दिल्ली. हम इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में बहुत सी चीजें मिस कर देते हैं. हममें से बहुत लोगों ने शायद सूडान की मौत को भी मिस कर दिया होगा. हम आपको बताते हैं कि कौन है ‘सूडान’ औऱ उसका जिंदा रहना क्यों हमारे लिए इतना जरूरी था.
दुनिया के अखिरी व्हाइट राइनो ‘सूडान’ की माउंट केन्या में मौत हो गई. वो इस धरती और हमारे लिए कितना कीमती था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ‘सूडान’ की सुरक्षा के लिए 24 घंटों हथियारबंद सुरक्षाकर्मी लगे रहते थे.
दरअसल ‘सूडान’ के निधन से बेहद अनूठी और विशिष्ट व्हाइट राइनो प्रजाति इस पूरी धरती से गायब हो गई है. अब हमारी आगे आने वाली पीढ़ियां सिर्फ व्हाइट राइनो के बारे में किताबों में ही पढ़ सकेंगी. वैसे वैज्ञानिकों ने ‘सूडान’ का डीएनए सैंपल सुरक्षित रख लिया है ताकि उससे कई सारे रिसर्च और प्रयोग किए जा सकें.
45 साल का ‘सूडान’ केन्या की अल पजेटा कंजरवेट्री में बेहद कड़े सुरक्षा पहरे में रह रहा था. अब उसकी मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. लोगों का कहना है कि ‘सूडान’ की मौत इंसानी लालच और क्रूरता की कहानी कहती है क्योंकि लोगों ने अपने फायदे के लिए राइनोज की अंधाधुंध हत्या की. जिसका ही नतीजा है कि राइनोज की एक पूरी की पूरी पीढ़ी का ही खात्मा हो गया.
‘सूडान’ की मौत के बाद जहां पर्यावरणविद बेहद सदमे में हैं वहीं उसकी देखभाल करने वाले कीपर्स बेहद दुखी हैं. आखिर वो पूरी दुनिया के लिए एक पूरी की पूरी प्रजाति का अकेला प्रतिनिधि था. वाकई में ‘सूडान’ का जाना सिर्फ एक जानवर का जाना भर नहीं है. एक पूरी प्रजाति का नष्ट हो जाना है. जिसे हम भले औऱ पढ़े लिखे इंसानों ने अपने फायदे के लिए नष्ट कर डाला. तो, अब आपको भी समझ आ गया होगा कि सूडान की मौत हम सबके लिए कितनी दुखदायी है.