कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए लगातार नई तकनीकों का विकास किया जा रहा है. इफको की ओर से विकसित की गई नैनो यूरिया और डीएपी भी ऐसी उर्रवक है जो कृषि उत्पादन के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर कर सकती है. मगर इनके इस्तेमाल से पहले इनके इस्तेमाल के तरीकों के बारे में जान लेना चाहिए. क्योंकि अगर इस्तेमाल करने के तरीकों में जरा सी चूक होगी तो फायदे की जगह पर नुकसान का सामना किसानों को करना पड़ सकता है.
बीज में मिलाकर करें इस्तेमाल
नैनो यूरिया का इस्तेमाल कैसे करें इसे लेकर इफको बाजार ने सोशल मीडिया पर एक्स पर एक वीडियो जारी किया है. वीडियो में एक एक्सपर्ट ने बताया कि किसी भी बीज की बुवाई से पहले लगभग 50 किलो बीज को एक कंटेनर में रख लें. इसके बाद उसमें 250 मिली इफको नैनो डीएपी मिला दें. फिर इसे थोड़ी देर छोड़ दें ताकी बीज डीएपी को सोख लें. उसके बाद उन बीजों को खेत में बुवाई कर दें. उन्होंने कहा कि किसान इस बात का ध्यान दें कि प्रत्येक एक किलोग्राम बीज पर पांच एमएल इफको डीएपी का इस्तेमाल करना है. उदाहरण के लिए पांच किलो बीज में 25 एमएल इफको नैनौ डीएपी डालें. खास बात यह है कि नैनो डीएपी का जो ढक्कन होता है वो 25 एमएल का होता है. नैनो डीएपी को बीज में मिलाने के लिए पानी की भी आवश्यकता पड़ सकती है. मिश्रण हाथ से हिलाकर ऐसे मिलाएं की हर बीज तक डीएपी पहुंच जाए.
नैनो डीएपी का ऐसे करें छिड़काव
इसके बाद बीज की बुवाई कर दें. बीज की बुवाई के 20-25 दिनों के बाद जब पौधें थोड़े बड़े हो जाएं तब जो बाकि बचा हुआ 250 एमएल नैनो डीएपी है उसे 100-125 लीटर पानी में मिलाएं और उन्हें 16 लीटर क्षमता वाली आठ टंकियों में बराबर बराबर बांट दे. उसके बाद उसे एक एकड़ खेत में छिड़काव करें. 250 एमएल इफको नैनौ डीएपी एक एकड़ खेत के लिए पर्यापत माना जाता है. इफको नैनौ डीएपी के इस्तेमाले के बारे में जानने के बाद अब जानते हैं कि इफको नैनौ यूरिया का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. इसका इस्तेमाल नैनौ डीएपी के छिड़काव के 20-25 दिन बाद किया जाता है.
इस तरह करें नैनो यूरिया का छिड़काव
इफको नैनौ यूरिया का छिड़काव करने के लिए 500 एमएल नैनौ यूरिया को 100-125 लीटर पानी में मिला लें. इसके बाद उसे 16 लीटर क्षमता वाली आठ टंकियों में बराबर भर लें. उसके बाद उसे एक एकड़ खेत में छिड़काव करें. एक एकड़ खेत के लिए 500 एमएल इफको नैनौ यूरिया पर्पाप्त मानी जाती है. इफको नैनौ यूरिया तरल पदार्थ होता है. यह पौधों के पत्तियों के जरिए उनके जड़ों तक जाता है. इससे मिट्टी, पानी और हवा का प्रदूषण नहीं होता है. यह उर्वरक काफी प्रभावी और किफायती होता है.
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