ज्ञान खरे,पामगढ़. राज्य की शिक्षा व्यवस्था बदहाल होती नजर आ रही है. आए दिन कहीं न कहीं से खबर निकलकर आती रहती है कि शिक्षकों की कमी से बच्चों का भविष्य अंधकार में जाता दिख रहा है. लेकिन ये व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला जांजगीर जिले के पामगढ़ के ससहा से निकलकर सामने आया है.
एक शिक्षक के ही भरोसे ससहा का माध्यमिक स्कूल संचालित हो रहा है. राज्य सरकार शिक्षा में सुधार और विकास की बात तो करती हैं, लेकिन उनकी ये कोशिश नाकाम होती नजर आ रही हैं. प्रदेश में शिक्षकों की तैनाती के मामले में सरकार गंभीर प्रयास नहीं कर रही है. क्षेत्र के कई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. वहीं सुगम क्षेत्रों में जरुरत से कहीं ज्यादा शिक्षक तैनात हैं. ससहा के माध्यमिक स्कूल में बच्चों का भविष्य सिर्फ एक शिक्षक के सहारे है. बच्चे और अभिभावक दोनों ही भविष्य को लेकर चिंतित हैं.
इस समस्या को लेकर कई बार विभागीय अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों से मुलाकात की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. विद्यालय में गरीब बच्चे ही अध्ययन कर रहे हैं. आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने के कारण इनके अभिभावक इनका दाखिला निजी स्कूलों में कराने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में इन गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार सही नहीं मिल पा रहा है. सरकार एक ओर तो बच्चों को स्कूल लाने का अभियान चलाती है, दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षा के स्तर को सुधारने का कोई प्रयास नहीं कर रही हैं.
जांजगीर जिले के पामगढ़ विकासखण्ड इलाके के कई स्कूल ऐसे हैं, जहां एक शिक्षक के भरोसे 50 से 100 बच्चे हैं. नियम के अनुसार 40 छात्रों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक होना चाहिए. स्कूलों में शिक्षकों का अभाव है तो पूर्व माध्यमिक शाला में बच्चों की संख्या 160 है और स्कूल के भवन इतना जर्जर हालत में हैं की संचालित भवन को छोड़कर एक किलोमीटर दूर दूसरे स्कूल का अतिरिक्त कक्ष में स्कूल लगाया जा रहा हैं. स्कूल को भी एक शिक्षक के भरोसे छोड़ दिया है. वही एक अन्य शिक्षक को दूसरे स्कूल में अटैच कर दिया गया हैं.
ऐसे स्थिति में पढ़ाई नहीं हो पाने से बच्चों के साथ उनके पालक भी चिंतित हो रहे, लेकिन शिक्षा विभाग की इस ओर ध्यान नहीं देने से बच्चों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं. इन बच्चों को शिक्षा देने की खानापूर्ति की जा रही हैं. एक शिक्षक के हवाले 160 बच्चों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अब यह बदहाल स्थिति कब सुधरेगी यह देखने वाली बात होगी.