जांजगीर-चांपा। नौकरी के सीमित संसाधनों में आजीविका चलाने के एक मात्र विकल्प स्वरोजगार ही है. ऐसे बहुत से लोग हैं जो स्वरोजगार याने कि खुद का काम-धंधा की शुरुआत कर न सिर्फ अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. बल्कि ऐसे लोग मोहल्ले और समाज के लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी साबित होते हैं.

जांजगीर-चांपा जिला के बम्हनीडीह के ग्राम करनौद के रहने वाले राम चरण पटेल पशुपालन कर अपनी और परिवार की आजीविका चला रहे हैं. राम चरण पटेल को देखकर आज उनके गांव के दर्जन भर से ज्यादा लोगों ने पशुपालन को अपना व्यवसाय बना लिया है.

आज से कुछ साल पहेल रामचरण पटेल बड़े मुश्किलों से अपने परिवार का लालन पोषण कर पाते थे. उनके पास महज 20 बकरियां थीं. बकरियों का दूध बेचकर वे जैसे तैसे बमुश्किल दो जून की रोटी का इंतजाम कर पाते थे. ऐसे में परिवार की जरुरतों को लेकर उनका जीवन बेहद तनाव से गुजर रहा था.

देशी बकरियां होने की वजह से ज्यादा दूध का उत्पादन नहीं हो पाता था. इसी बीच किसी ने उन्हें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की जानकारी दी. योजना की जानकारी लेने के बाद उन्होंने पशुधन विकास विभाग से संपर्क किया. जहां विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत सन 2014 जमुनापारी बकरा प्रदान किया गया.

जमुनापारी बकरा मिलने के बाद उनकी बकरियों का नस्ल में सुधार हुआ. अच्छे नस्ल के बकरा बकरियों का बाजार में अच्छा दाम मिलता है. बकरे-बकरियों की नस्ल सुधरने के बाद राम पटेल की आमदनी बढ़ने लगी. दूध बेचने के अलावा वे बकरा और बकरी को भी बाजार में बेचने लगे. वर्तमान में रामचरण पटेल के पास 70 से अधिक बकरियां हैं. जिसमें 30 नर बकरे और 40 बकरियां हैं. बकरियां 20 से ज्यादा बच्चे दे चुकी हैं. सात क्लोर तथा 38 मेमने भी हैं.

राम चरण पटेल के अनुसार बकरी पालन से इस वर्ष उन्हें लगभग 70,000 रूपये की आमदनी हुई है. पशुधन विकास विभाग द्वारा उन्हें समय-समय पर उन्नत तरीके से बकरी पालन के लिए मार्गदर्शन मिलता रहता है. पशुओं के नियमित टीकाकरण होने के साथ ही आवश्यकता अनुसार कृमिनाशक दवा भी दिया जाता है. बकरी पालन से पटेल को प्रतिमाह सात से आठ हजार रूपये तक आमदनी  हो जाती है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार हुआ है.  राम चरण पटेल की सफलता से प्रेरित होकर आज ग्राम करनौद के 15 लोगों ने पशुपालन को व्यवसाय के रूप में अपना लिया है.