रायपुर. छत्तीसगढ़ सरकार फसलों की पैदावार को बढ़ाने को लेकर जिस तरह से जल पूर्ति के लिए तत्परता के साथ आगे आई है वो काबिले तारीफ है. और इसी का नतीजा है कि पिछले सालों की अपेक्षा में साल 2019 में भू-जल स्तर गिरने की शिकायतें में 50 प्रतिशत की कमी देखी गई है. इसका कारण बेहद ही दिलचस्प है. भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद के शुरूआती फैसलों में एक बड़ा फैसला था कि इस साल रबी फसल की सिंचाई के लिए भरपूर पानी दिया जाएगा.
ये फैसला सिर्फ किसानों के लिए नहीं बल्कि धरती के लिए भी कारगर साबित हुआ है इसके बाद निस्तारी तालाबों को पानी से भरने का काम किया गया. नलकूप खनन के अलावा सुधार आदि नियमित कार्यों को बेहतर ढंग से करने का नतीजा ये रहा कि इस साल 2019 में पेयजल के संकट की तीव्रता कम हुई है.
विभागीय सूत्रों के अनुसार पिछले वर्ष 7000 से अधिक नलकूपों का भू-जल स्तर गिरने से पेयजल मिलना बंद हो गया था जबकि इस साल ये आंकड़ा 3500 के लगभग रहा, जिसके लिए वैकल्पिक इंतजाम करने में विभाग को काफी सहूलियत हुई है. रबी फसल की सिंचाई के लिए पानी देने से जमीन की रिचार्जिंग है.
प्रदेश में नल-जल योजनाओं की संख्या 4329 है जिसमें से 3481 पूर्ण हो चुकी हैं. प्रदेश में स्वीकृत सोलर ड्यूल ऑपरेटेड पम्प की संख्या 5226 है जिसमें से 4867 पूर्ण हो चुकी है. प्रदेश में स्वीकृत मिनी नलजल प्रदाय योजना की संख्या 2027 है जिसमें 1785 पूर्ण हो चुकी हैं. प्रदेश में वर्ष 2018-19 में अन्य मदों के अन्तर्गत बसाहटों में खनिज पेयजल की संख्या 700 है, जिसमें 564 सफल है.
इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में ग्रीष्मकाल में संभावित पेयजल संकट से निपटने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हैण्डपम्पों एवं नलजल योजनाओं को निरंतर चालू रखने के लिये पेयजल निगरानी कंट्रोल रूप की स्थापना की गई है. जिसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने टोल फ्री नम्बर 1800-233-0008 स्थापित किया गया है जिस पर फोन कर पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है.