रामकुमार यादव, अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में नसंबदी फेल हो जाने के कारण एक बच्ची का जन्म हो गया. दंपत्ति के 2 बच्चे थे, लेकिन नसंबदी फेल हो जाने के कारण तीन हो गए. ऐसे में दंपत्ति ने स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ केस कर दिया था, जिसके बाद स्थाई लोक अदालत ने स्वास्थ्य विभाग को महिला को 23 लाख देने का फैसला सुनाया है.

दरअसल, नसबंदी के बाद गर्भवती हुई महिला ने पुत्री को जन्म दिया था, जिसके बाद महिला और उसके पति नसबंदी करने वाले डॉक्टर से मिलने जिला मुख्यालय अंबिकापुर आए. जंहा नसबंदी करने वाली डॉक्टर ने यह खुलासा किया कि नसबंदी फैल हो गई है. इसे आप अनाथालय में दे सकते हैं.

ऐसे में महिला ने पुत्री को जन्म दिया और बच्ची के भरण पोषण के लिए अपने वकील के माध्यम स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ स्थाई लोक अदालत में केस फाइल किया, जिसके बाद कोर्ट ने संबंधित विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब करने के निर्देश दिए. स्थाई लोक अदालत अंबिकापुर में केस चला.

अब आखिरकार महिला के बयान के बाद कोर्ट ने बच्ची के भरण पोषण के लिए 23 लाख रुपये मुकर्रर किया. यह भी आदेश में समावेजित किया कि जब तक बच्ची 18 वर्ष की नहीं हो जाती, तब तक यह पैसा स्टेट बैंक में इसके नाम से फिक्स रहेगा.

इसके साथ ही इस राशि से जो ब्याज मिलेगा उसका उपयोग इस बच्ची के भरण-पोषण और प्रारंभिक शिक्षा में किया जाएगा. इधर, इस फैसले के बाद पूरे क्षेत्र में न्याय के प्रति विश्वास और भी बढ़ गया है. शायद यही वजह है कि आज शांति रवि अपनी बेटी को जन्म देकर भी खुश हैं. रख-रखाव की चिंता से मुक्ति.

हालांकि ये सिस्टम की बड़ी लापरवाही है. संभाग के सबसे बड़े अस्पताल अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में नसबंदी फेल हो गई. अब देखने वाली बात यह होगी कि स्थायी लोक अदालत के इस फैसले के बाद स्वास्थ्य विभाग दोबारा इस तरह की लापरवाही दोहराता है या नहीं ?

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