जांजगीर-चांपा. सक्ती का रहने वाला साकेत श्रीवास आज दूसरे युवाओं की तरह बसर कर रहा है. युवाओं की तरह सोच रहा है. सपने बुन रहा है. नए भारत के निर्माण में अपना योगदान के लिए कटिबद्ध नज़र आता है. साकेत मेडिकल की तैयारी कर रहा है. वो डॉक्टर बनना चाहता है और राजस्थान के कोटा में इसकी तैयारियों में जुटा है. लेकिन 17 साल पहले वो ज़िंदगी की जंग लड़ रहा था. उसके पिता खराब माली हालत के चलते साकेत का इलाज करा पाने में असमर्थ थे. लेकिन ऐसे हालात में मुख्यमंत्री की बाल हृदय योजना साकेत के लिए एक वरदान साबित हुआ.
यूं तो शासन ने गरीबों के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है. जिसका लाभ प्रदेश के हर व्यक्ति को किसी ना किसी तरीके से मिल रहा है. ऐसी ही एक योजना है मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना. जो उन गरीब परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है जिनके यहां किसी बच्चे के दिल में छेद हो जाता है.
सक्ति के रहने वाला श्रीवास परिवार के साथ भी ऐसा ही हुआ. श्रीवास परिवार की छोटी सी सैलून की दुकान थी. जिससे वो अपने परिवार की रोज़ी-रोटी चलाया करते थे. करीब 17 साल पहले उसके 1 साल के बेटे साकेत श्रीवास की तबियत अचानक खराब हो गई. साकेत को उसके मां-बाप फौरन अस्पताल ले गए. स्थानीय डॉक्टरों के इलाज से वो ठीक हो गया लेकिन कुछ समय बाद फिर एक साल के नन्हे साकेत की तबियत बिगड़ गई. दवा देने के बाद साकेत कुछ समय के लिए ठीक हो जाता लेकिन फिर उसकी तबितय बिगड़ जाती. परिवार वाले उसे इलाज के लिए रायपुर ले आये. यहां साकेत का पूरी तरीके से चेकअप कराया गया. जांच में पता चला कि उनके 1 साल के बेटे साकेत के दिल में छेद है.
डॉक्टर की बात सुनते ही मानो उनके परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि छोटी सी दुकान मैं अपने घर का गुजर बसर करने वाले एक सैलून से जीवन बसर करने वाला परिवार अपने बच्चे के ह्रदय का इलाज कैसे करवाता. साकेत के मां-बाप का दिन भगवान से दुआ मांगते बीत रहा था कि भगवान कोई चमत्कार कर दे और उनका बेटा ठीक हो जाए.
मां-बाप बेदह चिंतित रहते. धीरे-धीरे साकेत बड़ा हो रहा था लेकिन वो दूसरे बच्चों से बिलकुल अलग था. वो ना खेल-कूद पाता था न कहीं जा पाता था. दूसरे बच्चे हंसते थे और साकेत चुपचाप सा रहता था. मां-बाप को अपने बच्चे को देखकर बड़ा खराब लगता था. उन्हें लगता था कि उनका बच्चा उनके गरीबी की सज़ा पा रहा है.
मुश्किल घड़ी में भी श्रीवास परिवार का विश्वास भगवान पर बना हुआ था. उन्हें भरोसा था कि भगवान कोई चमत्कार करेंगे और उनका बेटा ठीक हो जाएगा. हुआ भी ऐसा ही. मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह उनके बेटे के जीवन में देवदूत बनकर आए. डॉ रमन सिंह की शुुरु की गई योजना उनके बेटे के जीवन में एक चमत्कार बनकर आ गई. श्रीवास परिवार को इस योजना के बारे में किसी ने बताया. जैसे ही छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बाल ह्रदय सुरक्षा योजना की जानकारी साकेत के परिवार वालो को लगी, बिना देर किए उन्होंने मुख्यमंत्री जी से अपने बेटे के इलाज के लिए सहायता मांगी और मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना के तहत श्रीवास परिवार को अपने बेटे के इलाज के लिए जल्द ही सहायता मिल गई.
साकेत का ऑपरेशन हुआ और वो स्वस्थ्य हो गया. वो दूसरे बच्चों की तरह खेलने लगा. खुश रहने लगा. आज वो युवा है. सक्ति के अनुनय कॉन्वेंट स्कूल मैं 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद साकेत आज कोटा में डॉक्टर बनने की तैयारी कर रहा है. वो पूरी तरह से स्वस्थ्य है. श्रीवास परिवार इस योजना के लिए मुख्यमंत्री को बार-बार ह्रदय से धन्यवाद दे रहा है और उनका उपकार चुकाने के लिए आज अपने उसी बेटे को मेडिकल की पढ़ाई करवा रहा है ताकि वह भी गरीब लोगों की सहायता कर सके और अपने प्रदेश सरकार के एहसान का कर्ज उतार सके.