Srinagar SSP Dr. GV Sundeep Chakravarthy: दिल्ली में ब्लास्ट के बाद हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अब दिल्ली लाल किला ब्लास्ट (Delhi Red Fort Blast) में 5वीं जांच एजेंसी ED की एंट्री हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय इस बात की जांच करेगा कि डॉक्टरों ने विस्फोटक खरीदने के लिए 23 लाख रुपए कहां से जुटाए थे। ED अल-फलाह यूनिवर्सिटी के लेन-देन की जांच भी करेगी। हालांकि देश को दहलाने से बचाने में एक अधिकारी की खूब चर्चा हो रही है, वों हैं श्रीनगर के एसएसपी डॉ. जीवी संदीप चक्रवर्ती।
दरअसल, 17 अक्टूबर को जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले के नौगाम की सड़कों पर उर्दू में पोस्टर लगाए गए थे। इन पर जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य कमांडर हंजला भाई के हस्ताक्षर थे। पहली नजर में ये पोस्टर सामान्य लग रहे थे, लेकिन श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) डॉ. जीवी संदीप चक्रवर्ती ने तुरंत ही पोस्टर में छिपे खतरे को भांप लिया था।

कश्मीर इलाके में डॉ जीवी संदीप को आतंकियों के लिए काल कहा जाता है। वह कई टेरर मॉड्यूल से वाकिफ रहे हैं। उन्होंने ऑपरेशन महादेव में जम्मू-कश्मीर पुलिस का नेतृत्व किया था। जीवी संदीप ने जैश के पोस्टर्स को लेकर जांच शुरू की। सीसीटीवी फुटेज खंगाले। उनमें से तीन ऐसे व्यक्तियों का पता चला, जिन्होंने पहले भी कश्मीर की सड़कों पर पत्थर बरसाए थे। जांच में जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैले एक नेटवर्क का खुलासा हुआ।
21 अप्रैल 2025 को उन्होंने इम्तियाज हुसैन मीर के स्थान पर श्रीनगर के एसएसपी का पदभार संभाला था। किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए कश्मीर की ये सबसे महत्वपूर्ण पोस्टिंग होती है। अनंतनाग, कुपवाड़ा और कुलगाम के विभिन्न क्षेत्रों में उनके नेतृत्व ने आतंकवादी खतरों को बेअसर किया।

ऐसे पकड़ में आए कश्मीरी आतंकी डॉक्टर
इस सफलता के बाद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मॉड्यूल में शामिल कई कश्मीरी डॉक्टरों और अन्य लोगों की गिरफ़्तारी हुई। इस अभियान में 2900 किलोग्राम विस्फोटक, बम बनाने की सामग्री और राइफलें बरामद हुईं। 10 नवंबर के धमाके के बाद जांच एजेंसियां जैसे-जैसे मामले की कड़ियों को जोड़ रही हैं और खुलासे हो रहे हैं कि उससे साफ है कि आईपीएस अधिकारी जीवी संदीप की सूझबूझ ने कई जानें बचाईं।
छोटी धमकी में भी बड़ा मैसेज
छोटी धमकी में भी बड़ा मैसेज छिपा होता है…डॉ जीवी संदीप इसी थ्योरी पर काम करते हैं। उन्होंने छोटी से छोटी धमकी की भी जांच करने की ठान ली। जैश के पोस्टर के बाद मौलवी इरफ़ान अहमद को पकड़ा गया था। पूछताछ के दौरान मौलवी ने जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी नेटवर्क का खुलासा किया. डॉ संदीप के नेतृत्व मेंपुलिस ने 2921 किलो विस्फोटक, बम बनाने का सामान और दो एके सीरीज की राइफलें ज़ब्त कीं। उन्होंने फरीदाबाद में आम नागरिक बनकर डॉक्टरों को गिरफ्तार किया। श्रीनगर, फरीदाबाद और उत्तर प्रदेश में उनके नेतृत्व में व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल (White Collar Terror Module) का पर्दाफाश किया। कश्मीरी डॉक्टर मुजम्मिल, अदील अहमद और डॉ. शाहीन सईद को गिरफ्तार किया गया।

वर्दी वाले डॉक्टर हैं जीवी संदीप
डॉ. जीवी संदीप चक्रवर्ती का जन्म आंध्र प्रदेश के कुरनूल में एक ऐसे परिवार में हुआ था जो जनसेवा में समर्पित था। उनके पिता डॉ. जीवी राम गोपाल राव सरकारी अस्पताल में रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) के पद पर कार्यरत थे। उनकी मां पीसी रंगम्मा स्वास्थ्य विभाग में अधिकारी थीं। कुरनूल के ए-कैंप स्थित मोंटेसरी पब्लिक स्कूल में जीवी संदीप की प्रारंभिक शिक्षा हुई। उन्होंने कुरनूल मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा की पढ़ाई की। 2010 में उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 2014 में वह भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए। डॉ. संदीप की जम्मू-कश्मीर में तैनाती रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और उच्च जोखिम वाली भूमिकाओं से परिभाषित थी, जिसमें आतंकवाद विरोधी अभियानों और पुलिस प्रशासन में उनकी विशेषज्ञता को बढ़ाया गया था।
छह बार राष्ट्रपति पुलिस वीरता पदक और चार बार जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक
आतंकवाद रोधी अभियानों में साहस दिखाने के लिए उन्हें छह बार राष्ट्रपति पुलिस वीरता पदक (पीएमजी) से सम्मानित किया गया है। उन्होंने चार बार जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक जीता।
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