दिल्ली। आज बैंकों की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। हड़ताल का आह्वान केंद्र सरकार की श्रम-विरोधी नीतियों के खिलाफ किया गया है। जिससे बैंकों का कामकाज प्रभावित रहेगा।
गौरतलब है कि इस हड़ताल में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने भी शामिल होने का एलान किया है। चार लाख बैंक कर्मचारियों के प्रतिनिधि एआईबीए ने कहा कि लोकसभा में मौजूदा श्रम कानूनों की जगह लेने वाला नया श्रम कानून पारित किया गया है, जो पूरी तरह कॉरपोरेट जगत के हित में है। इस कानून में 75 फीसदी कर्मचारियों से कानूनी संरक्षण छीनकर उन्हें श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है।  नए कानूनों में इन श्रमिकों को किसी तरह का संरक्षण नहीं मिलेगा।
आंदोलनकारी बैंक कर्मियों का कहना है कि मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत के नाम पर निजीकरण के एजेंडे को बढ़ावा दे रही है और बड़े पैमाने पर निजीकरण कर रही है, जिसमें बैंक भी शामिल है।एआईबीईए भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को छोड़कर ज्यादातर बैंकों का प्रतिनिधित्व करता है। माना जा रहा है कि देश की लगभग इक्कीस हजार बैंक शाखाओं में इस हड़ताल का असर पड़ेगा।