वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। अवैध उगाही की शिकायत पर एसएसपी रजनेश सिंह ने प्रारंभिक जांच के बाद ASI सहेत्तर कुर्रे और कॉन्स्टेबल आशीष मिश्रा को सस्पेंड कर दिया है। ASI और कॉन्स्टेबल सीपत थाने में पदस्थ थे। यह मामला सीपत थाना क्षेत्र का है।


व्यापारी और NTPC कर्मी से अवैध वसूली
जानकारी के अनुसार, वाहन जांच और चालानी कार्रवाई के नाम पर भयादोहन कर व्यापारी से 24 हजार रुपये की वसूली की गई थी। वहीं NTPC कर्मी पर शराब पीकर गाड़ी चलाने का आरोप लगाकर पुलिस ने 50 हजार रुपये की डिमांड कर धमकी दी गई थी। जिसके डर से उसने जहर पी लिया। NTPC कर्मी का अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा है।

ASI और कॉन्स्टेबल सस्पेंड
एसएसपी रजनेश सिंह ने दोनों शिकायतों की जांच के लिए एडिशनल एसपी राजेंद्र जायसवाल को निर्देशित किया। प्रथम दृष्टया जांच में पता चला है कि प्राइवेट कम्प्यूटर ऑपरेटर राजेश्वर कश्यप के अकाउंट में दो किश्तों में 22 हजार और 2 हजार रुपये ट्रांसफर कराया गया है। उसका थाने में आना-जाना है। यह भी पता चला है कि शिकायतकर्ता के खिलाफ धारा 185 के तहत कार्रवाई की गई है और गाड़ी चालान किया गया है। जांच में एएसआई सहेत्तर कुर्रे और आरक्षक आशीष मिश्रा की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। लिहाजा, दोनों को निलंबित करने का आदेश जारी किया गया है। साथ ही इस मामले की विभागीय जांच के भी निर्देश दिए गए हैं।

सीपत के उज्जवल नगर एनटीपीसी कॉलोनी में रहने वाले धीरेंद्र मंजारे एनटीपीसी के एचआर विभाग में काम करता है। NTPC कर्मी पर शराब पीकर गाड़ी चलाने का आरोप लगाकर पुलिस ने 50 हजार रुपए की डिमांड कर धमकी दी। जिसके डर से उसने घर पहुंचकर जहर पी लिया। NTPC कर्मी को इलाज के लिए अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं सीपत के नवाडीह चौक निवासी अविनाश सिंह ठाकुर ने बिना कार्रवाई के छोड़ने के लिए उनसे 50 हजार रुपये की मांग की। व्यवसायी ने ऑनलाइन रुपए ट्रांसफर करने की बात कही। तो थाने में ही प्राइवेट कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करने वाले राजेश्वर कश्यप के खाते में 24 हजार रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। पैसे मिलने के बाद उसके वाहन को छोड़ दिया गया। कुछ देर बाद उनके वाहन को दूसरी जगह रोककर फिर से थाने लाया गया। इसके बाद उसके वाहन को जब्त कर लिया गया। उनके साथी रवि कश्यप के खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई।
दरअसल, शहर के साथ ही जिले के हर थाने में थानेदार और अफसरों के लिए एक अलग से व्यवस्था है, जिसकी जिम्मेदारी या तो प्राइवेट व्यक्ति संभाल रहा है या फिर करीबी पुलिसकर्मी। जिनके माध्यम से अवैध लेनदेन चल रहा है। ऐसा नहीं है कि इस सिस्टम की जानकारी पुलिस के आला अधिकारियों को नहीं है। लेकिन, इसे व्यवस्था का रूप मान लिया गया है। क्योंकि, थाने में अफसरों की बेगारी उनकी इस अवैध उगाही से की जाती है।
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