पुरषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए केंद्र से लेकर राज्य की सरकारें एड़ी चोटी को जोर लगा रही हैैं. इसके बावजूद सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय बनी है. हालात यह है कि बुनियादी सुविधाएं तक स्कूलों से नदारद है. ऐसा ही मामला गरियाबंद से आया है. जहां स्कूलों की हालत इतनी ज्यादा जर्जर है कि कभी भी कोई बड़ा हादासा हो सकता है. जिसके कारण बच्चों को बाहर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. ज्यादातर स्कूल जर्जर हालत में है और जल्द ही इनकी मरम्मत कराया जाना बेहद जरूरी है. यदि ऐसा नही हुआ तो किसी बड़े हादसे के होने से इंकार नही किया जा सकता है.
अकेले देवभोग विकासखंड की बात की जाए यहां 200 में 149 स्कूल जर्जर हालत में है. यहां जर्जर हो चुके कांडपारा प्राथमिक स्कूल का खस्ताहाल देख कर प्रबंधन व पालकों को डर सताने लगा. किसी बड़े हादसे से बचने के लिए पालक समिति और शिक्षकों ने यहां बच्चों को पेड़ के नीचे बिठाकर पढ़ाने का फैसला लिया है. जिले के 5 विकासखण्डों में 350 से भी ज्यादा स्कूल भवन जर्जर हो चुके हैं,
हाल ही में जिला प्रशासन ने प्राथमिकता के आधार पर अति जर्जर हो चुके महज 41 भवनों के मरम्मत के लिए 56 लाख की मंजूरी दे दी है, लेकिन बदहाल व्यवस्था मुँह चिढ़ा रहे काडपारा के मरम्मत के लिए फूटी कौड़ी तक नही मिली, हालांकि अब मरम्मत की लिस्ट में जल्द शामिल करने की बात जिला पंचायत सीईओ ने कही है. अब देखना यह होगा कि इन जर्जर स्कूलों की मरम्मत कब होती है.
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