महासमुंद से लौटकर विधि अग्निहोत्री की रिपोर्ट
जिले के बरोंडाबाज़ार में आजकल एक नए आर्गेनिक खाद करिश्मा आर्गेनिक की डिमांड काफी बढ़ी है. सिर्फ महासमुंद ही नहीं बल्कि रायपुर जिले में भी इस का का प्रयोग बढ़ा है. तमाम कृषक वर्ग में इस खाद की लोकप्रियता है. व्यापारी भी इस खाद को अपने दुकानों के माध्यम से बेच रहे हैं.
दरअसल यह खाद किसी बड़ी कंपनी की नहीं बल्कि गांव के ही एक युवक नेकी साहू ने बनाई है. नेकी साहू ने कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग से डेयरी टेक्नॉलजी में बी.टेक किया है. बी.टेक करने को दौरान नेकी ट्रेनिंग पूरी करने गुजरात गया जहाँ उसने जैविक खाद बनाना सिखा और संकल्प लिया कि गांव आकर वो जैविक खाद बनाएगा. साथ ही जैविक खाद की उपयोगिता बढ़ाने और ऑर्गेनिक खाद बनाने की विधि अन्य लोगों तक पहुँचाएगा. बी.टेक पूरा करते ही नेकी ने गांव आकर उद्योग कार्यालय में लोन के लिए आवेदन किया. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के अंतर्गत 25 लाख रूपये का लोन अनुदान में मिला.
लोन मिलने पर नेकी ने अपने 900 स्क्वायर फुट ज़मीन में 101 टैंक का निर्माण कराया और आस पास के डेयरी से गोबर, पैरा और 400 रूपय किलो की दर से केचुंआ खरीदा. इन सभी को मिलाकर टैंक में डालकर जैविक खाद तैयार की. नेकी एक माह में 20 से 25 टन जैविक खाद तैयार करता है और किसानों को किफायती दरों में बेचता है. उसने अपनी खाली पड़ी जगह में मशरूम की खेती के बारे में सोचा. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर से नेकी ने मशरूम उत्पादन का एक दिवसीय प्रशिक्षण लिया और शेड में खाली पड़ी जगह पर मशरूम उत्पादन शुरू किया. नेकी एक माह में 300 किलो मशरूम का उत्पादन कर लेता है. जिसे 150 रूपये प्रति किलो के हिसाब से बेचता है. इस प्रकार नेकी 1 लाख रूपये प्रति माह की आमदनी कर लेता है जिसमें 35 हजार रूपये प्रतिमाह लोन की किस्त चुकाता है.
नेकी के कृषक पिता ने कभी सोचा नहीं था कि उनका बेटा इस क्षेत्र में इतनी तरक्की कर पायेगा, साथ ही वो इस बात से खुश हैं कि नेकी ऑर्गेनिक खादों का निर्माण कर लोगों को इसके उपयोग के लिए प्रोत्साहित कर रहा है क्योंकि रासायनिक खादों के ज्यादा प्रयोग से फसलों के साथ-साथ ज़मीन को भी क्षति पहुँचती है. वहीं ऑर्गेनिक खाद के उपयोग से फसलों को नुकसान नहीं पहुंचता और ज़मीन की उर्वरकता भी बनी रहती है.
महासमुंद जिले में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना लगभग 400 युवाओं को लगभग 1784 लाख रूपयों का लोन मुहैया कराया गया है. इस योजना ने जिले के सैकड़ों बेरोजगारों की तकदीर बदली है. बेरोजगारी से परेशान युवा इस योजना का लाभ उठा सफल उद्यमी बन गए हैं.
नेकी साहू के अनुसार युवकों को नौकरी के बजाय लघु उद्योग करना चाहिए इससे विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम होगी साथ ही जैविक खाद के प्रयोग से ज़मीन की उर्वरकता बढ़ा आप अच्छी फसल निकाल सकते हैं. आज नेकी एक सफल उद्यमी बन गांव के अन्य युवकों को रोजगार उपलब्ध करा रहा है.