रायपुर- तेंदूपत्ता घोटाले मामले में कांग्रेस के आरोपों पर सरकार की ओर से सफाई दी गई है. तेंदूपत्ता खरीदी की प्रक्रिया को देखने वाली छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ ने तमाम आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि तेंदूपत्ते की नीलामी की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है. ई नीलामी के जरिए ही तेंदूपत्ता की बिक्री की जाती है. संघ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस वर्ष अग्रिम नीलामी में छत्तीसगढ़ को 5847 रूपए की सर्वाधिक दर मिली है. संघ ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों को ढाई हजार रूपए की दर से पारिश्रमिक देने वाला पहला और इकलौता राज्य छत्तीसगढ़ है. संघ ने कहा है कि लघु वनोपज संघ की आमदनी में कमी होने की कांग्रेस की अटकलें निराधार है.

संघ ने अपने बयान में कहा कि तेंदूपत्ते की नीलामी में किसी तरह की अनियमितता नहीं हुई है. अग्रिम निविदा प्रक्रिया पूरी तरह से आनलाइन होने से यह पारदर्शी है. नीलामी के पहले निविदाओं का गहन अध्ययन और उनमें प्राप्त दरों का परीक्षण और अनुमोदन राज्य शासन के स्तर पर गठित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की अंतर्विभागीय समिति द्वारा किया जाता है. अधिकारियों ने यह भी बताया कि वर्तमान में राज्य शासन की नीति के अनुसार संग्रहित किए जाने वाले तेन्दूपत्ते का अग्रिम विक्रय अखिल भारतीय स्तर पर ई-निविदा के माध्यम से किया जाता है. यह प्रक्रिया ऑनलाइन होने के कारण जहां पूर्ण रूप से पारदर्शी है, वहीं इसमें निविदाकारों के बीच प्रतिस्पर्धा रहती है. निविदाओं पर प्रस्तुत की जाने वाली दरें मुख्यतः बाजार की मांग और आपूर्ति पर आधारित रहती है. वर्तमान में प्रदेश की 901 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से संग्रहित होने वाले तेन्दूपत्ते की 951 लाटों का अग्रिम निविदा के माध्यम से अग्रिम विक्रय किया जा रहा है, चूंकि तेन्दूपत्ते के अग्रिम विक्रय की कार्रवाई वर्तमान में प्रक्रियाधीन है. इसलिए यह अनुमान लगाना नितांत जल्दबाजी है कि निविदा स्वीकार किए जाने के फलस्वरूप लघु वनोपज संघ की आमदनी में 300 करोड़ रूपए की कमी होगी. इस तरह की अटकलें तथ्यों से परे और निराधार हैं.

लघु वनोपज संघ के अधिकारियों का यह भी कहना है कि अग्रिम निविदा के माध्यम से तेन्दूपत्ता बेचने के लिए शासन द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप प्रत्येक निविदाकर्ता द्वारा अपनी क्रय क्षमता के अनुसार दरें प्रस्तुत की जाती हैं. इस प्रकार क्रय क्षमता के आधार पर अधिकतम प्रस्तुत दरों पर ही क्रेता को लॉट आवंटित करने का निर्णय लिया जाता है. इसका तात्पर्य यह है कि हमेशा सर्वोच्च दर पर ही समस्त लॉटों का निवर्तन हो सके, यह संभव नहीं है, क्योंकि अन्य मापदण्डों का भी परीक्षण किया जाता है. अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और तेलांगाना राज्यों में भी तेन्दूपत्ते के विक्रय की वर्तमान में जो दरें प्राप्त हई हैं, वो छत्तीसगढ़ राज्य हेतु प्राप्त औसत दर रूपए 5847 प्रति मानक बोरा की तुलना में कम है। इस तथ्य से यह स्पष्ट है कि वस्तुओं के बाजार में मांग और आपूर्ति के सिद्धांत के अनुसार वस्तु के प्रचलित दर के अनुरूप ही निविदाकारों द्वारा तेन्दूपत्ते की अग्रिम खरीदी हेतु दरें प्रस्तुत की गई हैं.

पड़ोसी राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ को मिली सबसे ऊंची दर

संघ के अधिकारियों ने बताया कि यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि सीमावर्ती मध्यप्रदेश में वर्तमान वर्ष 2018 के सीजन के लिए औसतन 4847 रूपए प्रति मानक बोरा की दर से तेन्दूपत्ते का अग्रिम विक्रय किया गया. महाराष्ट्र में औसत विक्रय मूल्य 2177 रूपए प्रतिमानक बोरा और तेलांगाना में औसत विक्रय मूल्य 1839 रूपए और झारखण्ड राज्य में वर्ष 2018 के लिए यह औसत 1217 रूपए प्रति मानक बोरा विक्रय मूल्य प्राप्त हुआ है. आंध्रप्रदेश में यह औसत विक्रय मूल्य 3858 रूपए प्रतिमानक बोरा है.  इस प्रकार देखा जाए तो छत्तीसगढ़ राज्य में लघु वनोपज सहकारी संघ की तेन्दूपत्ते की अग्रिम विक्रय दर रूपए 5847 रूपए प्रति मानक बोरा अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है. तेलांगाना राज्य में जहां औसत विक्रय मूल्य 1839 रूपए प्रतिमानक बोरा है, वहां तेन्दूपत्ता संग्राहकों को पारिश्रमिक भुगतान रूपए 1500 प्रति मानक बोरे की दर से क्रेताओं द्वारा किया जाता है. छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के अधिकारियों ने यह भी बताया गया है कि तेलांगाना राज्य में तेन्दूपत्ते का औसत विक्रय मूल्य इस वर्ष 1839 रूपए प्राप्त हुआ है और वहां संग्राहकों को भुगतान क्रेताओं द्वारा 1500 रूपए प्रति मानक बोरे की दर से किया जाता है. इसी तरह आंध्रप्रदेश में औसत विक्रय मूल्य 3858 रूपए है और वहां संग्राहकों को 1650 रूपए प्रति मानक बोरा क्रेताओं द्वारा दिया जाता है. झारखण्ड राज्य में वर्ष 2018 के लिए अग्रिम विक्रय हेतु तेन्दूपत्ते की औसत दर 1217 रूपए प्रति मानक बोरा प्राप्त हुई है और वहां तेन्दूपत्ता संग्रहण दर 1175 रूपए निर्धारित किया गया है, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले वर्ष तेन्दूपत्ता संग्राहकों को 1800 रूपए प्रति मानक बोरा की दर से पारिश्रमिक भुगतान किया और नये तेन्दूपत्ता सीजन 2018 में संग्राहकों को 2500 रूपए प्रति मानक बोरे की दर से संग्रहण पारिश्रमिक का भुगतान करने का निर्णय लिया गया है.अधिकारियों ने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में प्राप्त दरों की तुलना सीमावर्ती राज्यों में प्राप्त तेन्दूपत्ते की दरों से किए जाने पर यह स्पष्ट होता है कि निविदाकारों द्वारा छत्तीसगढ़ में प्रस्तुत दर सर्वाधिक है और उसके अनुरूप दी गई उनकी स्वीकृति सर्वथा उपयुक्त है. तेन्दूपत्ता लॉटों का विक्रय आनलाइन अग्रिम निविदा द्वारा किया जाता है, बोली लगाकर नहीं. उन्होंने यह भी बताया कि तेन्दूपत्ते की लॉटों का अग्रिम विक्रय निर्धारित अवरोध मूल्य से ज्यादा दर पर किया गया है. अतः कम कीमत पर विक्रय करने का सवाल ही नहीं उठता.