शिवम मिश्रा, रायपुर. श्री नारायणा हॉस्पिटल देवेंद्र नगर रायपुर में 5 जनवरी 2020 को “बेसिक सेप्सिस लाइफ सपोर्ट पर एक दिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया. अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ सुनील खेमका ने बताया कि इस कांफ्रेंस में तीन राष्ट्रीय फैकल्टी कोलकाता से डॉ अरिंदम कर और डॉ शान्तनु बागची और मुंबई से डॉ केतन कारगीवाल द्वारा सेप्सिस के उचित प्रबंधन से सम्बंधित जानकारियां दी गईं. कांफ्रेंस में रायपुर के कई ख्याति प्राप्त चिकित्सक. डॉ ओ पी सुन्दरानी, डॉ आलोक स्वैन, डॉ प्रदीप शर्मा और डॉ विशाल कुमार ने सेप्सिस के प्रबंधन के बारे में अपने विचार रखे.

डॉ खेमका ने बताया कि अकादमिक सत्रों के बाद कांफ्रेंस में विशेषज्ञों द्वारा छः वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया, जिसमें सेप्सिस के प्रबंधन के व्यावहारिक पहलुओं को बताया गया. कांफ्रेंस में पूरे छत्तीसगढ़ के 70 से ज्यादा डॉक्टरों ने भाग लिया. डॉ खेमका ने कहा कि श्री नारायणा हॉस्पिटल के पास विशेषज्ञ डॉक्टरों प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ और अत्याधुनिक चिकित्सकीय उपकरण हैं, जिनसे सभी प्रकार के सेप्सिस से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जा सकता है.

सेप्सिस के उचित प्रबंधन के बारे में बताते हुए डॉ अरिंदम कर ने कहा कि सेप्सिस अस्पताल में होने वाली मौतों का तीसरा सबसे बड़ा कारण है. सेप्सिस का खतरा दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है. बुजुर्गों और ऐसे मरीज जिनकी प्रतिरक्षा कम होती है, ऐसे मरीजों का सेप्सिस से ग्रसित होना ज्यादा देखा गया है.

श्री नारायणा हॉस्पिटल के चीफ इंटेनसिविस्ट डॉ पंकज ओमर ने कहा कि सेप्सिस का उपचार करने और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर कम करने के लिए यह अत्यावश्यक है कि सेप्सिस होने का पता जल्दी चले और समय रहते उसका उपचार शुरू किया जाए. सेप्सिस के उपचार में हर घंटा अहम होता है और परिणाम को प्रभावित करता है. सेप्सिस का जल्दी पता लगाने और समय रहते उपचार शुरू करने के लिए डॉक्टरों के साथ-साथ आम जनता में भी जागरूकता लाना जरुरी है.