पंकज सिंह भदौरिया/विधि अग्निहोत्री की रिपोर्ट
दंतेवाडा का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में नक्सलवाद की छवि उभरकर सामने आती है. बंदूकों और बारूदों-सुरंगों के नाम से बदनाम दंतेवाडा अब बदल रहा है और इसे बदलने की जिम्मेदारी ली है वहाँ के आदिवासियों ने. रोजगार के अभाव में नक्सलवाद का रास्ता चुनने वाले आदिवासियों ने अब स्वरोजगार का मार्ग पकड़ तरक्की की दिशा में कदम बढ़ाया है.

जिले के गीदम ब्लॉक में एक बड़ेपनेड़ा गांव है. जहाँ राखीराम नागेश अपने 5 लोगों के परिवार के साथ रहता है. घर का खर्च चलाने के लिए राखी ने गांव में एक छोटी सी दुकान भी बना रखी है लेकिन इस छोटी सी दुकान से इतनी आमदनी नहीं होती थी कि घर का खर्च और पढ़ाई साथ-साथ चल सके. राखी नाग ने प्रशासन की कड़कनाथ मुर्गी पालन योजना के बारे में गांव में ही चर्चा के दौरान सुना था.  उसने गांव के सरपंच के माध्यम से पशु विभाग दन्तेवाड़ा जाकर कड़कनाथ मुर्गी पालन योजना की जानकारी ली. फिर क्या था राखी नागेश की कड़की कड़कनाथ से दूर होने लगी है. नागेश की किस्मत के स्टार चमकने लगे.

पशु विभाग दन्तेवाड़ा के सहयोग से राखी नागेश जुड़कर महज 50 हजार रुपये लगाकर योजना शुरू की, जिसके बाद प्रशासन ने एक पोल्ट्रीफार्म और 1000 चूजे 3 किस्तों में दाना-पानी के साथ फ्री देने लगी. शुरुवाती छः महीने में ही राखी नागेश ने पोल्ट्रीफार्म से 400 कड़कनाथ मुर्गे बेचे. इसे उन्हें शुरुवात में ही 2.5 लाख रुपये की आमदनी हुई.

इतनी आमदनी तो राखी को अपनी सायकल दुकान से 2 साल में भी नहीं हो पाती, इसलिए राखी ने अब अपनी दुकान बंद कर पूरा समय पोल्ट्री फार्म में देने लगा. डेढ़ साल में ही राखी ने 4 से 5 लाख रूपये इस योजना से कमा लिए क्योंकि कड़कनाथ मुर्गा बाज़ार में 600 से 800 रूपये में बिकता है.

कड़कनाथ मुर्गे की अगर बात करें तो मुख्यतौर पर मध्यप्रदेश के झाबुआ और धार इलाके में पाये जाते हैं.  दन्तेवाड़ा में अब इस प्रजाति के मुर्गे को संरक्षण और बढ़ावा तेजी से दिया जा रहा है और दन्तेवाड़ा जिले की जलवायु इस मुर्गे के लिए उपयुक्त है. कड़कनाथ मुर्गे को दन्तेवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों में कालीमासी भी कहा जाता है. इसका रंग पूरा काला होता है, इसके अण्डे भी काले होते है. इस प्रजाति के मुर्गे में आयरन, प्रोटीन अधिक और वसा की मात्रा बहुत कम होती है, जो कि मानव शरीर के लिए बेहद ही लाभदायक माना जाता है. इसी वजह से आम मुर्गों से इसकी कीमत दोगुना होती है।