धीरज दुबे/ विधि अग्निहोत्री, कोरबा-  सपने देखिए और उन्हे पूरा करने के लिए जुट जाइए कहते हुए कोरबा जिले के 23 साल के रवि श्रीवास अपना ई रिक्शा निकाल कर चले जाते हैं रोज़ के काम पर. वैसे तो रवि मूलत: मुंगेली जिले के हैं यहाँ वे अपने परिवार के साथ रहते थे. लेकिन रोज़गार की तलाश में रवि अपने बड़े भाई के साथ कुछ साल पहले कोरबा आ गये. यहां उनके बड़े भाई एक सेलून में काम करते हैं.

रवि को हमेशा से पढ़ने में दिलचस्पी थी. उसने बचपन से ही आईएएस बनने का सपना देख रखा था, लेकिन घर के माली हालात ऐसे थे कि IAS बनना तो दूर ग्रेजुएशन करना भी मुश्किल था. लेकिन कहते हैं ना कि जहां चाह वहां राह. रवि ने भी अपने लिए राह निकाली और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना चालू किया. ट्यूशन से कमाए पैसों से रवि ने साइंस सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन पूरा किया.

ग्रेजुएशन खत्म करने के बाद रवि IAS की कोचिंग करना चाहता था लेकिन ट्यूशन के पैसों से ये सपना पूरा नहीं हो सकता था. रवि ने भी ठान रखा था कि IAS तो वह बन के ही रहेगा और इसी सपने को पूरा करने के लिए रवि ने रमन सरकार की ई-रिक्शा आर्थिक योजना का लाभ लिया. इस योजना से रवि की आर्थिक तंगी दूर हुई और वह परीक्षा की तैयारी करने लगा.

रवि रोज सुबह 2 घंटे की कोचिंग करता. दिन में रिक्शा चलाता और रात-रात भर जाग कर अपने सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई करता. रवि ने बताया कि ई-रिक्शा मिलने के पहले उसके आर्थिक हालात अच्छे नहीं थे. बच्चों को पढ़ा कर इतना पैसा नहीं मिल पाता था कि जरूरतों के साथ-साथ कोचिंग का खर्च भी निकल पाए. रवि पिछले 6 महीनें से ई-रिक्शा चला कर अपना परिवार पाल रहा है और कोचिंग की फीस देने में भी सक्षम है.

रवि की मेहनत का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि रवि ने 2015 में नेवी में अप्लाई किया था, जहां उसका सलेक्शन भी हो गया, लेकिन IAS बनने का सपना ज्यादा बड़ा था. जिसके चलते रवि ने नेवी ज्वाइन नहीं की. अपनी पढ़ाई जारी रखने का श्रेय रवि अपनी पत्नी को भी देता है. उसने बताया कि नोटबुक लिखने में पत्नी देविका उसकी काफी मदद करती है. कभी-कभी रवि जब पढ़ने में व्यस्त होता और उसे नोट्स बनाने का समय नहीं मिलता तो देविका उसके लिए नोट्स बनाती. देविका दिन में घर का सारा काम निपटा कर रात में पति रवि के साथ बैठ पढ़ाई में उसकी मदद करती है. देविका दसवीं तक पढ़ी है. हालांकि रवि उसे भी आगे पढ़ाने की मंशा रखता है. रवि के अनुसार परिवार के सभी लोग उसका पूरा सहयोग करते हैं..

पत्नी देविका को भी अपने पति के सपने पर पूरा भरोसा है. वह कहती है कि रवि रोज सुबह से कोचिंग चले जाते हैं. कोचिंग से आकर पूरा दिन रिक्शा चलाते और शाम को घर लौटकर कुछ देर परिवार के साथ समय बिताकर पढ़ने बैठ जाते हैं. रवि अपने सपने को लेकर बहुत गंभीर हैं और उसे पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत भी कर रहे हैं.

श्रम विभाग के अधिकारी सरोदे ने बताया कि मुख्यमंत्री ई-रिक्शा सहायता योजना दिसंबर 2016 से संचालित है. जिले में अब तक 8 से 9 लोग इस योजना का लाभ उठाकर अपना जीवन बदल चुके हैं. रवि उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है. जो गरीबी के चलते अपने सपनों को खो बैठते हैं. रवि का कहना है कि कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता. बड़ा  सपना होता है जिसे पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री की कई कल्याणकारी योजनाएं हैं. इसलिए परेशानियों से निराश होने के बजाय आप सरकार की इन योजनाओं का लाभ उठाएं और अपने जीवन को एक बेहतर दिशा दें.