चंद्रकांत देवांगन, भिलाई। देश में ऐसे हजारों की संख्या में युवक हैं जो गरीबी की वजह से अपना बचपन जीने से ही पहले खो देते हैं और जवानी संघर्षों में गुजर जाती है. इनमें से कुछ ही लोग उन परिस्थितियों को हरा पाते हैं. ऐसे लोग ही असल जिंदगी के हीरो होते हैं. सक्सेस स्टोरी में हम ऐसे ही रियल लाइफ के हीरो को सामने ले कर आते हैं जिनके संघर्षों को न तो मीडिया में जगह मिल पाती है और न ही अखबारों के किसी कोने में. इनकी स्टोरी को सबके सामने लाने का एक छोटा सा मकसद ये भी है कि वे लोग जो संघर्षों से हारने लगते हैं उन्हें एक नई ऊर्जा प्रदान करना. ऊर्जा जीतने की, उर्जा गगन चूमने की ख्वाईशों की.

हम आज जिस युवक की स्टोरी आप के सामने ले कर आ रहे हैं. उस युवक ने कोई बड़ा अचीवमेंट तो नहीं किया लेकिन उसने जीवन के संघर्षों के सामने अपने घुटने नहीं टेके. भिलाई के सेक्टर 6 में रहने वाले एम देवराज के परिवार में चार लोग हैं. उनके माता-पिता और भाई-बहन. बहन की शादी हुए दो साल बीत गए हैं. पिता विशाखापटनम में मेहनत मजदूरी करते हैं.

दो-तीन महीने में एक बार बमुश्किल 10 से 12 हजार रुपए ही खर्च के लिए घर भेज पाते हैं. इतने पैसों में बड़े ही मुश्किलों से घर का खर्चा चल रहा था. जैसे-तैसे रुखी-सूखी खाकर उनका जीवन चल रहा था. माता-पिता के साथ ही पूरे परिवार ने अपने सपनों से समझौते कर इसे ही किस्मत का लिखा मान लिया. जैसे-तैसे दोनों भाई-बहन ने अपनी पढ़ाई पूरी की. एम देवराज ने भिलाई के एक कालेज से बीसीए की परीक्षा पास की. उसका आगे पढ़ने का सपना था लेकिन उसके सपनों के पंख को घर की जिम्मेदारियों ने जकड़ लिया.

इसी बीच उनकी बहन की शादी हुई. बहन की शादी में समाज के साथ ही रिश्तेदारों से भी लाखों रुपए का कर्ज लेना पड़ा. बस यहीं से देवराज की मुश्किलें बढ़ गई. पिता की कमाई से घर के खर्चे ठीक से चल नहीं पा रहे थे उसमें बहन की शादी में लिए गए कर्ज को चुकाना उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन गई. इस कर्ज से मुक्ति पाने के लिए और घर के खर्च में योगदान देने के लिए देवराज ने गुजरात के अहमदाबाद का रुख किया. वहां उन्होंने भी मेहनत मजदूरी शुरु कर दी. साल भर तक काम करने के बाद वह वापस भिलाई लौट आया और सेक्टर 10  स्थित एयरटेल आफिस में उन्होंने एक जॉब ज्वाइन कर लिया. छः महीने तक वहां काम किया उसी दौरान उन्हें मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के बारे में जानकारी लगी.

बीसीए तक की पढ़ाई कर चुके देवराज इसी फील्ड में आगे का प्रशिक्षण लेना चाहते थे लिहाजा उन्होंने कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग का 6 महीने का कोर्स पूरा किया. कोर्स पूरा करने के बाद वे अब एचपी कंप्यूटर में सेल्स प्रमोटर के पद पर कार्यरत हैं. उन्हें यहां ढ़ाई लाख रुपए सालाना पैकेज मिल रहा है. देवराज ने बताया कि नौकरी लगने से पहले बहन की शादी में लिए गए कर्ज को चुकाना उनके लिए बड़ी चुनौती थी. लेकिन एमएमकेवीवाय से प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें अच्छे पैकेज में नौकरी मिल गई है. अब वे उस कर्जे को धीरे-धीरे चुका पा रहे हैं.