विधि अग्निहोत्री, रायपुर/ किशोर सोनी, खैरागढ़। महिलाएं अपने आप में सशक्त हैं उन्हे सशक्तिकरण की आवश्यकता नहीं. इस बात को साबित किया खैरागढ़ की त्रिवेणी पटेल ने. आज के समय में जहाँ लोग अपना पेट पालने के लिए दूसरों का पेट काटने से हिचकिचाते नहीं, तो वहीं दूसरी ओर त्रिवणी पटेल जैसी महिलाएं भी हैं जो अपने जैसी गरीब महिलाओं को साथ लेकर चलती हैं और उन्हे गरीबी के दलदल से निकाल आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भरकस प्रयास करती हैं.

यह कहानी है ऐसी महिला की जिसका जीवन संघर्षों से भरा रहा. 8वीं तक की पढ़ाई के बाद माता-पिता ने 14 साल की छोटी उम्र में शादी करा दी. इस कच्ची उम्र में त्रिवेणी को समझ ही नहीं थी. सास ने त्रिवणी को अपनी बेटी की तरह रखा और उसे सिलाई का काम सीखने के लिए भेजा. रोज सुबह पति त्रिवेणी को सिलाई क्लास छोड़ा करते तो सास सब्जी बेचकर उन्हें लेने जाया करती.

घर में आय का कोई स्थाई साधन नहीं था. त्रिवेणी की सास घर-घर जा सब्जी बेचा करती थी. संयुक्त परिवार का पेट पालना था लिहाजा त्रिवेणी ने भी सिलाई का काम शुरु किया. बच्चों के कपड़े, पेटिकोट, गुदड़ी, कथरी आदि छोटी-मोटी सिलाई किया करती. इससे त्रिवेणी को थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती. लेकिन ये आमदनी इतनी नहीं थी कि घर का खर्च आसानी से चल सके. त्रिवेणी के पति का भी कोई स्थाई काम नहीं था, इसलिए त्रिवेणी बड़े स्तर पर काम करना चाहती थी. सन् 2004 में खैरागढ़ में ही त्रिवेणी ने 15 महिलाओं का समूह बनाया. इस समूह की महिलाएं लघु उद्योग के काम सीखा करती. जैसी बड़ी बनाना, पापड़ बनाना, आचार बनाना आदि.

महिलाओं के इस समूह ने आत्म निर्भर बनने के लिए किसी भी योजना का पूरा लाभ लेने की ठानी और स्टैट बैंक से तीन लाख रूपये का लोन लेकर घर मे चक्की डाली. जिसमे गेहूँ, दाल सहित मिर्च मसाल पिसाई का काम शुरु किया. यह काम आज भी जारी है. जबकि समूह द्वारा लोन की पूरी अदायगी कर दी गई है. पिछले तीन सालो से समूह की महिलाएँ त्रिवेणी पटेल की अगुवाई मे आंगनबाड़ी केन्द्रो मे रेडी टू ईट के तहत दिए जाने वाले पोषण आहार का स्वयं निर्माण और वितरण भी सफलता के साथ कर रही है.

त्रिवेणी ने पंजाब नेशनल बैंक की स्थानीय शाखा से तीन लाख रूपय से अधिक का लोन  लेकर घर मे मुर्रा, चना लाई फोड़ने की मशीन स्थापित की और अपने साथ 5 परिवारों को भी शामिल किया. रोस्टर मशीन चलाने पांच लोगो को रोजगार मिला है. साथ ही लघु उद्योग की शुरूआत भी की गई है. रोस्टर मशीन का शुभारंभ करने पहुँचे महिला बाल विकास अधिकारी एस एन राजपूत ने भी महिला समूह सहित पटेल की स्वावलंबी कार्यों की तारीफ करते इसे महिला स्वावलंबन की दिशा मे बेहतर कदम बताते कहा कि महिलाएँ ऐसा दृष्टिकोण रखे तो स्वावलंबन की योजना फलीभूत होगी.

त्रिवेणी के इस सराहनी कदम को कई बार पुरस्कृत भी किया गया है. अभी हाल ही में 27 मई 2018 को महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में त्रिवेणी को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया है. वाकई में त्रिवेणी जैसी महिलाएं सभी के लिए प्ररेणा स्त्रोत है क्योंकि त्रिवेणी ने अपने बुरे हालात में भी केवल अपने फायदे के बारे में नहीं सोचा और अपने जैसी महिलाओं को साथ में लेकर अपने साथ-साथ अन्य महिलाओं के हालात भी बदल दिए.