सुरेन्द्र रामटेके, बालोद। बालोद जिले के बघमरा गांव की रहने वाली दीपेश्वरी भी आम लड़कियों की तरह ही थी. उसके भी कई ख्वाब थे लेकिन वो ख्वाब खेतों में मजदूरी करते-करते चकनाचूर हो चुके थे. उसे कभी उम्मीद नहीं थी कि वह आम लड़कियों की तरह जी पाएगी. उनके जैसे वो अच्छे कपड़े पहन पाएगी. अपने वो सारे शौक जो दम तोड़ चुके थे उन्हें पूरा कर पाएगी.
बेहद गरीब परिवार में जन्मी दीपेश्वरी के पिता पेशे से मजदूर थे. घर में माता-पिता के अलावा एक बड़ा भाई भी है. पिता की हालत देखकर वह परिवार के खर्चों में हाथ बंटाना चाहती थी लेकिन वह अपना मन मसोस कर रह जाती. वजह थी कि उसकी कालेज की पढ़ाई भी पूरी नहीं हो पाई थी और न ही उसने ऐसी कोई व्यावसायिक ट्रेनिंग ही की थी कि उसे रोजगार मिल जाता.
लेकिन कहते हैं कि ईश्वर के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं. दीपेश्वरी के जीवन में भी इसी तरह बड़ा परिवर्तन उस वक्त आया जब उसकी सहेली ने कौशल उन्नयन योजना के बारे में बताया. दीपेश्वरी लाइवलीहुड कालेज पहुंची और ब्यूटी पार्लर के कोर्स की जानकारी ली. जानकारी लेने के बाद उसने लाइवलीहुड कालेज में प्रवेश ले लिया और नौ महीने का कोर्स पूरा किया. कोर्स पूरा करने के पश्चात दीपेश्वरी के जीवन में परिवर्तन आने लगा. गांव की लड़कियों की थ्रेडिंग बनाने लगी. उनके बालों को अलग-अलग शेप में कटिंग करने लगी. उसे शादी ब्याह में दुल्हनों का मेकअप का काम मिलने लगा. देखते ही देखते गांव में दीपेश्वरी को हर कोई जानने लगा. जिसे भी उसके बारे में मालूम चला तो वह हतप्रभ रह गया और उसकी हिम्मत की दाद देने लगा.
अब वह अपनी कमाई से परिवार की आर्थिक मदद करना शुर कर दी थी इसके साथ ही कुछ पैसे वो बचाने भी लग गई. उसने अपने पिता और सीआरपीएफ में काम करने वाले अपने बड़े भाई से गांव में पार्लर खोलने की इच्छा जताई. उसकी इच्छा को देखते हुए परिवार वालों ने हां कर दिया लेकिन समस्या पार्लर खोलने का था. पिता और भाई ने अपने बचाए पैसे उसे दे दिये. उसके पास भी अपना जमा किया हुआ पैसा था. जिसे मिलाकर उसने गांव में ही एक दुकान खोल लिया और पार्लर के सामान की खरीदी की.
पार्लर चालू होते ही गांव की लड़कियों के साथ ही आस-पास के गांवों में रहने वाली लड़कियां भी उसके पास हेयर कटिंग के अलावा बाकी चीजों के लिए आने लगी. शादी ब्याह के सीजने में उसके पास दुल्हन मेकअप के काफी काम आने लगे. ़
दीपेश्वरी का कहना है कि पहले उसके परिवार की स्थिति बेहद खराब थी लेकिन उसके काम करने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है. परिवार की मदद करने के लिए वह अपनी कालेज की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई. उसने बताया कि कभी नहीं सोची थी कि मेरी खुद की दुकान होगी. मैं इस मुकाम पर पहुंच जाउंगी. अच्छे कपड़े पहन पाउंगी. मुझे लगता था कि मेरी जिंदगी ऐसे ही बदतर रह जाएगी और मैं हमेशा मजदूरी ही करूंगी. आज मैं बहुत खुश हूं.