भाटापारा। महिलाएं आज किसी से भी पीछे नहीं हैं. ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं न हों चाहे नौकरी हो या समाज सेवा या फिर उद्योग-धंधे .बल्कि अब वे पुरुषों को हर क्षेत्र में कड़ी टक्कर देने लग गई हैं. हमारे सामने ऐसी कई महिलाओं के उदाहरण हैं जो आज सफलता के सर्वोच्च शिखर पर हैं. लेकिन इन सबके बीच छोटे-छोटे कस्बों में रहने वाली ऐसी महिलाएं भी हैं जो आज समाज की बाकी महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं. ये महिलाएं अपने हौसलों और जज़्बे की वजह से खुद को ऐसे मुकाम पर पहुंचा चुकी हैं जो घरों में कैद उन महिलाओं के लिए एक बड़ा उदाहरण हैं जो कि जुल्म और प्रताड़ना सहते हुए पड़ी हैं. वे उनके लिए भी प्रेरणा का स्रोत हैं जो किसी न किसी मजबूरी की वजह से रास्ता भटकते जा रहे हैं.

ऐसी ही भाटापारा की रहने वाली एक महिला हैं जिसने पुरुषों के क्षेत्र में कदम रखते हुए खुद को एक मुकाम पर पहुंचा लिया है. आज उनकी चर्चा एक सफल लघु उद्यमी के रुप में हो रही है. हम बात कर रहे हैं संत रविदास वार्ड में रहने वाली संगीता कौसल की जो प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना का लाभ उठाकर स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनने के साथ ही अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणास्रोत बन गयी. संगीता को लघु उद्योग व्यापारी के रूप में भाटापारा शहर सहित जिले में विशिष्ट पहचान बनायी है.

संगीता के पति जैयंत कोशले का छोटा सा कंस्ट्रक्शन का काम है जिसमें बमुश्किल 8 से 10 हजार रुपए महीना ही वे कमा पाते थे. परिवार में दो छोटे बच्चे हैं. जिनकी पढ़ाई और घर का खर्चा इतने कम पैसों में पूरा नहीं हो पाता था. परिवार की आमदनी कैसे बढ़े और बच्चों को कैसे अच्छा लालन-पालन व शिक्षा-दीक्षा हो सके. इसी जद्दोजहद में दिन बीतते जा रहा था. इसी बीच संगीता को लघु उद्योग लगाने के लिए प्रधानमंत्री सृजन योजना की जानकारी मिली. वे अपने पति के साथ अंत्यावसायी विभाग पहुंची और योजना की जानकारी लेने के बाद लोन के लिए आवेदन भर दिया. जहां उनका लोन स्वीकृत हो गया.

संगीता ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के अंतर्गत मसाला उद्योग के लिये वर्ष 2016-17 में यूनियन बैंक ऑल इंडिया भाटापारा द्वारा 2.85 लाख रूपये ऋण प्राप्त किया. जिससे उन्होंने एवन आटा चक्की के नाम से लघु उद्योग स्थापित की, जहॉ गेंहू, चांवल, हल्दी, मिर्ची,धनिया पिसाई का कार्य करती है. पिसाई के बाद 50 ग्राम, 100 ग्राम, 200 ग्राम के पैकिंग कर भाटापारा एवं आसपास के ग्रामों के किराना दुकान एवं होटल में हल्दी, धनिया, मिर्ची आदि की सप्लाई कर रही है. इन मसालों को बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के साथ ही परिवार की आर्थिक एवं सामाजिक स्तर वृद्धि कर रही है.

संगीता अपने व्यवसाय के सहयोग के लिये दो अन्य महिलाओं को भी रोजगार भी उपलब्ध करायी है. जिनके द्वारा उनके कार्यों में सहयोग किया जाता है संगीता ने बताया कि लघु उद्योग का वार्षिक टर्न ओवर 2 लाख 50 हजार रूपये है तथा ऋण वापसी प्रत्येक माह सात हजार रूपए करती है. उसने बताया कि इस योजना से स्वयं के व्यवसाय को स्थापित करने के अलावा अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित होगा.

उनके साथ इस व्यवसाय में अन्य महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने से उन दोनों महिलाओं के परिवार को भी आर्थिक मदद मिलने लगी है. संगीता की मंशा है कि अपने व्यवसाय को विकसित कर बड़े व्यवसाय के रूप में स्थापित करें.