सुच्चा सिंह लंगाह फिर से शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए हैं. 29 सितंबर 2017 को एक महिला कांस्टेबल की शिकायत पर लंगाह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. महिला ने आरोप लगाया था कि लंगाह 2009 से उसके साथ बलात्कार कर रहे थे. उसने एक वीडियो क्लिप भी बनाई थी, जिसे उसने पुलिस को सौंप दिया था.
बलात्कार के इस मामले के कारण विवादों में रहने वाले अकाली नेता सुच्चा सिंह लंगाह की शिरोमणि अकाली दल में फिर से वापसी हो गई है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भुंदर ने उन्हें पार्टी में वापस लेने का फैसला किया है. पार्टी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी. लंगाह लगभग सात साल तक पार्टी से दूर रहे. इसके साथ ही चर्चा शुरू हो गई है कि पार्टी उन्हें डेरा बाबा नानक सीट पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बना सकती है.
पार्टी ने दी दलील
पार्टी ने अपने पोस्ट में कहा है कि सुच्चा सिंह लंगाह की ओर से एक याचिका प्राप्त हुई है. इसमें उन्होंने पार्टी के सामने यह बिंदु रखा है कि अदालत ने उन्हें लगे सभी आरोपों से बरी कर दिया है. उन्होंने यह भी लिखा कि उनके विरोधियों ने यह मामला खालसा पंथ की सर्वोच्च अदालत श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष पेश किया था, और श्री अकाल तख्त साहिब की पूरी कार्रवाई के बाद उन्हें फिर से खालसा पंथ में शामिल कर लिया गया है.
जब उन पर आरोप लगे थे, तो उन्होंने तुरंत पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. अब अपने लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि वह जन्म से ही अकाली थे और आखिरी सांस तक अकाली ही रहेंगे. उन्होंने फिर से पार्टी की सेवा करने का मौका देने की विनती भी की है. लंगाह द्वारा पार्टी को दी गई याचिका और प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर उन्हें फिर से एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में सेवा करने का मौका देने का फैसला किया गया है.
मामला क्या था?
लंगाह के खिलाफ 29 सितंबर 2017 को महिला कांस्टेबल की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था. महिला ने आरोप लगाया था कि लंगाह 2009 से उसके साथ बलात्कार कर रहे थे. उसने एक वीडियो क्लिप भी बनाई थी, जिसे उसने पुलिस को सौंप दिया था. बाद में गुरदासपुर पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया. 5 अक्टूबर 2017 को लंगाह ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था. अदालत द्वारा शिकायतकर्ता के बयान वापस लेने के बाद लंगाह को बरी कर दिया गया था.
कौन हैं लंगाह?
सुच्चा सिंह लंगाह 1997 में अकाली दल के टिकट पर धारिवाल से विधायक चुने गए थे. इसके बाद वह 1997-2002 के दौरान लोक निर्माण विभाग के मंत्री बने. 2007 में वह फिर से धारिवाल से चुने गए. इस दौरान उन्हें कृषि विभाग दिया गया था. हालांकि, वह 2012 और 2017 में डेरा बाबा नानक से चुनाव हार गए थे.
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