रायपुर. कठिन परिस्थितियों से लड़कर अपना और देश का नाम रोशन करने वाली बेटी यानी हिमा दास आज डीएसपी बन गई है. लेकिन उनके यहां तक पहुंचने की कहानी बेहद प्रेरणादायक है.

हिमा बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है और उन्होंने काफी संघर्ष कर यहां तक का मुकाम हासिल किया है. इस साल जुलाई अगस्त में होने वाले टोक्यो ओलिंपिक में भारत को जिन खिलाडियों से पदक की उम्मीदें हैं, उनमें से एक धाविका ये बेटी भी हैं.

हिमा 21 साल की उम्र में 5 गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकी हैं. ये उन्होंने एक ही महीने के अंतर पर जीते हैं. इस समय हिमा दास टोक्यो ओलिंपिक में जगह पक्की करने के लिए लगातार मेहनत कर रही हैं. उन्हें पूरी उम्मीद है कि वह टोक्यो ओलिंपिक में जाकर देश की उम्मीदों को जरूर पूरा करेंगी.

जाने हिमा दास के बारे में

  • उनका जन्म असम के नागौन जिले के धींग गांव में 9 जनवरी 2000 में हुआ.
  • पूरे परिवार धान की खेती पर निर्भर था. खुद हिमा ने कई सालों तक खेतों में काम किया.
  • हिमा शुरुआत में फुटबॉलर बनना चाहती थीं, लेकिन उनके टीचर ने उन्हें एथलेटिक्स में जाने की सलाह दी.
  • गुवाहाटी में राज्य चैंपियनशिप से उन्होंने अपना करियर शुरू किया.

हिमा दास का करियर और उपलब्धि

अप्रैल 2018 में Hima Das ने गोल्ड कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया में 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर और 4 × 400 मीटर रिले में भाग लिया. 400 मीटर की रेस में हिमा दास फाइनल में पहुंची और उन्होंने 51.32 सेकंड का समय लेते हुए छठा स्थान हासिल किया.हालांकि वह गोल्ड मेडल जीतने से महज 1.17 सेकंड पीछे रह गई.

12 जुलाई 2018 को हिमा दास फ़िनलैंड में आयोजित विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप 2018 में 400 मीटर का फ़ाइनल जीता और 51.46 सेकंड का समय लेते हुए गोल्ड जीता और एक अंतर्राष्ट्रीय ट्रैक इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय धावक बन बन गई. 25 सितंबर 2018 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा हिमा दास को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित लिया.

सुने हिमा के दर्दभरी कहानी उनकी ही जुबानी

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