंस्करण” केन्द्र के माध्यम से महिला स्व-सहायता समूहों को प्रशिक्षण उपरांत इमली प्रोसेसिंग का कार्य कराया जा रहा है. वर्तमान में जिले के 05 प्रसंस्करण केन्द्रों में संलग्न 75 महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा कुल 22000 क्विंटल इमली का प्रसंस्करण कर 11000 क्विटल फूल इमली निर्मित किया जा चुका है. फूल इमली से चपाती इमली, इमली सॉस एवं अन्य खाद्य उत्पाद निर्माण से वनोपज का मूल्यवर्धन कर विक्रय जा रहा है। प्रसंस्करण कार्य में संलग्न स्व-सहायता समूहों को 146.25 लाख रूपये का आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ है.

महिला स्व-सहायता समूहों के सदस्यों द्वारा निर्मित फूल इमली (बीज रहित इमली), चपाती इमली, इमली सॉस आदि की मार्केटिंग राज्य स्तर पर छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ अधिकृत छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांडिंग के माध्यम से किया स्थानीय संजीवनी मार्ट, एन.डब्ल्यू. एफ.पी. मार्ट एवं आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा राज्य के व्यापारियों के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है.