सत्या राजपूत, रायपुर। राजधानी रायपुर के पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के दो छात्रों ने अपने प्रथम और द्वितीय वर्ष की अंकसूची विश्वविद्यालय को सरेंडर कर दिया है। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा उसके साथ लगातार 3 महीनों से दुर्वव्यवहार किया जा रहा है। इसके साथ ही युनिवर्सिटी पर परीक्षा की उत्तर पुस्तिका जांच करने में गड़बड़ी की गई और RTI लगाने के बावजूद भी सही जानकारी नहीं दी जा रही है।
दोनों छात्र शुक्रवार को अपने अंकसूची लौटाने युनिवर्सिटी पहुंचे थे, हालांकि कुलपति के नहीं आने की वजह से वे नहीं लौटा सके। इसलिए छात्रों ने अब शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात कर विश्वविद्यालय प्रबंधन की शिकायत करते हुए अपने अंकसूची सरेंडर करने का फैसला लिया है।
जानकारी के अनुसार LLM के छात्र कायलाल घृतलहरे ने रिजल्ट आने पर छात्रों ने असतुष्टि जाहिर करते हुए विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षा विभाग यूजीसी कलेक्टर को पत्र लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने से छात्रों ने सूचना अधिकार के तहत, एल एल एम की कॉपी प्राप्त की। प्राप्त कॉपी में छात्रों को कई प्रकार की गड़बड़ी पाई।
छात्र ने बताया कि कॉपी मिलने पर पता चला, कि सही उत्तर को गलत दर्शाया गया है जिस पर पुन: जांच करने के लिए छात्र द्वारा एक निवेदन पत्र लिखा गया। इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं होने से छात्रों ने फिर से रिमाइंडर लेटर लिखकर विश्वविद्यालय प्रशासन से निवेदन किया।
वहीं जब विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कार्रवाई की, तो उसमें भी छात्रों के केवल एवरेज नंबर निकालकर 2 अंक प्रदान कर दिए गए। इसके अलावा आंतरिक मूल्यांकन में भी गड़बड़ी होने को लेकर छात्र ने जब RTI लगाया, तो विभाग अध्यक्ष ने बताया कि उसमें खुलासा हुआ कि उसके उत्तर पुस्तिका कहीं गुम हो गए हैं।
छात्र ने बताया, कि उसे विश्वविद्यालय ने उत्तर पुस्तिका गुमने के संबंध में कोई सूचना नहीं दी और ना ही FIR दर्ज कराई गई। जिसके बाद छात्र कुलपति से इस मामले में बातचीत करने पहुंचा तो, कुलपति के स्टाफ ने उसके साथ बदसलूकी कर वहां से भगा दिया। इन सब से परेशान होकर छात्र LLM प्रथम और द्वितीय वर्ष की मार्कशीट विश्वविद्यालय को वापिस कर रहे हैं।
छात्र ने बताया, कि विश्वविद्यालय प्रबंधन उत्तर पुस्तिका जांचने वाले को बचाने के लिए इस तरह से चालें चल रही है। उसने बताया कि विश्वविद्यालय की PRO ने इस मामले में मीडिया को 5 मई को ही जांच टीम गठित होने की बात कही थी। जबकि छात्र ने जब जांच रिपोर्ट की मांग की, तो उससे अब जाकर टीम गठित करने की बात कही है।
वहीं BA LLB के एक छात्र के ने पुनर्मुल्यांकन के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति से बात की, तो उसे भी यह कह कर भगा दिया गया कि यहां पुनर्मुल्यांकन का कोई नियम नहीं है।
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