राजस्थान. अपने लाल और सफेद पत्थर के लिए राजस्थान के भरतपुर जिले के रूपवास क्षेत्र में स्थित बंसी पहाड़पुर दुनियाभर में प्रसिद्ध है. पहाड़पुर के इस पत्थर की खासियत है कि यह हजारों सालों तक खराब नहीं होता और ना ही इसकी चमक वैसे ही बरकरार रहती है. प्राचीन इमारतों से लेकर आधुनिक समय के मंदिरों और होटलों में इस पत्थर का उपयोग किया गया है.
नक्काशी के मामले में भी इस पत्थर का कोई मुकाबला नहीं है. यह पत्थर बारिश के दिनों में दोगुनी चमक देता है और यही वजह है कि देश-विदेश में इस पत्थर की मांग ज्यादा है. वहीं बंसी पहाड़पुर के पत्थर को विभिन्न शहरों में ले जाकर नक्काशी का कार्य भी किया जा रहा है. स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार का साधन होने के साथ-साथ आमदनी का जरिया है.

बंसी पहाड़पुर के पत्थर को निकालकर बयाना की रीको इंडस्ट्रीज में पहुंचाया जाता है. वहां विभिन्न प्रकार की मशीनों से इस पत्थर की कटाई की जाती है. 45 से 50 मजदूरों इसमें नक्काशी का काम करते हैं. इस पत्थर को राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, मुंबई, दिल्ली सहित विदेशों में पहुंचाया जाता है.

बंसी पहाड़पुर के पत्थर का प्रयोग देश और विदेश की प्राचीन इमारतों में किया गया है. यह पत्थर सबसे ज्यादा चर्चा में राम मंदिर निर्माण के दौरान आया था. राम मंदिर सहित अक्षरधाम मंदिर, विधानसभा, संसद, होटलों के साथ-साथ कई प्राचीन महल, मंदिर और किलो में भी इसका प्रयोग किया गया है. इस पत्थर की मियाद पांच हजार साल से ज्यादा है. इस पर जितनी ज्यादा बारिश होती है उतनी चमक इस पत्थर पर आती है. इस पत्थर के कारण ही बंसी पहाड़पुर की अलग पहचान बनी हुई है.