Hindustan Ambassador अपने दौर की सबसे लोकप्रिय कारों में से एक थी. ये कार राजनेताओं से लेकर शौकीन लोगों की भी पहली पसंद थी. कार के चाहने वालों का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कुछ शौकीन लोग अभी भी इस कार को मॉडिफाइड कराकर अपने गैराज का हिस्सा बनाए हुए हैं. कुछ लोग तो अब तक इसे संजोकर अपने गैराज का हिस्सा बनाए हुए हैं. आइए जानते हैं इस कार में ऐसा क्या था जिसने दशकों तक लोगों के दिलों पर राज किया.

आजादी से पहले 1942 में बीएम बिड़ला ने हिंदुस्तान मोटर्स की स्‍थापना की. बस यही वो कदम था जिसने देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर की नींव रखी थी. कंपनी की स्‍थापना के साथ ही एंबेसेडर के डिजाइन और इंजन पर काम शुरू हो गया. लेकिन ये इतना आसान नहीं था. ऑटो सेक्टर का अनुभव न होने और विदेशों से इंपोर्ट हो रही पुरानी तकनीक की कारों से हट कर कुछ बनाने के बिड़ला के ख्वाब को पूरा करना आसान नहीं था. 1954 में हिंदुस्तान मोटर्स और इंग्लैंड की मॉरिस मोटर्स (जिसे आज एमजी के नाम से जाना जाता है) के बीच कार मैन्युफैक्चरिंग को लेकर पार्टनरशिप हुई.

ब्रिटेन की Morris Oxford का डिजाइनहिंदुस्तान मोटर्स ने 1957 में Ambassador Car को उतारा. ये ब्रिटिश मोटर कंपनी की पॉपुलर कार Morris Oxford Series 3 पर बेस्ड थी. कंपनी ने इसका उत्पादन उत्तरपारा के प्लांट में ही शुरू किया और 58 साल बाद अपने अंतिम दिन तक ये इसी प्लांट में बनी.

9 मॉडल्स लॉन्च किए

कंपनी ने एंबेसेडर के 60 साल के सफर में 9 मॉडल्स को लॉन्च किया. ये थे हिंदुस्तान लैंडमास्टर (1954-1958), हिंदुस्तान एंबेसडर एमके1 (1958-1962), हिंदुस्तान एंबेसडर एमके2 (1962-1975), हिंदुस्तान एंबेसडर एमके3 (1975-1979), हिंदुस्तान एंबेसडर एमके4 (1979-1990), हिंदुस्तान एंबेसडर नोवा (1990-1999), हिंदुस्तान एंबेसडर क्लासिक (2000-2011), हिंदुस्तान एंबेसडर ग्रैंड (2003-2013), हिंदुस्तान एंबेसडर एनकोर (2013-2014). लेकिन आखिर देश में बूम पर आए ऑटोमोबाइल मार्केट में दूसरी कंपनियों की चमक तो खूब दिखी पर एंबेसेडर कहीं ओझल हो गई. कंपनी ने आखिर 24 मई 2014 को आखरी एंबेसेडर का निर्माण किया और फिर इसका प्रोडक्‍शन बंद कर दिया गया.

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने किया सफर

Ambassador कार कभी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की भी सवारी हुआ करती थी. उस दौर में जब सफेद Ambassador कारों का काफिला निकलता था तो समझ में आ जाता था कि कोई VVIP गुजर रहा है, क्योंकि उस समय पुलिस महकमे से लेकर नेताओं मंत्रियों की भी यही सवारी हुआ करती थी. इस कार में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक ने सफर तय किया है. तब इन्होंने अपना हर रास्ता इस कार से ही पूरा किया. हालांकि बाद में अटल सरकार के दौरान इस कार की जगह अन्य गाड़ियों ने ले ली.

किंग ऑफ इंडियन रोड का दर्जा

60 और 70 के दशक में बाजार में इस कार का अपना दबदबा था. उस वक्त इस कार को देश में स्टेटस सिंबल माना जाता था. अंबेसडर कार Morris Oxford का सीरीज 3 मॉडल थी. यूके की कंपनी मॉरिस ने सबसे पहले इस डिजाइन की कार को उतारा था, जो लैंडमास्टर के नाम से आती थी. वहीं थोड़े बहुत बदलाव के साथ इसे हिंदु्तान मोटर्स ने Ambassador नाम से बाजार में उतारा. इस कार को किंग ऑफ इंडियन रोड (king of indian roads) का दर्जा भी मिला. कार के कई मॉडल बाजार आए. बता दें कि मारुति 800 के बाद से ही इस कार का पतन शुरू हो गया था. इसके बाद कई विदेशी कंपनियों ने भी भारतीय बाजार पर कब्जा कर लिया और और इस कार का ग्राफ नीचे गिरता रहा. फाइनली इस कार को 2014 में बंद कर दिया गया.

2014 में बंद हो गया कार का प्रोडक्‍शन

अंबेसडर कार. शाही सवारी की निशानी. कभी यह गाड़ी राजनेताओं से लेकर आम आदमी हर किसी की पसंद हुआ करती थी. हिंदुस्‍तान मोटर्स ने 2014 के करीब इस गाड़ी का प्रोडक्‍शन बंद कर दिया था. जबकि 2017 में सीए बिरला ग्रुप ने अंबेसडर ब्रांड को फ्रांस की कारमेकर कंपनी प्यूजो के हाथ बेच दिया. यह 80 करोड़ रुपये की डील थी.

अब जल्द आएगी इलेक्ट्रिक Amby

बदलते दौर के साथ एंबेसडर भी बदलने जा रही है. टीओआई की खबर है कि इस बार एंबेसडर इलेक्ट्रिक अवतार में लौटेगी, लेकिन इससे पहले कंपनी इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स बनाना शुरू करेगी. हिंदुस्तान मोटर्स के डायरेक्टर उत्तम बोस का कहना है नई ‘Amby’ के डिजाइन, न्यू लुक और इंजन को लेकर काम चल रहा है. ये पहले ही एडवांस स्टेज में है. हिंदुस्तान मोटर्स ने यूरोप की एक ऑटोमोबाइल कंपनी के साथ इसके लिए एक एमओयू साइन किया है.