पुष्पेंद्र सिंह, दंतेवाड़ा. झीरम कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए की अपील को खारिज कर दिया है. जिसे लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप का दौरा शुरु हो गया है. झीरम कांड को दस साल पूरे हो चुके हैं. पीड़ित परिवार आज भी इस आस में बैठे हैं कि झीरम का सच जब भी सामने आए पूरा और न्याय संगत आए. झीरम कांड में दक्षिण बस्तर की राजनीति की रीढ़ की हड्डी रहे बस्तर टाइगर स्वर्गीय महेंद्र कर्मा का परिवार इस विभत्स कांड को सोचकर सिहर उठते हैं. परिजनों का कहना है कि नक्सलियों ने हमारे परिवार के मुखिया को नहीं बल्कि बस्तर के मुखिया को मार दिया.
झीरम कांड में कांग्रेस के छत्तीसगढ़ राज्य की टॉप के लीडरशिप की शहादत हुई थी. भाजपा के शासन काल में झीरम कांड का सच सामने आने नहीं दिया गया. एनआईए ने भी अच्छी तरह जांच नहीं की ना ही मजबूती से साक्ष्य और सबूत जुटा पाए. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया. इस बार कांग्रेस की सरकार आएगी और झीरम कांड का पूरा सच सामने आएगा. इस मामले में जो भी दोषी होंगे वो सलाखों के पीछे नजर आएंगे.
मामले को लेकर महेंद्र कर्मा के पुत्र छविंद्र कर्मा ने कहा कि हमने पहले भी मांग की थी कि राज्य शासन को जांच करने का आदेश दिया जाए. एनआईए केंद्र सरकार के दबाव में हेर फेर करती रही. अब राज्य पुलिस जांच करेगी. इसके लिए मैं सर्वोच्च न्यायलय का धन्यवाद करता हूं. उन्होंने एनआईए की रिपोर्ट को खारिज किया. अब स्वतंत्र रूप से हमारी जो सरकार है, वो जांच करेगी. हमारी सरकार ने एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन किया. लेकिन एनआईए ने सहयोग नहीं किया.
इधर दंतेवाड़ा विधायक और स्व. महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं. अब सच सामने आएगा. वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा ने कहा कि नक्सली हमला तो है, लेकिन इसमें और भी कुछ मिस्ट्री है. इसका सच तो सामने आना ही चाहिए. राज्य सरकार अब जांच करेगी पूरा भरोसा है. जो भी दोषी है वे बख्शे नहीं जाएंगे.
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