खुशबू ठाकरे, रायपुर. भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित जनकपुर का नौलखा जानकी माता मंदिर हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. यह मंदिर भगवान राम एवं माता सीता को समर्पित है. यह ऐतिहासिक मंदिर नेपाल के जनकपुर प्रान्त के धनुषा जिला में स्थित है. इसे नौलखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर करीब 4860 वर्ग फीट में फैला हुआ है. जनकपुर का नौलखा जानकी माता के गर्भगृह में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण की शुद्ध सोने की मूर्तियां विराजमान हैं.

सन 1657 में संत सूरदास द्वारा खुदाई कराने पर उस स्थान पर सीताजी की सोने की मूर्ति मिली, उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया. जनकपुर में दर्जनों मंदिर हैं, इनमें सबसे भव्य यह नौलखा जानकी मंदिर ही है. इसका निर्माण टीकमगढ़ की महारानी वृषभानु कुमारी ने पुत्र प्राप्ति की कामना से करवाया था.

यह मंदिर हिन्दू व राजपूताना शैली की वास्तुकला का सुंदर नमूना है. मंदिर परिसर के आसपास के दायरे में 115 सरोवर एवं कुंड हैं, जिसमें गंगासागर कुंड सबसे पवित्र कुंड के रुप में प्रसिद्ध है. मंदिर से जुड़ी कुछ दंत कथाओं के अनुसार इस कुंड को महाराजा जनक ने गंगाजल से भरवाया था. इस कुंड के जल से सीता जी, शिव जी के उस पिनाकी धनुष का अभिषेक करती थीं, जिसके भंग होने के बाद सीता और भगवान राम का विवाह संपन्न हुआ था.

मंदिर के पीछे और जानकी मंदिर के उत्तर की ओर ‘अखंड कीर्तन भवन’ है, जहां 1961 से सीताराम नाम का कीर्तन किया जाता है. जहां 24 घंटे अखंड रुप से कीर्तन चलता रहता है. परिसर के भीतर ही राम जानकी विवाह मंडप है. मंडप के खंभों और दूसरी जगहों को मिलाकर कुल 108 प्रतिमाएं हैं. इस मंडप में अगहन माह की पंचमी, जिसे विवाह पंचमी भी कहा जाता है, को पूरे रीति-रिवाज से प्रतिवर्ष नौलखा जानकी माता मंदिर में राम-जानकी माता का शुभ विवाह किया जाता है.

इस मंदिर तक कैसे पहुंचा जाए

यह मंदिर भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित है. यहा बिहार के सीतामढ़ी से आसानी से सड़क मार्ग के द्वारा पहुंचा जा सकता है. सीतामढ़ी से जनकपुर की दूरी मात्र 45 किमी है. इसके अलावा रेल मार्ग और हवाई अड्डा से भी यहा पहुंच सकते हैं. भारत और नेपाल की सीमा के पास होने के कारण यहा आसानी से पहुंचा जा सकता है.