वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा में पहली से आठवीं तक पढ़ाई को लेकर पेश जनहित याचिका हाईकोर्ट ने निराकृत कर दी। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य शासन ने स्थानीय भाषाओं में स्कूली पढ़ाई कराने का इंतजाम कर दिया है। छत्तीसगढ़ी बोली है या भाषा इस पर भी अभी निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता है।

छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना की प्रदेश अध्यक्ष लता राठौर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। इसमें एनसीईआरटी के नेशनल कैरिकुलम फ्रेम वर्क में कहा गया कि मातृ भाषा से यदि पढ़ाया जाता है तो बच्चों को पढ़ाई करने और समझने में आसानी होती है। इस याचिका में प्रदेश के स्कूल में पहली से 8वीं तक के पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा को भी माध्यम बनाये जाने मांग की गई थी। जिस तरह अन्य राज्यों में वहां की मातृ भाषा में पढ़ाया जाता है वैसे छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा में क्यों नहीं पढ़ाया जाता है। एनसीईआरटी ने भी तीन भाषा हिंदी, इंग्लिश और मात्र भाषा की पढ़ाई को मंजूरी दी है।


मामले की सुनवाई शुक्रवार को चीफ जस्टिस की डीबी में हुई। इस दौरान शासन की ओर से बताया गया कि, शासन ने 16 प्रकार की स्थानीय भाषाओं में अध्ययन का इंतजाम किया है, चीफ जस्टिस ने कहा कि देश में अलग अलग इलाकों में कई प्रकार की बोलियां हैं, इससे तो बहुत परेशानी खड़ी होगी। अब शासन ने पहल कर दी है, इसलिए याचिका निराकृत की जाती है।