चंद्रकांत देवांगन, वैशाली नगर। अपनी शारीरिक कमजोरी को मात देकर सफलता पाने वालो की कहानी में एक कहानी प्राची वर्मा की भी है जिसके साथ बचपन में कुदरत ने ऐसा मजाक किया कि जिंदगी एक सजा बन गयी. वैशाली नगर विधानसभा के रामनगर की रहने वाली प्राची बोलने और सुनने में असमर्थ है. बचपन से मिला यह अभिशाप उसे चैन से जीने तो नही दे रहा था उसके बाद गरीबी का श्राप जैसे प्राची की ज़िन्दगी की उम्मीद पर ग्रहण लगाने के काफी था. असमय पिता की मृत्यु हो जाने के बाद तो जैसे उसके कुछ बनने के सपने को चूर चूर कर के ही रख दिया था.
जीवन में तमाम मुश्किलों के बावजूद अगर आप में चाह हो तो अँधेरे के बाद एक दिन उम्मीद का सूर्य जरुर उगता है. ऐसा ही कुछ हुआ प्राची के साथ उसके टूटते हौसलों में कुछ जान बाकी थी. परिवार का सहारा जब छिना तो प्राची ने कुछ करने की ठानी और खुद परिवार की ताकत बनने की सोच ली. उसे बचपन से ही कम्प्यूटर सिखने में बहुत रूचि थी. जब वो कक्षा 10 में पढ़ती थी तब स्कूल से आते जाते कंप्यूटर सेंटर में लोगो को सीखते देख अपनी इच्छा को गरीबी के चलते दबा लेती थी. उसने अपनी यह इच्छा कभी अपने माता पिता से इसलिए जाहिर नहीं की कि कहीं उनके परिजन को यह महसूस न हो की वो अपने बच्चो की इच्छा पूरी करने में असमर्थ है.
जैसे-तैसे उसने 12 वीं की पढाई पूरी की उसके बाद वो परिवार का सहारा बनने के लिए नौकरी करना चाहती थी पर कुदरत की मार और अपनी विकलांगता की वजह से कही कोई काम भी नहीं मिल रहा था. प्राची को लगा कि उसके पास हुनर की कमी है और इस कमी को दूर करने उसे कुछ न कुछ करना ही होगा जो कि उसकी तरक्की में बाधा बन रही थी. प्राची कंप्यूटर के क्षेत्र में आगे बढ़ने का निर्णय लिया. एक दिन उसे सरकार द्वारा नि:शुल्क कंप्यूटर ट्रेनिंग की जानकारी मिली.
इसी बीच उसे पता चला कि नगर निगम के द्वारा शिविर लगाया गया है जिसमें कंप्यूटर कोर्स की जानकारी दी जा रही है. जानकारी मिलते ही वह तुरंत शिविर में पहुंच गई और नि:शुल्क ट्रेनिंग के बारे में जानकारी ली. काउंसलर के द्वारा अलग-अलग कोर्सेस की जानकारी दी गई. जिसमें से उसे DTP का कोर्स पसंद आया. बिना देरी किए उसने DTP के कोर्स के लिए आवेदन उस शिविर में जमा कर दिया. उसका चयन निशुल्क कंप्यूटर कोर्स के लिए कर लिया गया. जिसके बाद प्राची हर रोज कंप्यूटर क्लास जाती और लगातार 5 घंटे प्रतिदिन पूरी तन्मयता से उसने अपना प्रशिक्षण पूरा किया. कोर्स कंप्लीट होने के बाद परीक्षा हुई जिसमें वह पास हो गई. पास होने पर उसे DTP असिस्टेंट का प्रमाण पत्र दिया गया.
प्राची का कहना है कि ट्रेनिंग खत्म हो जाने के बाद अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए तथा आत्मनिर्भर होने के लिए मैं चाहती थी कि कहीं जॉब करूं. उसी दौरान उसने नौकरी खोजनी शुरु की. इसी बीच उसे धमधा तहसील कार्यालय के कंप्यूटर आपरेटर पद खाली होने का पता चला. वहां इंटरव्यू हुआ और उसके बाद उसका सलेक्शन कर लिया गया. अब प्राची हर महीने 15 हजार रुपए कमाने लगी है. अपने कमाई के पैसे से वह अपनी सारी जरुरतें पूरा कर रही है और वह बेहद खुश है निराशा भरी जिंदगी से बाहर निकल कर.