छत्तीसगढ़ सिनेमा एक सपना देख रहा था. ये सपना था फिल्म विकास निगम के निर्माण का. जिसके बनने से छत्तीसगढ़ी फिल्मों का विकास हो सके. मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह की सरकार ने सिनेमा से जुड़े हज़ारों लोगों के उस सपने को पूरा किया. सरकार ने अपने वादों को पूरा करते हुए छत्तीसगढ़ में फिल्म विकास निगम का गठन कर दिया. 21 अगस्त को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस बात की मुहर लगी. अब इसके गठन की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है. कैबिनेट के मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने खुद इसका ऐलान किया.
सरकार ने अपने 2013 के चुनावी घोषणा पत्र में जिन वायदों का पूरा किया. उसमें एक और कड़ी जुड़ गयी है. इस सरकार ने साबित कर दिया है कि जो उसने जैसा कहा था वैसा किया. विकास निगम के गठन का ऐलान के बाद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण का इतिहास 50 साल से भी ज्यादा पुराना है. इस दौर में 100 से ज्यादा छत्तीसगढ़ी फिल्मों का निर्माण हो चुका है. राज्य में कला प्रतिभाओं को अवसर देने, राज्य में क्षेत्रीय फिल्म निर्माण और प्रदर्शन की समुचित व्यवस्था के लिए केबिनेट की बैठक में ’छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम’ के गठन का निर्णय लिया गया. यह निगम संस्कृति विभाग के अन्तर्गत होगा. इसका पंजीयन छत्तीसगढ़ सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1973 के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा.
फिल्म विकास निगम के गठन से छत्तीसगढ़ में फिल्म उद्योग के क्षेत्र राज्य की कला संस्कृति के साथ साथ पर्यटन और रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा. फिल्म निर्माण से जुड़े कलाकारों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था निगम द्वारा की जाएगी. आवश्यकतानुसार फिल्म निर्माण के विभिन्न पक्षों को आर्थिक सहायता, अनुदान आदि देने की भी व्यवस्था रहेगी. निगम के संचालक मण्डल में शासन द्वारा नामांकित व्यक्ति को अध्यक्ष के रूप में शामिल किया जाएगा. संस्कृति विभाग के सचिव या उनके नामांकित प्रतिनिधि, वित्त विभाग के सचिव या उनके नामांकित प्रतिनिधि, संचालक जनसम्पर्क, संचालक उद्योग, प्रबंध संचालक पर्यटन मंडल और संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के संचालक इसके सदस्य होंगे। संचालक मंडल में शासन द्वारा नामांकित अधिकतम 5 अशासकीय सदस्य भी होंगे फिल्म विकास निगम के प्रबंध संचालक इसके सदस्य सचिव होंगे.
फिल्म विकास निगम के गठन के बाद छत्तीसगढ़ी सिनेमा को लाभ मिलेगा. सीधे तौर पर कलाकार अब सरकार से जुड़े रहेंगे. वो अपनी परेशानियों से सरकार को अवगत कराते रहेंगे.
