मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में सहकारिता के क्षेत्र में अध्ययन, अध्यापन और शोध को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सहकारी महाविद्यालय की स्थापना की तैयारी के निर्देश दिए हैं. शुक्रवार को केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल की उपस्थिति में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई. केंद्रीय राज्य मंत्री ने इस पहल पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया.

बैठक में एम-पैक्स सदस्यता महाभियान पर भी विस्तार से चर्चा हुई. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ मंत्र को आत्मसात करते हुए 12 सितम्बर से 12 अक्टूबर तक आयोजित अभियान के माध्यम से हर किसान और हर ग्रामीण परिवार को सहकारिता से जोड़ना प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में आयोजित प्रथम सदस्यता महाअभियान में 30 लाख से अधिक नए सदस्य जुड़े थे, जिनमें 17.33 लाख किसान, 3.92 लाख अकुशल श्रमिक, 1.56 लाख कुशल श्रमिक, 2.20 लाख पशुपालक और 6,411 मत्स्यपालक शामिल थे. इस अभियान से सहकारिता क्षेत्र में 70 करोड़ का अंशदान प्राप्त हुआ था. सीएम ने निर्देश दिए कि द्वितीय महाअभियान को और व्यापक बनाया जाए और गांव-गांव में कैंप, ऑनलाइन/ऑफलाइन पंजीकरण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं.

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केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री ने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की उपलब्धियां अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय हैं और प्रधानमंत्री जी के विजन को साकार करने में प्रदेश अग्रणी भूमिका निभा रहा है. बैठक में सहकारी बैंकिंग सुधारों की समीक्षा करते हुए अवगत कराया गया कि 2017-18 से 2024-25 तक राज्य सरकार द्वारा 16 बंद जिला सहकारी बैंकों को 306.92 करोड़ की सहायता से पुनर्जीवित किया गया है. इन बैंकों का एनपीए 2017 में 800 करोड़ से घटकर मार्च 2025 में 278 करोड़ रह गया. मार्च 2025 तक ₹1000 करोड़ का ऋण व्यवसाय दर्ज हुआ और सभी बैंक लाभ में आ गए. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान और जमाकर्ताओं का विश्वास ही सहकारिता की असली पूंजी है, इसे हर हाल में सुरक्षित रखा जाए. उन्होंने कहा कि सहकारिता भारतीय ग्रामीण समाज की प्राचीन परंपरा है. समाज को एकजुट रखने में इसकी बड़ी भूमिका है. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश सहकारिता क्षेत्र में नए इतिहास रच रहा है.

अन्न भंडारण योजना की प्रगति पर चर्चा करते हुए बताया गया कि एफसीआई ने प्रदेश के 35 जनपदों में 96 स्थलों की पहचान की है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि 15 नवम्बर 2025 तक वित्तीय समापन प्रक्रिया पूरी कर जनवरी 2026 से निर्माण कार्य प्रारंभ कर अप्रैल 2026 तक पूरा कर लिया जाए. उन्होंने कहा कि गोदाम निर्माण किसानों की समृद्धि का आधार है, इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए. इस अवसर पर एम-पैक्स के गठन और कार्यप्रणाली पर भी विस्तार से समीक्षा की गई. बताया गया कि 2024-25 में 266 एम-पैक्स के सापेक्ष चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 457 नये एम-पैक्स गठित हो चुके हैं, जबकि सितम्बर माह में 1,088 ग्राम पंचायतों में संगठन प्रक्रिया चल रही है. एम-पैक्स को उर्वरक वितरण हेतु ₹10 लाख तक ब्याज-मुक्त ऋण सीमा दी गई है, जिससे अब तक 5,400 करोड़ का टर्नओवर और 120 करोड़ की मार्जिन मनी प्राप्त हुई है. इसी प्रकार, 757 नवगठित एम-पैक्स के उन्नयन के लिए राज्य सरकार 1 लाख मार्जिन मनी और 1 लाख आधारभूत अवसंरचना विकास के लिए उपलब्ध करा रही है.

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डिजिटल भुगतान व्यवस्था के तहत 6,101 सोसाइटी में क्यूआर/यूपीआई आधारित प्रणाली लागू हो चुकी है. साथ ही, व्यवसाय विविधीकरण को बढ़ावा देते हुए 5170 एम-पैक्स में सीएससी सेवाएं, 6443 एम-पैक्स को पीएम किसान समृद्धि केंद्र और 161 एम-पैक्स में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालित किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि जन औषधि केंद्र अस्पतालों के निकट स्थापित किए जाएं और सहकारिता को युवाओं के लिए कृषि, डेयरी, मत्स्य व सेवा क्षेत्रों में रोजगारमूलक अवसरों का द्वार बनाया जाए.