नक्सलियों का इलाका भले सिमट रहा हो, लेकिन अब वे टेक्नोलॉजी की मदद से पुलिस की रणनीति को मात दे रहे हैं. इस बदले हुए मैदान में जीत सिर्फ ताकत से नहीं, बल्कि सूझबूझ और गोपनीयता से ही संभव है.
आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। बस्तर में सुरक्षाबलों के लगातार ऑपरेशन के बावजूद नक्सलियों पर निर्णायक बढ़त नहीं मिल पा रही है. हाल के महीनों में कई बार ऐसा देखा गया कि घेराबंदी के बावजूद नक्सली पुलिस को चकमा देकर फरार हो गए. ऐसे में अब सवाल खड़े हो रहे हैं आखिर ऑपरेशनों की जानकारी नक्सलियों तक कैसे पहुंच रही है.

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पुलिस महकमे की शुरुआती जांच में जो वजह सामने आई है, वह चौंकाने वाली है. ऑपरेशनों में तैनात जवानों की सोशल मीडिया गतिविधियां, ऑपरेशन की रणनीति की लीक का बड़ा कारण बन रही हैं. डीआरजी जवानों द्वारा बनाए जा रहे सोशल मीडिया रील्स, ग्रुप फोटोज और वीडियो शूटिंग के चलते नक्सली पुलिस की चालें पहले ही भांप ले रहे हैं.
बसवराजू जैसे शीर्ष नक्सली नेता की मौत के बाद भी संगठन की टेक्निकल और खुफिया सक्रियता में कोई कमी नहीं आई है. लगातार जारी हो रहे नक्सली प्रेस नोट इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि वे पुलिस की रणनीति पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं. इतना ही नहीं, मुखबिरी करने वाले ग्रामीणों को भी वे चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं.
सात ऑपरेशन्स में केवल दो ही सफल
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बीते दो महीने में 7 से अधिक ऑपरेशन लॉन्च किए गए, लेकिन इनमें से सिर्फ दो ही सफल रहे. नारायणपुर में महाराष्ट्र सीमा पर हुए ऑपरेशन में जरूर 6 नक्सली ढेर किए गए, लेकिन इसके लिए भी दो दिन तक पहाड़ों और जंगलों में लगातार पीछा करना पड़ा.
सोशल मीडिया अकाउंट्स की हो रही पहचान
आईजी बस्तर सुंदरराज पी ने माना कि सोशल मीडिया पर जवानों की सक्रियता अब सुरक्षा में सेंध का कारण बन रही है. उन्होंने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि ऐसे सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की पहचान कर बैन किया जाए, जो ऑपरेशन के दौरान वीडियो शूटिंग या अन्य गतिविधियां कर रहे हैं.
ऑपरेशन प्रोटोकाल का उल्लंघन
आईजी ने यह भी बताया कि कई मौकों पर जवानों द्वारा मुठभेड़ के दौरान ही वीडियो रिकॉर्डिंग की जानकारी मिली है, जो न केवल ऑपरेशन प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि पूरी टीम को जोखिम में डाल सकता है. ऐसे में अब पुलिस मुख्यालय ने सख्त निर्देश जारी किए हैं कि नियमों के उल्लंघन पर संबंधित जवानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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