राज्य बनने के साथ ही छत्तीसगढ़ी सिनेमा ने अपनी पहचान बनानी शुरु कर दी. लेकिन कलाकार उचित फोरम नहीं होने की वजह से अपनी परेशानियां सामने नहीं रख पाते थे. लेकिन फिल्म विकास निगम के गठन के बाद अब निगम के संचालक मंडल में अध्यक्ष और अधिकतम 5 शासकीय सदस्यों को शासन द्वारा नामित किया जाएगा. फिल्म विकास निगम के प्रबंध संचालक सदस्य सचिव होंगे. यह निगम राज्य में क्षेत्रीय फिल्म निर्माण और प्रदर्शन की व्यवस्था करने के साथ-साथ प्रतिभाशाली कलाकारों को अवसर प्रदान करेगा. आवश्यकतानुसार फिल्म निर्माण करने वाले विभिन्न पक्षों को यह निगम अनुदान, आर्थिक सहायता इत्यादि भी प्रदान करेगा. यह निगम फिल्म निर्माण से संबंधित कलाकारों के लिए प्रशिक्षण की भी व्यवस्था करेगा. इसके अतिरिक्त मंत्रिमंडल द्वारा छत्तीसगढ़ दिव्यांगजनों को तीन श्रेणियों (अस्थिबाधित, दृष्टि बाधित एवं श्रवणबाधित) में पूर्व प्रदत्त 6 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 7 प्रतिशत करने का निर्णय किया गया. 1 प्रतिशत की यह वृद्धि निःशक्त व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत केंद्र सरकार द्वारा दिव्यांजनों के लिए शामिल की गई दो नई श्रेणियों (मानसिक/बौद्धिक निःशक्तता और बहु निःशक्तता) में आरक्षण प्रदान करने हेतु की गई है. वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा दिव्यांगजनों को 4 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ी सिनेमा का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. यहाँ की फिल्मो ने लोगो के दिल पर अपनी जगह बनाई है. हिंदी सिनेमा 100 से ज्यादा वर्ष पूर्ण कर चुका है तो छत्तीसगढ़ी सिनेमा ने भी 52 वर्ष पुरे कर लिए है. छत्तीसगढ़ी फिल्मो ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. कई छत्तीसगढ़ी फिल्मो ने सिल्वर जुबली बनाई. राज्य बनने के साथ ही छत्तीसगढ़ी फिल्मों ने भी अपनी अमिट छाप छोड़ी थी.
राज्य बनने के बाद रिलीज हुई फिल्म मोर छईहां भुईयां ने फिल्म इतिहास के सारे रिकार्ड तोड़ डाले. यहां तक इस फिल्म की चर्चा देशभर में हुई. बॉलीवुड भी इस फिल्म की सफलता को लेकर उत्साहित था. इस फिल्म ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए संजीवनी का काम किया और लगा कि अब तो यहां छत्तीसगढ़ी फिल्में स्थापित हो जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. एक फिल्म के धुआंधार तरीके से चलने के बाद आने वाली सभी फिल्में औंधे मुंह जा गिरी. उनमें से कुछ फिल्में चलीं लेकिन उन्हें वह रिस्पांस नहीं मिल पाया जो मोर छईहां भुईयां को मिला था. इक्का-दुक्का फिल्में बनती रहीं लेकिन उसके बाद फिर एक लंबा ठहराव सा आ गया.
तभी साल 2008 में मया ने एक बार फिर छॉलीवुड में नई ऊर्जा का संचार किया. फिल्म भी मोर छईहां भुईयां की तरह सुपर-डूपर साबित हुई. एक बार फिर छत्तीसगढ़ी फिल्मों के बनने का सिलसिला शुरु हो गया.
व्यावहारिक रूप से फिल्म मेकिंग जानने के बाद ही निर्माण हो तो अच्छा होगा. यह विचार है छत्तीसगढ़ी फिल्मों के जनक और पितामह मनु नायक का. जिन्होंने पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ”कहि देबे संदेश का निर्माण-निर्देशन कर छालीवुड का आगाज किया. भोजपुरी फिल्म गंगा मैय्या तोहे पियरी चढ़इबो से प्रेरित होकर सन् 1963 में नायक ने छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माण की घोषणा अमर गायक मो. रफी की आवाज में गाना रिकार्डिंग कर की. गीत लिखा डॉ. हनुमंत नायडू ने जिन्होंने छत्तीसगढ़ी गीतों पर डाक्टरेट किया था और संगीत दिया मलय चक्रवती ने. तब तक फिल्म का नाम तय नहीं हुआ था, इसके पश्चात छत्तीसगढ़ी गीतों में संदेश होने की वजह से नाम रखा गया ”कहि देबे भइया ला संदेश. कहानी तीजा पर भाई-बहन के स्नेह पर आधारित रखने का विचार हुआ लेकिन कालांतर में छूआछूत के खिलाफ स्टोरी लिखी गई तो नाम में भइया ला हटाकर कहि देबे संदेश रखा गया.
छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम के गठन के एलान के बाद छत्तीसगढ़ फिल्म इन्द्रस्ती के लोग मुख्यमंत्री का आभार जता रहे है. फिल विकास निगम के गठन की छत्तीसगढ़ के कलाकारों को सबसे ज्यादा जरुरत थी जिसे सरकार ने पूरा कर दिया है. छत्तीसगढ़ी फिल्मो के बड़े कलाकार और पद्मश्री से नवाजे जा चुके अनुज शर्मा गठन को लेकर मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए कहते है कि पहले छत्तीसगढ़ी सिनेमा के पास ऐसा कोई फोरम नहीं था जहा अपनी बात कह सके अब फिल्म विकास निगम के गठन के बाद यह चीज तय हो जाएगी कि सरकार की और से एक संस्था होगी जो फिल्मो के विकास के लिए काम करेगी. इससे थोड़े समय बाद निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ी सिनेमा में बदलाव आयेगा. अब छत्तीसगढ़ में सिनेमा के लिए अच्छा माहौल होगा. सरकार की मदद से हम और सशक्त होंगे.
कई सुपरहिट छत्तीसगढ़ी फिल्म दे चुके जाने माने निर्माता सतीश जैन का कहना है कि फिल्म विकास निगम के गठन का जरुर लाभ मिलेगा. पहले अपनी मांगो और समस्याओ को लेकर मुख्यमंत्री जी के पास जाते थे. लेकिन अब योग बन जायेगा जिससे सीधे हम अपनी मांगो को लेकर जायेंगे. और फिर समस्याओ का निराकरण होगा. हमारा माध्यम निगम बनेगा जो हमारी बात ऊपर तक पहुचायेगा. हमें खुद जाना नहीं पड़ेगा. सरकार की मदद से अब और अच्छी फिल्मे बनेगी.
छत्तीसगढ़ी फिल्म इन्द्रस्ती से जुड़े कलाकार मन कुरैशी बताते है कि इससे उन जैसे कलाकारों को बहुत फायदा मिलेगा. हमें सब्सिडी मिलेगी जो फायदे होंगे वो बहुत कारगर साबित होगी. इन्द्रस्ती में पहले के दौर और अब के दौर में बहुत बदलाव आया है. छत्तीसगढ़ी फिल्म इन्द्रस्ती लगातार ग्रो कर करही है. जहा जहा पर हमारे दर्शक है वहा पर भी छत्तीसगढ़ी फिल्मे रिलीज हो रही है.
जाने माने फिल्मकार मनोज वर्मा ने फिल्म विकास निगम के गठन के बाद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी से को बधाई देते हुए कहा कि फिल्म विकास निगम का गठन काफी लंबित मामला था. अब जाकर वो पूरा हुआ है. मांग इसलिए थी कि इसमें बहुत फायदे है. छोटी से छोटी चीजो के लिए हमें मुख्यमंत्री जी से मिलना पड़ता था. अब एक छत मिल गयी है जिसके अंदर हम अपनी मांग रख सकेंगे. निगम की टीम मिलकर योजना बनाएगी कि किस तरह छत्तीसगढ़ी फिल्मो का विकास हो सके. गठन के बाद नई टाकिजे बनेगी जो सबसे ज्यादा जरुरत की चीज थी.
सब्र का फल मीठा होता है और उस मेहनत का फल मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने फिल्म विकास निगम का गठन करके हम सब छत्तीसगढ़ी फिल्मो से जुड़े लोगो को दिया है. यह कहना है छत्तीसगढ़ी फिल्म प्रोड्यूशर राकी दासवानी का . वो आगे कहते है कि राज्य सरकार का यह बहुत ही अच्छा फैसला है. हमारी मांग सालो से थी. जो पूरी हो गई. सारे फिल्म से जुड़े लोग अब व्यवस्थित और संगठित हो जायेंगे. अपनी बात रखने का एक मंच मिलेगा.
छत्तीसगढ़ी फिल्मो में अपनी छाप छोड़ने वाली जानी मानी अभिनेत्री मोना सेन ने कहा कि फिल्म विकास निगम का ग्क्थान होना काफी ख़ुशी की बात है. इसके सरकार को धन्यवाद देती हु. गठन के बाद कलाकार सभी जिलो में मिठाई बांटकर और फटाखे फोड़कर ख़ुशी मना रहे है. छालीवुड का काफी सपना था कि फिल्म विकास निगम बने क्योकि बाहर से पहले टैक्नीशियन लाना पड़ता था तो अब निगम बन्ने के बाद यह सब सरकार के द्वारा हमें प्राप्त होगा.
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