दिल्ली. पांच राज्यों में चुनाव नतीजे घोषित हो चुके हैं औऱ कांग्रेस की बल्ले-बल्ले है. हर तरफ राहुल गांधी के चुनावी कौशल की चर्चा हो रही है. भाजपा अपने मजबूत किलों को बचाने में बुरी तरह असफल रही. राहुल गांधी ने इन चुनावों में अपने जीवन में पहली बार ‘मां’ के दर्शन किये. उस ‘मां’ के जिसके दरबार में कभी राहुल के पर दादा जवाहरलाल नेहरू भी अपनी बड़ी से बड़ी समस्या के लिए सर झुकाने और आशीर्वाद लेने आते थे. उसी ‘मां’ की शरण में राहुल भी पहुंचे औऱ उनका कल्याण हो गया. आपको बताते हैं उस ‘मां’ के बारे में.

मध्य प्रदेश के दतिया शहर में पीतांबरा पीठ स्थित है. ये मां पीतंबरा का मंदिर होने के साथ-साथ देश का मशहूर शक्तिपीठ है. देश के दिग्गज नेता मां की शरण में आते रहते हैं. भारत-चीन युद्ध में जब देश चीन से युद्ध हार रहा था औऱ देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के लिए जीवन-मरण का प्रश्न हो गया था तो किसी ने उनको सलाह दी कि आप दतिया जाएं. पंडित नेहरू तुरंत दतिया पहुंचे औऱ मां की पूजा अर्चना की. आश्चर्यजनक रुप से उनके वापस दिल्ली लौटते ही चीन ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी.

शक्तिपीठ होने व अपार शक्ति वाली मां पीतांबरा से अक्सर नेता चुनावों में जीत के लिए प्रार्थना करने आते हैं औऱ मां उनको निराश नहीं करती हैं. मध्यप्रदेश का सिंधिया परिवार इस मंदिर का ट्रस्टी है और सिंधिया परिवार की इस मंदिर में बेहद आस्था रही है. इस बार राहुल गांधी ने अपने सलाहकारों की सलाह पर अपने मध्य प्रदेश के चुनावी दौरे की शुरुआत दतिया में मां पीतांबरा की पूजा-अर्चना करके की. नतीजा सबके सामने हैं.

दतिया के वर्तमान विधायक औऱ भाजपा के दिग्गज नेता नरोत्तम मिश्रा मां पीतांबरा के भक्त बताए जाते हैं. दिलचस्प तथ्य ये है कि चुनाव के शुरुआती राउंड में नरोत्तम मिश्रा अपने प्रतिद्वंदी से पीछे चल रहे थे लेकिन आखिरकार उन्होंने जीत हासिल ही कर ली.

तो, कहा जा सकता है कि राहुल गांधी का मां पीतांबरा की शरण में जाना औऱ उनका आशीर्वाद लेकर चुनाव अभियान शुरु करना उनके लिए बेहद फलदायी रहा. नतीजा सबके सामने हैं.