विधि अग्निहोत्री रायपुर, शशि देवांगन राजनांदगांव/

जब तक ना सफल हो नींद चैन को त्यागों तुम,

संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम.

कुछ किए बिना ही जयजयकार नहीं होती

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती..

इस कविता से हमें सीख मिलती है कि संघर्ष जीवन का एक हिस्सा, इससे डर कर, हार मान कर आप परेशानियों से पार नहीं पा सकते. जीवन के मैदान में पूरी हिम्मत के साथ डटे रहिए सफलता आपको जरूर मिलेगी.

शायद इसी कविता के सार को समझ ज्योति सलामे ने अपने जीवन के संघर्ष का डटकर सामना किया. यह कहानी है राजनांदगांव जिले के धुर नक्सल क्षेत्र अंबागढ़ चौकी की. राजनांदगांव से 60 किलोमीटर इस गांव के मजदूर परिवार में एक बेटी ज्योति सलामे का जन्म हुआ. ज्योति को बचपन में पिता का प्यार पूरी तरह मिल भी नहीं पाया था, कि असमय ही पिता की मृत्यु हो गई. छोटो-छोटे बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी माँ पर आ गई. माँ ज्यादा पढ़ी लिखी भी नहीं थी, कि कहीं नौकरी कर पाए और गांव भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र था. जहाँ काम मिलना बहुत मुश्किल था. लिहाजा ज्योति की माँ लोगों के घर-घर जा बर्तन साफ किया करती.

माँ ने सोच रखा था कि बच्चों को पढ़ा कर अच्छी शिक्षा देनी है. जिससे बच्चों को मेरी तरह घर-घर जाकर बर्तन ना धोने पड़े. ज्योति की माँ ने बर्तन धोकर, तो कभी मजदूरी कर पाई-पाई जोड़कर बच्चों को पढ़ाया. ज्योति की मां ने बड़ी बहन की पढ़ाई के बाद उसकी शादी अच्छे से करने का सपना देखा था. लेकिन घर की माली हालत ऐसी नहीं थी, कि शादी का खर्च अच्छे से निकल पाए. लिहाजा मां ने कर्ज़ लेकर बड़ी बहन की शादी की. शादी का खर्च कुछ ज्यादा हो गया. इधर ज्योति की कॉलेज की पढ़ाई अभी पूरी नहीं हुई थी और कर्ज़ भी चुकाना था. ज्योति और उसकी मां के सामने बड़ी समस्या आ खड़ी हुई कि अब पढ़ाई पूरी की जाए या शादी के लिए लिया कर्ज़ चुकाया जाए. आखिर ज्योति ने फैसला किया की पढ़ाई के साथ-साथ वह पार्ट टाइम जॉब करेगी जिससे अपना खर्च तो वह उठा सके.

ज्योति ने राजनांदगांव में पढ़ाई के साथ काम की तलाश शुरू की. एक दिन ज्योति को अपनी सहेली से सरकार की कौशल विकास योजना के बारे में पता चला. ज्योती ने कौशल विकास केन्द्र मे 3 माह की कस्टमर रिलेशन सीप्ट एक्सीक्यूटीव कोर्स की पढाई की. जिसके बाद ज्योति का सलेक्शन महेंद्रा शो रूम में हुआ और उसे सेल्स मैन की जॉब मिली. ज्योति ने सेल्स मैन जैसे चुनौतीपूर्ण काम को स्वीकार करते हुए वहाँ काम करना शुरू किया. जब ज्योति ने महेंद्रा में काम की शुरूआत की उस वक्त वहाँ सेल्समैन का काम लड़के ही किया करते थे. ज्योति ने भी लड़कों से कंधे से कंधा मिलाकर इस चुनौतीपूर्वक काम को बखूबी किया. ज्योति अब तक 30 से 40 माल वाहक गाड़ियाँ बेच चुकी है. कभी-कभी तो गाड़ियों की होम डिलीवरी के लिए ज्योति को राजनांदगांव से 70,80 किलेमीटर दूर जाना पड़ता है.

ज्योति सुबह 5 बजे अंबागढ़ चौकी से अपने घर से निकल जाती है और 1 घंटे पहले ही ऑफिस पहुँच अपना काम शुरू कर देती है. ज्योति ने अपनी लगन और आत्मविश्वास से काम कर मेहनत के दम पर ऑफिस में अपनी पहचान बनाई है. ऑफिस में सबसे ज्यादा गाड़ियाँ बेचने वाली ज्योति पहली सेल्समैन है अब तक इतनी गाड़ियाँ किसी सेल्समैन ने नहीं बेचीं. इसके लिए ज्योति को बेस्ट इम्पलॉय अवार्ड से भी नवाज़ा गया है. इसके अलावा उसे इन्सेंटिव 20 हजार रूपये भी मिले, ज्योति को जुलाई माह में भी बेस्ट एमप्लाई का भी अवार्ड से नवाजा जाएगा.  महेन्द्रा शो रूम मे 7 हजार रुपये की तनखा मे काम करने वाली ज्योति का कहना है की घर की माली हालत को देखकर वह बहुत दुखी थी. जिसके बाद उसने घर के खर्च मे अपना योगदान देकर माँ को आराम देने की ठानी और प्रधानमंत्री कौशल विकास केन्द्र मे प्रशिक्षण लेने के बाद आज अपनी और घर की स्थिती मे काफी बदलाव किये. इसके लिए ज्योति सरकार को धन्यवाद देते नहीं थकती.

वहीं इस शो रूम मे मॅनेजर का कहना है की  ज्योति ने पिछले साल ही शो रूम में ज्वाईनिंग ली है वह कस्टमरो को बहुत जल्द कन्वेस कर गाड़ी की डील कर लेती है. आज अपने काम से वह लड़कों से आगे निकल गई है सेल्समैन का काम लडकियो के लिए आसान नहीं है. पर ज्योति ने इससे चुनौती पूर्व लेकर बड़ी आसानी से किया. जिसके कारण ज्योति को दो बार बेस्ट एमप्लाई आवर्ड से सन्मानित किया गया है और एन्सूटीव तो कई बार मिला है इसके साथ ही वह ज्योति के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.

ज्योति कहती है कि ठान लो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं. बशर्ते आप अपने काम के प्रति ईमानदार रहें और पूरी मेहनत से काम करें इससे आपको सफलता निश्चिततौर से मिलेगी.