रामेश्वर मरकाम, धमतरी/रायपुर- आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में दाखिला पाना हर छात्र का सपना होता है. अपने सपनों को साकार करने के लिए हर साल बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों को लाखों रुपए खर्च कर कोटा जैसी महंगी जगहों में कोचिंग के लिए भेजते हैं.उसमें भी कुछ ही छात्र ही इसमें सफल होते हैं.
ऐसा ही एक सपना धमतरी जिले के ग्राम दर्री के एक मजदूर माता-पिता का था. जो अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर एक काबिल अफसर बनाना चाहते थे. लेकिन गरीबी उस माता-पिता के सपने को साकार करने में सबसे बड़ी बाधा थी. वे अपने बेटे को महंगी कोचिंग कराने में असमर्थ थे लिहाजा बेटे ने भी अपने गरीब माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए दिन-रात घर में ही पढ़ाई कर आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास कर ली. पंकज साहू नाम के छात्र ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में 353 वी रैंक लाकर सबको चौंका दिया और प्रदेश भर का ध्यान अपनी ओर खींच लिया.
माता-पिता के ख्वाब को पूरा करने के लिए पंकज का रास्ता अभी भी आसान नहीं था. इतनी अच्छी रैंक लाने के बावजूद उसके लिए आईआईटी में दाखिला लेना आसान नहीं था. परिवार की गरीबी हर बार की तरह इस बार भी इस होनहार छात्र के सामने खड़ी थी.
पंकज के पिता जयलाल साहू धमतरी के एक दुकान में नौकरी करते हैं. जयलाल के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटिया और बेटा पंकज है. पति के कमाए पैसे घर के राशन के लिए भी पूरे नहीं पड़ते थे लिहाजा मां ज्ञानवती ने भी मजदूरी शुरु कर दी. ज्ञानवती संगठित कर्मकार मंडल में पंजीकृत श्रमिक है. परिवार को पालने पोसने और बच्चों की शिक्षा के लिए ज्ञानवती मनरेगा में मजदूरी करने लगी. मनरेगा का काम बंद होने के बाद वह ठेकेदार के पास रेजा-कुली का काम करती थी.
पंकज शुरु से ही मेधावी छात्र था उसने जगदलपुर के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई की पढ़ाई पूरी कर ली थी. बीई करने के बाद उसने आगे पढ़ाई जारी रखने की ठान ली और माईनिंग से एमटेक करने के लिए उसने 2016 में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा दी. अपने पहले ही प्रयास में उसने देश में 353 वीं रैंक लाकर परीक्षा पास कर ली. गरीब मजदूर माता-पिता ने जैसे-तैसे बेटे का एडमिशन धनबाद आईआईटी में करा दिया लेकिन पंकज की पढ़ाई में इसकी आंच नहीं आने दी. पंकज ने पहले सेमेस्टर की भी परीक्षा अच्छे अंकों से पास कर लिया लेकिन आगे कि पढ़ाई का सारा खर्चा उठाना उसके परिवार के लिए संभव नहीं था.
पैसों की वजह से चिंतित माता-पिता को श्रम विभाग की मेधावी छात्र-छात्रा शिक्षा प्रोत्साहन योजना के बारे में पता चला. उन्होंने श्रम विभाग के तत्कालीन अधिकारी श्रद्धा केशरवानी से मुलाकात कर उन्हें पंकज के संबंध में और अपनी आर्थिक स्थिति की जानकारी दी.
गरीब परिवार के इस बेटे की पढ़ाई में किसी भी तरह की कोई तकलीफ न आए इसे देखते हुए अधिकारी ने इसकी जानकारी श्रम सचिव आर संगीता को दी. आईएएस अधिकारी आर शंगीता ने पंकज से मिलने की इच्छा जताई. जिसके बाद माता-पिता बेटे पंकज को लेकर संचालनालय पहुंचे जहां श्रमउपायुक्त और सचिव आर संगीता से उन्होंने मुलाकात की. परिवार से मिलने के बाद श्रम विभाग के अधिकारियों ने पंकज की एमटेक की पढ़ाई और वहां रहने-खाने, भोजन इत्यादि का पूरा खर्चा वहन करने का निर्णय लिया और एमटेक की पढ़ाई में आया लाखों रुपए का आया खर्चा विभाग द्वारा उसके माता-पिता को लौटा दिया गया. वहीं आगे की एमटेक की पढ़ाई के लिए उसे आर्थिक सहायता दी. सरकार की तरफ से मदद मिलने के बाद पंकज ने अच्छे अंकों से एमटेक पास कर लिया है. एमटेक करने के साथ ही पंकज को विश्व की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम कंपनी वेदांता ग्रुप द्वारा अपने यहां एक बड़े पैकेज में नौकरी ज्वाइन करने का आफर दिया है. हालांकि पंकज ने अभी कोई भी फैसला नहीं लिया है.
एम.टेक. के बाद आगे माइनिंग में रिसर्च फेलोशिप के साथ पीएचडी करने की मंशा रखने वाले पंकज ने कहते है कि वह इस मुकाम तक अपने माता-पिता के आशीर्वाद और खुद की मेहनत की बूते बिना किसी कोचिंग के पहुंचा है. उनका कहना है कि वह यह साबित करना चाहता है कि उच्च शिक्षा पर श्रमवीरों के परिजनों का भी समान अधिकार है.