आशुतोष तिवारी, बस्तर। छत्तीसगढ़ को 2026 तक नक्सलमुक्त बनाने के लक्ष्य के बीच माओवादी संगठन में फूट सामने आई है। केंद्रीय प्रवक्ता अभय ने हाल ही में युद्धविराम की बात कही थी और सरकार से बातचीत की शर्त रखी थी। इस प्रस्ताव के आने के चार दिन बाद अब तेलंगाना स्टेट कमेटी का पत्र सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि अभय का युद्धविराम बयान निजी राय है और यह पार्टी का फैसला नहीं है। इस तरह से नक्सल संगठन के अलग-अलग बयान आने से साफ जाहिर होता है कि संगठन में दो फाड़ हो गया है।
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तेलंगाना स्टेट कमेटी की प्रतिक्रिया
तेलंगाना स्टेट कमेटी के प्रवक्ता ने साफ किया कि सोनू का युद्धविराम बयान निजी राय है। माओवादी पार्टी ने कहा कि भाजपा सरकार “कगार युद्ध” चला रही है और मार्च 2026 तक संगठन का सफाया करने की घोषणा है। पिछले समय में पार्टी महासचिव समेत 28 कैडर 21 मई की मुठभेड़ में मारे गए, जबकि कई शीर्ष नेता हाल ही में ढेर हुए। इसके अलावा कुछ राज्य और जिला कमेटी के सदस्य स्वास्थ्य कारणों से आत्मसमर्पण कर चुके हैं। बुद्धिजीवियों और संगठनों ने शांति वार्ता की मांग की, लेकिन सरकार दमन अभियान जारी रखे हुए है।
तेलंगाना स्टेट कमेटी ने कहा कि सोनू का सार्वजनिक बयान क्रांतिकारी खेमे में भ्रम फैलाने वाला है। पार्टी ने स्पष्ट किया कि गुप्त संगठन के फैसले इंटरनेट पर नहीं लिए जाते और यह बयान आधिकारिक नहीं है, किसी को भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। कमेटी ने जनता से अपील की कि भाजपा की जनविरोधी और फ़ासीवादी नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज किया जाए।


केंद्रीय प्रवक्ता अभय का शांति वार्ता प्रस्ताव
बता दें कि 16 सितंबर को केंद्रीय प्रवक्ता अभय का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें अभय ने सरकार के साथ शांति वार्ता के तैयार होने की बात कही। साथ ही हथियार छोड़कर भविष्य में जनसमस्याओं को लेकर देश की राजनैतिक पार्टियों और संघर्षरत संस्थाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की बात भी कही।
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