विधि अग्निहोत्री, संदीप सिंह ठाकुर रायपुर। मुसीबतें समय और उम्र देखकर नहीं आती. ऐसी ही कुछ दास्तान है लोरमी के महरपुर गांव में रहने वाले जैपाल ढ़ीमर की. जैपाल बचपन से ही पढ़ाई में होनहार रहा. उसने आठवीं तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से की और 12वीं तक की पढ़ाई बायो विषय लेकर माँ भारती प्राइवेट स्कूल से की. जैपाल का सपना था कि आगे पढ़ाई पूरी कर वह डॉक्टर बनना चाहता था. लेकिन बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने से जैपाल का यह सपना पूरा ना हो सका. पिता की मौत के बाद घर के आर्थिक हालात दयनीय हो गए. घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था. लिहाजा जैपाल परिवार के साथ रोजी रोटी कमाने दिल्ली चला गया. दिल्ली में जैपाल ने मजदूरी करके परिवार का पेट पाला. कुछ साल दिल्ली में मजदूरी कर जैपाल परिवार को लेकर वापस गांव आ गया. गांव आने पर जैपाल को मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के बारे में पता चला. उसने परमिल प्रयास संस्थान से राज मिस्त्री का प्रशिक्षण लेने का फैसला किया. यहाँ उसने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 3 महीने में राज मिस्त्री का सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त किया.
अब उसे राजमिस्त्री का काम अच्छे तरीके से आता है जिसके बाद उन्हें वी.टी.पी. परिमल प्रयास संस्थान सारधा लोरमी के संचालक ने जैपाल के प्रतिभा और अच्छे काम को देखते हुए इन्हें अपने संस्थान में जोड़कर प्रशिक्षार्थियों को मेसन (राजमिस्त्री) की ट्रेनिंग देने के लिए एक शिक्षक के तौर में रख लिया और इन्हें प्रशिक्षक के रूप में ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर TOT के लिए रायगढ़ भेजा गया. जहां इन्होंने प्रशिक्षण केंद्र में सफलतापूर्वक अपना स्थान बना लिया और आज जैपाल ढीमर वी.पी.टी. परिमल प्रयास संस्थान सारधा लोरमी में एक सफल राज मेंशन के ट्रेनर के रूप में कार्य कर रहा है जिससे इसे हर माह 10 हजार की आय हो जाती है और अब इनके परिवार के सदस्यों का जीवन यापन ठीक तरीके से चल रहा है..
जैपाल ने बताया कि उनके पास केवल 55 डिसमिल की जमीन थी. पूरे परिवार की जिम्मेदारी पिता के कंधो पर थी. ऐसे में पिता की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया. परिवार के पास आय का कोई भी स्थाई साधन भी नहीं था. ऐसे में जैपाल पर परिवार चलाने की जिम्मेदारी आ गई. परिवार काफी बुरा वक्त से गुज़र रहा था. इसलिए रोजगार की तलाश में सभी दिल्ली चले गए और वहाँ मजदूरी की. दिल्ली में भी दो वक्त की रोटी जुटा पाना मुश्किल था. लिहाजा गांव आना ही सही था और गांव वापस आना सफल भी हुआ. मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना ने जैपाल और उसके परिवार की ज़िदगी बदल दी. अब जैपाल का विवाह भी हो गया है उसका परिवार पहले से बेहतर जीवन जी रहा है और इसका पूरा श्रेय जैपाल अपने संघर्ष के साथ-साथ मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना को देते हैं.