स्पोर्ट्स डेस्क– जिंदगी कब बदल जाए कोई नहीं जानता बस संघर्ष करते रहिए उससे पीछे मत हटिए, एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी, जैसे मरियप्पन थांगावेलु को मिली।
मरियप्पन थांगावेलु पैरालंपिक स्वर्ण पदकधारी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने दौर में बहुत बुरे दिन भी देखे हैं, जिन पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, और लगातार संघर्ष करते रहे और अब उन्हें खेल दिवस के दिन खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
संघर्ष के बाद मिली सफलता
थांगावेलु की उम्र जब महज 5 साल की थी तो एक बस ने उनके दायें पैर को घुटने के नीचे से कुचल दिया था, और फिर उन्होंने अपने परिवार को चलाने के लिए वो सबकुछ किया जो कर सकते थे, अपनी मां की मदद के लिए वो सुबह को अखबार में हॉकर का काम करते थे, दिन में दिहाड़ी मजदूर का काम करते थे, क्योंकि पिता ने भी परिवार का साथ छोड़ दिया था, थांगावेलु कहते हैं कि वक्त कैस बीत जाता है पता ही नहीं चलता है, रोंगट खड़े कर देने वाले दिन थे वो लेकिन अब वो सफलता की सीढ़ियों को चढ़ना शुरू कर चुके हैं, और अब उन्हें खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
जब कोच ने बदल दी किस्मत
थांगावेलु के मौजूदा कोच आर सत्यनारायण ही उनकी करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुए, उनकी जिंदगी बदल दी, उन्होंने थांगावेलु की काबिलियत देखी और वो उन्हें बंग्लुरू ले गए, थांगावेलु जब स्कूल में पढते थे तभी उन्हें खेलों के बारे में पता चला था, साल 2013 में सत्यनारायण ने राष्ष्टीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उनकी प्रतिभा को देखा था, तब वो महज 18 साल के थे, दो साल बाद थांगावेलु को बंग्लुरु लाया गया, और फिर तो इतिहास बन गया। थांगावेलु ने पिछले साल ही दुबई में आईपीसी विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप की टी-42 उंची कूद स्पर्धा में तीसरा स्थान हासिल कर टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई किया था, उनका टारगेट टोक्यो पैरालंपिक जो 24 अगस्त से 5 सितंबर 2021 को होगा, उसमें गोल्ड जीतना है। और अपनी ही स्पर्धा में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं।
गौरतलब है कि थांगावेलु को इस साल देश के शीर्ष सम्मान के लिए चुना गया है, 29 अगस्त को वर्चुअल समारोह में उन्हें इस सम्मान से नवाजा जाएगा। जिसे लेकर वो काफी खुश भी हैं।