यश खरे, कटनी। आज पूरी दुनिया आसमान में उड़ान भर रही है। लेकिन भारत में आज भी कई ऐसे गांव और कस्बे हैं, जहां जमीन पर चलने के लिए सड़क तक नहीं है। प्रदेश की सरकार लगातार यह दावा करती है कि विकास की गंगा हर गांव, गली और कूचे-कस्बे तक बह रही है। लेकिन धरातल स्तर पर प्रदेश के कई शहरों से ऐसी तस्वीरें निकल कर हमारे सामने आ जाती हैं, जो मुख्यमंत्री के दावों पर सवाल खड़ी करती नजर आती है। कुछ ऐसी ही तस्वीर मध्यप्रदेश के कटनी जिले से निकलकर सामने आई है, जो विकास के तमाम दावों को सिरे से खारिज कर रही है।
हम बात कर रहे हैं कटनी जिले के विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र की। सड़क नहीं होने की वजह से एंबुलेंस या गाड़ियां गांव तक नहीं पहुंच पाती जिसकी वजह से किसी की तबियत खराब होने पर उसे कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। पिछले 15 साल से संजय सत्येन्द्र पाठक यहां के विधायक हैं वे शिवराज कैबिनेट में लघु एवं सूक्ष्म उद्योग मंत्री भी रह चुके हैं। सत्तारुढ़ दल का विधायक होने के बावजूद यहां अब भी ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गुजारा करना पड़ रहा है।
15 सालों में कहां हुआ विकास?
खास बात तो यह है कि इसी विधानसभा सीट से विधायक के पिता सत्येन्द्र पाठक भी विधायक और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, लेकिन विकास के नाम पर अपने विधानसभा क्षेत्र में वे भी सड़कें तक नहीं बनवा पाए। जिसकी वजह से इलाके के लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो इस बात का सबूत है कि क्षेत्र के विधायक ने पिछले पंद्रह साल में अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए कितना कुछ किया है।
खाट के सहारे मरीजों की जिंदगी
गांव में सड़क ना होने के चलते मरीजों को खाट के सहारे कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचाया जाता है। हैरत तो इस बात की है कि इसकी जानकारी विधायक और जिला प्रशासन को भी है, लेकिन फिर भी वे हाथ पर हाथ धरकर बैठे हुए हैं। कई ऐसे मरीजों को भी इसी तरह से खाट के सहारे लेकर जाया जाता है, जो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। गांववालों के लिए अब यह आम बात हो चुकी है। अपनी बेबसी को उन्होंने अपनी किस्मत समझ लिया है।
किसी से छिपे नहीं हैं हालात
ग्रामीणों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि इसके लिए वे विधायक संजय सत्येन्द्र पाठक से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक उनकी किसी ने नहीं सुनी। चुनाव आते हैं, मंत्री जी वादा करते हैं और चुनाव खत्म होते ही भूल जाते हैं।
सड़क नहीं तो नाव के सहारे चल रहा जीवन
वहीं इस गांव से एक और तस्वीर निकलकर सामने आई है। जहां सड़क ना होने की वजह से ग्रामीणों को नाव की मदद से नदी पार करनी पड़ती है। यहां तक की अगर किसी की गांव में मौत भी हो जाती है तो शव को नदी पार पहुंचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। मामला बिजरावगढ़ विधानसभा क्षेत्र के बरही नगर के खेरवा गांव का है।
अस्पताल पहुंचने से पहले ही कई तोड़ चुके हैं दम
ग्रामीणों ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक बार चंदन नाम के युवक को सांप ने काट लिया। जिसके बाद आनन-फानन में चंदन को नाव के जरिए बरही अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन तब तक काफी देर हो गई और युवक के शरीर में जहर पूरी तरह से फैल गया, जिसके बाद उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
बताया जाता है कि इस गांव के लोग दो बार विधानसभा चुनावों का बहिष्कार भी कर चुके हैं। मांग की गई थी कि सड़क नहीं तो वोट नहीं। लेकिन फिर भी इनकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया और अब भी जीवन नाव के सहारे ही चल रहा है।
इन तमाम तस्वीरों से इस गांव की स्थिति पूरी तरह से साफ है कि 20 सालों से इस इलाके में विकास के नाम पर कुछ खास नहीं हुआ है। सरकार कितने ही दावे क्यों ना करती हो, लेकिन धऱातल स्तर पर विकास की कहानी कुछ और ही है।