लुण्ड्रा। हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा ये कहावत तो सभी ने सुनी होगी जो अपनी मदद खुद करता है ईश्वर भी उसकी मदद करते हैं. मजबूत इरादों से किया गया हर कार्य अपने मुकाम तक जरुर पहुंचता है. ऐसे ही मजबूत इरादों के साथ लुण्ड्रा के ग्राम बटवाही की रहने वाली बबीता अगरिया ने आर्थिक तंगी और प्रतिकूल हालातों का सामना करते हुए अपना ऐसा मुकाम बना लिया है कि लोग उनके संघर्ष को सलाम करते हैं.
 31 वर्षीय बबीता अगरिया की परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से वह कक्षा पांचवीं से आगे पढ़ाई नहीं कर पाई. 18 वर्ष की उम्र आते ही परिजनों ने उनकी शादी गांव में ही रहने वाले विद्या राम अगारिया से कर दी. बबीता की शादी जिस परिवार में हुई उनकी भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. पति मेहनत मजदूरी करता था जिससे बमुश्किल एक वक्त की ही रोजी रोटी चल पा रही था. कृषि योग्य भूमि भी नहीं थी जिसकी वजह से परिवार के सामने आर्थिक संकट एवं भरण-पोषण की समस्या सबसे बड़ी समस्या थी.
इसी बीच वह गांव में संचालित यशोदा स्व सहायता समूह में शामिल हो गई और समूह के माध्यम से मिलने वाले कार्यों से उसे थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती थी. 5 वीं की पढ़ाई के बाद आगे पढ़ाई नहीं करने की वजह से उसे कहीं नौकरी भी नहीं मिल सकती थी. आर्थिक समस्या की वजह से वह अक्सर तनाव में रहती थी. इसी बीच उसे अप्रैल 2017 में ग्राम सचिव के द्वारा गांव में ही मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण प्रारंभ होने की जानकारी प्राप्त हुई.
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार होने तथा पांचवीं पास एवं अन्य पिछड़ा वर्ग परिवार के होने की वजह से इनका चयन मुख्यमंत्री कौषल विकास योजनाअंतर्गत मशरूम उत्पादन प्रषिक्षण के लिए हो गया. अम्बिकापुर स्थित जैव प्रयोगशाला एवं प्रषिक्षण केन्द्र से उसने मई 2017 से जून 2017 एक माह तक मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण पूरा कर लिया.
प्रशिक्षण पूरा करने के पश्चात उसने घर में खाली पडे़ अतिरिक्त मिट्टी के मकान में मशरूम उत्पादन की शुरुआत कर दी. बबीता के अनुसार शुरू-शुरू में उन्हें कई तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़ा. लेकिन इन मुश्किलों से लड़ते-लड़ते उनसे सीखते-सीखते उसे सफलता मिलनी शुरु हो गई. अब मिट्टी के छोटे से मकान में ही वह हर माह तकरीबन 50 किलो मशरुम का उत्पादन कर लेती हैं. बबीता इन्हें स्थानीय बाजार में बेचती हैं. इससे उनके परिवार का भरण पोषण और छोटी-मोटी पारिवारिक जरुरते भी पूरी कर पा रही हैं.
मशरूम उत्पादन के लिए मशरूम बीज जैव प्रयोगशाला प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण केन्द्र अम्बिकापुर से निःशुल्क प्राप्त हो जाता है. बबीता बताती हैं कि मशरूम प्रशिक्षण प्राप्त कर मशरूम उत्पादन से होने वाली आय से परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है तथा और बेहतरी की ओर निरंतर अग्रसर रहेगी. मशरूम उत्पादन की सफलता को देखते हुए उद्यान विभाग सरगुजा द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना अंतर्गत प्रिजरवेटिव्ह स्थापना के तहत मशरूम ड्रायर प्रदान किया गया जिससे मशरूम को सूखाकर प्रसंस्करण द्वारा आचार, बड़ी, पापड बनाकर अतिरिक्त आए प्राप्त हो रही है.