Srimad Bhagavad Gita: दुनिया की सबसे छोटी भगवत गीता की प्रतियों में से एक छत्तीसगढ़ के बालोद में व्यवसायी शंकरलाल श्री श्रीमाल के परिवार में है. गीता की कुल लंबाई 2.5 सेमी और चौड़ाई 02 सेमी है. इसे रखने वाले का दावा है कि यह दुनिया की सबसे छोटी गीता है. यह गीता देश में उपलब्ध सभी गीताओं में से एक है, जिसका प्रकाशन वर्ष 1956 में इंडियन प्रेस मुंबई द्वारा किया गया था.
यह उनके काका ने 66 साल पहले ली थी. इस गीता की कुल 100 प्रतियां प्रकाशित हुईं, जिनमें से अब कुछ ही बची हैं. यह केवल उन लोगों के लिए सुरक्षित है जो अपनी जान से ज्यादा इसकी परवाह करते हैं. शंकरलाल श्री श्रीमाल के काका हीरे-जवाहरात का कारोबार करते थे. उनके काका राजा राजवाड़े में घूमते थे. अगर कुछ मिलता था तो उसे वह घर ले आते थे तब से ही गीता सुरक्षित रखी हुई है. यह गीता परिवार के पास सुरक्षित है. इस गीता की प्रतिदिन पूजा की जाती है. इसे खराब होने से बचाने के लिए इसे एक डिब्बे में रखा जाता है.
Srimad Bhagavad Gita: चीन के दावे से पहले भारत में प्रकाशित की थी गीत
दुनिया की सबसे छोटी किताब 100 पन्नों की है. इसमें संपूर्ण गीता समाहित है. ऐसा दावा किया जाता है कि यह भारत की सबसे युवा श्रीमद्भागवत गीता में से एक है. केवल 100 प्रतियां प्रकाशित हुईं. जो भारत के विभिन्न पुस्तकालयों में रखे गए थे. चीन ने 2014 में एक किताब प्रकाशित की थी जिसमें सबसे कम उम्र की गीता होने का दावा किया गया था. लेकिन भारत में एक आधी आकार की किताब 1956 में ही प्रकाशित हो चुकी थी. सबसे खास बात यह है कि इसमें छपे श्लोकों को पढ़ने में कोई परेशानी नहीं होती है.
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