विधि अग्निहोत्री/संतोष तिवारी, रायपुर/ जगदलपुर। जगदलपुर की रेलवे कॉलोनी में रहने वाला एक साधारण सा परिवार. इस परिवार में ऐसा कुछ नहीं जिससे लोग इस परिवार को जाने. लेकिन परिवार के बड़े बेटे पंकज ने कुछ ऐसा किया कि वह आसपास के लोगों के लिए एक मिसाल बन गया. दरअसल इस परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. 6 लोगों का परिवार है जिसमें 4 भाई बहनों में सबसे बड़े पंकज वर्मा पर भाई बहनों की पढ़ाई के अलावा बूढ़े माता-पिता की भी जिम्मेदारी थी.

पंकज भी पढ़-लिख कर परिवार की जिम्मेदारी उठाना चाहता था ताकि पिता के सर से जिम्मेदारियों का बोझ थोड़ा कम हो और हमेशा से ही वह पढ़ाई मे अव्वल रहता. लेकिन कहते हैं ना कि समय का पहिया बड़ी तेज़ी से घूमता है. समय का पहिया यहाँ भी घूमा और अपने साथ पंकज के सपनों को ले गया. पंकज के पिता पर ढ़लती उम्र हावी होने लगी वे परिवार की जिम्मेदारी उठाने में पहले की तरह सक्षम नहीं रहे. इससे परिवार की पूरी जिम्मेदारी पंकज पर आ गई. आर्थिक तंगी की वजह से पंकज 12वीं के बाद आगे पढ़ाई नहीं सका. बूढ़े हो चुके माता-पिता और भाई बहनों की जिम्मेदारी के चलते पंकज पर समय से पहले ही घर चलाने की बड़ी जिम्मेदारी आ गई. पैसे इतने थे नहीं की कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो सके, लिहाज़ा पंकज छोटी-मोटी नौकरी कर परिवार का पेट पाल रहा था. लेकिन इतनी कम आमदनी में 6 लोगों का परिवार चलाना मुश्किल था. पंकज इतना पढ़ा लिखा भी नहीं था कि किसी अच्छी जगह नौकरी कर परिवार की स्थिति को बदल सके. पंकज अपनी लाचारी से उदास तो होता लेकिन परिवार को इसका अहसास नहीं होने देता.

एक दिन अख़बार पढ़ते हुए पंकज को लाईवलीहुड कॉलेज में संचालित मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना की जानकारी मिली. पंकज ने फैसला किया कि बेरोजगारी से छुटकारा पाने वह लाईवलीहुड कॉलेज जाकर ज्यादा जानकारी लेगा. कॉलेज जाकर वहाँ उसने अपने अनुकूल विषय की जानकारी ली. कॉलेज में उसकी योग्यता और रूचि को देखकर उसे अकाउंट असिस्टेंट यूजिंग टैली में प्रशिक्षण मिला. 3 महिनों के प्रशिक्षण के बाद पंकज में अत्मविश्वास और भी ज्यादा बढ़ गया. उसने लाईवलीहुड कॉलेज जगदलपुर से सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त कर कौशल परीक्षा पास की. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जल्द ही पंकज को रोजगार प्राप्त हो गया. वह महिंद्रा फाइनेंस शाखा जगदलपुर में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्य करने लगा. इससे पंकज को 11,000 रूपये की मासिक आय होने लगी. हालांकि परिवार चलाने के लिए इतनी आमदनी नाकाफी थी. लिहाजा उसने नौकरी के अलावा अतिरिक्त आय के लिए घर पर ही एक ऑफिस खोल लिया. घर में आफिस खोलने के बाद वहां भी उसे छोट-मोटे काम मिलने लगे. कुछ घंटों के काम से उसे 10,000 रूपये की अतिरिक्त आमदनी प्रतिमाह होने लगी. इस तरह उसे दोनों जगहों से मिलाकर कुल 21,000 रूपये की आमदनी होने लगी. आय बढ़ने से अब परिवार का खर्च भी ठीक-ठाक चलने लगा.

पंकज की पढ़ाई में दिलचस्पी थी लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से वह आगे पढ़ाई ना कर पाया था जिसका उसे मलाल है.  इसलिए वह अपने भाई-बहनों को अच्छे से पढ़ा-लिखा कर अफसर बनाना चाहता है.

पंकज ने बताया कि उसकी मेहनत और रूचि को लाईवलीहुड कॉलेज ने सही दिशा दिखाकर सार्थक किया. जिस तरह एक कुम्हार कच्ची मिट्टी को सांचे में ढ़ालकर उसे एक रुप देता है. वैसे ही लाईवलीहुड कॉलेज बस्तर के तमाम युवाओं को उनकी रूचि के अनुसार प्रशिक्षित कर रोजगार प्रदान करा रहा है.

मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना ने पंकज समेत राज्य के कई युवाओं को बेरोजगारी के गर्त से निकाल सफलता के मुहाने पर लाकर खड़ा किया है. खासतौर पर नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहे क्षेत्रों के युवाओं को इस योजना ने जीवन में एक नई दिशा प्रदान की है. ऐसे कई युवाओं को इस योजना ने नक्सलवाद के मुंह से निकाला और प्रशिक्षित कर रोजगार दिया है.