टुकेश्वर लोधी, आरंग. लोधीपारा में झलमला तालाब के पीछे 10वीं-11वीं सदी के प्राचीन अवशेष मिलने के दो दिन बाद भी खेत निर्माण के दौरान मिले प्राचीन पत्थरों और खंडित मूर्तियां उसी स्थान पर पड़ी हुई हैं. संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा जांच और निरीक्षण करने के दो दिन बाद भी इन प्राचीन धरोहरों को संरक्षित करने का काम नहीं हो पाया है. जिससे यहां के लोगों ने नाराजगी जाहिर की है. बड़े पैमाने पर प्राचीन अवशेष मिलने से आरंग सहित पूरे जिले में इन अवशेषों को संरक्षित करने और आरंग में पुरातत्व विभाग द्वारा उत्खनन करने की मांग उठ रही है.

आरंग के नगर पालिका अध्यक्ष चंद्रशेखर चंद्राकर ने भी नगर के जनप्रतिनिधियों के साथ उस स्थल का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि आरंग का इतिहास काफी पुराना है. ये राजा मोरध्वज की नगरी है और यहां राजा-महाराजा का रजवाड़ा होने की बाते भी कही जाती हैं. उन्होंने इन सभी अवशेषों को संरक्षित करने के लिए संग्रहालय बनाने की मांग की है. एल्डरमेन भरत लोधी का कहना है कि 20 जून को जब पुरातत्व और संस्कृति विभाग की टीम जांच करने आई थी तब उम्मीद थी कि इन अवशेषों को संरक्षित करके यहां पर उत्खनन किया जाएगा. यहां अभी भी जमीन के नीचे में बड़े बड़े पत्थर हैं और लाल ईंटो की दीवार बनी है. लेकिन विभाग द्वारा दो दिन के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है. अभी तक ये प्राचीन अवशेष उसी जगह पर पड़े हुए हैं. पुरातत्व और संस्कृति विभाग की टीम को चाहिए कि वो इन ऐतिहासिक अवशेषों को संरक्षित करें और यहां आवश्यकता अनुसार खुदाई करे.

पार्षद प्रतिनिधि नरेंद्र लोधी ने बताया कि आरंग में टीलानुमा ऐसे कई स्थल हैं जहां पर खुदाई होने से कई प्राचीन अवशेष मिल सकते हैं. पहले भी विभाग सैकड़ों प्राचीन अवशेषों को संरक्षित करके अपने साथ ले गए हैं. लेकिन इस बार यहां बड़ी संख्या में प्राचीन अवशेष मिल रहे हैं. ये अवशेष अभी तक खुले में पड़े हैं. जिससे इनके चोरी होने और नष्ट होनी की संभावना बनी हुई है.
स्थानीय लोगो का कहना है कि संस्कृति और पुरातत्व विभाग द्वारा आरंग को हमेशा से नजरअंदाज किया जाता रहा है. पहले भी सैकड़ों की संख्या में प्राचीन काल के अवशेष आरंग में मिले हैं. लेकिन विभाग द्वारा किसी भी तरह से कोई उत्खनन या अन्य कार्रवाई नहीं की गई है. जिसके कारण आरंग का प्राचीन इतिहास लुप्त हो रहा है. लोगों का कहना है कि इस बार जो अवशेष मिले हैं वो काफी पुराने हैं. जमीन के नीचे किसी मंदिर की नींव हो सकती है. लोगों ने विभाग से जल्द ही उत्खनन और जांच करने की मांग की है.

जरुरत पड़ने पर आगे कार्रवाई की जाएगी- एसडीएम

इस पर आरंग एसडीएम अतुल विश्वकर्मा ने बताया कि पुरातत्व विभाग की टीम ने कुछ अवशेषों को परीक्षण के लिए अपने साथ ले गई हैं. अगर उसको संरक्षित करने की बात होगी तो आगे कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि दो दिन पहले आरंग के लोधीपारा में झलमला तालाब के पीछे खेत निर्माण के दौरान 10वीं-11वीं सदी के प्राचीन अवशेष मिलने की खबर को हमने प्रमुखता से दिखाई थी. अवशेष मिलने की जानकारी के तुरंत बाद 20 जून को संस्कृति विभाग के उपसंचालक प्रताप पारख, उत्खनन सहायक प्रवीण तिर्की और पुरातत्व शाखा से राजीव मिंज अवशेष मिलने वाली जगह पर पहुंचे थे. पूरे इलाके का सर्वे करते हुए पाया गया कि यहां लगभग 1 से डेढ़ हेक्टेयर में प्राचीन काल के मंदिर हो सकते हैं. वहीं अवशेष मिलने की जानकारी से पूरे क्षेत्र के लोगो को आरंग के इतिहास को जानने को उत्सुकता बनी हुई है.